भारत के सबसे ऊपर यानि कि उत्तरी राज्य जम्मू कश्मीर का लेह-लद्दाख क्षेत्र पर्यटन का सबसे मुख्य केंद्र है। पर्यटकों की लिस्ट में लेह-लद्दाख सदा से ही सबसे ऊपर रहता है, चाहे आप यहाँ तक की यात्रा बस से करना चाहो या बाइक राइडिंग द्वारा। सब किसी न किसी अलग तरीके से इस क्षेत्र की यात्रा करने को उत्साही रहते हैं। यहाँ की संस्कृति, प्राकृतिक खूबसूरती व सबसे ज़रूरी दुनिया की चहल-पहल से दूर यहाँ की शांति पूरे साल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
यूँ तो प्राकृतिक खूबसूरती से भरे-पूरे इस क्षेत्र में देखने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ है, पर एक चीज़ और है जो इस जगह को और खास बनाता है, यहाँ का ऐतिहासिक महल, लेह महल। भारत के अन्य महलों से बिल्कुल अलग व साधारण, लेह महल अपनी एक अलग चमक के साथ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
चलिए आज हम इसी लेह महल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को जानते हैं, जिनसे इस महल की शान और बढ़ती है।
लेह महल का मॉडल
लद्दाखी हिमालय शहर को अपनी गोद में समाये हुए पहाड़ की चोटी पर बना यह महल एक ऐतिहासिक महल है, जो तिब्बत में स्थित ल्हासा के प्रसिद्ध पोटाला महल का लघु-संस्करण माना जाता है।
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महल का निर्माण
लेह महल को राजा सेंग्गे नामग्याल द्वारा 17 वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
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महल में निर्मित मंज़िलों की संख्या
इस महल में नौ मंजिलों का निर्माण किया गया, जिनमें से सबसे ऊपर वाले मंज़िल में शाही परिवार निवास करता था और बाकि के नीचे वाले मंज़िलों में अन्य कमरे जैसे की अस्तबल, स्टोर रूम, रसोई घर आदि वगैरह हुआ करते थे।
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राजसी परिवार का महल से पलायन
जब 19वीं शताब्दी में डोगरा फोर्स ने लद्दाख पर कब्ज़ा किया, यहाँ के राजसी परिवार ने इस महल को त्यागकर स्टॉक महल की ओर पलायन कर लिया।
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महल का इतिहास
त्सेमो की पहाड़ी पर इस महल का निर्माण कार्य सन् 1553 में ही त्सेवांग नामग्याल (लद्दाख में नामग्याल वंश के संस्थापक) द्वारा शुरू कर दिया गया था, जिसे उनके भतीजे सेंग्गे नामग्याल द्वारा पूरा किया गया।
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महल का संरक्षण
महल का संरक्षण भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा किया जा रहा है। यह महल आम यात्रियों के लिए खुला हुआ है और इस महल के छत से साफ़-साफ़ लेह और उसके चारों ओर का अद्भुत व मनोरम दृश्य नज़र आता है।
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महल के मंदिर
इस महल में कई मंदिर हैं, जो ज़्यादातर आमतौर पर बंद रहते हैं। इन मंदिरों को सिर्फ पुजारी ही सुबह शाम पूजा करने के लिए खोलते हैं।
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महल की वास्तुकला
महल के अंदर तिब्बती थांका चित्रकला (सूती वस्त्र में बौद्धिक चित्रकला) और यथार्थ चित्रों को बखूबी प्रदर्शित किया गया है। कहा जाता है कि यहाँ प्रदर्शित ये चित्र लगभग 450 साल पुराने हैं। यहाँ प्रदर्शित चित्रों को रत्नों व पत्थरों को कुचल व पीसकर बनाये गए पाउडर के रंगों से बनाया गया था।
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महल का संग्रहालय
आज भी महल के संग्रहालय में शाही परिवार के पुराने हीरे जवाहरात,आभूषण, गहने, कपड़े और औपचारिक मुकुट उसी तरह रखे हुए हैं।
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महल का पुस्तकालय
महल के अंदर एक छोटा सा पुस्तकालय है, जिसमें कई पुराने बौद्धिक ग्रन्थ संरक्षित रखे गए हैं।
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