रात के समय मैसूर महल में रंग बिरंगी लाइट्स की सजावट उसे हीरे सी चमकदार बनाती है। दिन के समय सूरज की रोशनी में इसके लाल रंग के गुंबद और विशाल परिसर का अद्भुत दृश्य आपको साफ़ नज़र आता है। अगर आप मैसूर जा रहे हैं और इस महल की यात्रा अगर आपने नहीं की तो मैसूर की यात्रा आपकी अधूरी ही रह जाएगी। चलिए हम यहाँ आपको महल की कुछ दिलचस्प तथ्यों के बारे में बताते हैं जिसे पढ़ और देख कर आप अवाक रह जाएँगे।
मैसूर के महल का मुख्य द्वार
Image Courtesy: Evan Lovely
तथ्य#1:
लकड़ी का महल:
14वीं सदी में जब वाड़ियारों का राज हुआ करता था तब उन्होंने पुराने किले के अंदर लकड़ी का यह किला बनवाया। इस किले का कई बार नवीकरण कराया गया है।
तथ्य#2:
जला हुआ महल:
कहा जाता है की राजकुमारी जयालक्ष्मीमणी के विवाह के समय यह महल जल गया था। यह 1897 को हुआ था जब नये महल को बनाने की योजना बनाई गयी।
पुराना महल
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तथ्य#3:
15 सालों का कठिन परिश्रम:
इस एग्ज़ोटिक महल को बनाने की योजना का आयोग, महाराजा कृष्णराज़ेंद्र चौथे वाड़ियार द्वारा ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेन्री इरविंग को सौंपा गया। इसे बनाने में 15 सालों का लंबा समय लगा। अंततः यह सन् 1912 में बनकर तैयार हुआ।
तथ्य#4:
पर्यटकों का मुख्य केंद्र:
मैसूर के इस महल में हर साल लगभग 6 मिलियन से ज़्यादा यात्री भ्रमण को आते हैं। यह भारत में पर्यटकों द्वारा सबसे ज़्यादा यात्रा किए जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है।
रंग बिरंगे लाइट्स से सुसज्जित मैसूर का महल
Image Courtesy: Muhammad Mahdi Karim
तथ्य#5:
शैलियों की पोपुरि:
मैसूर महल आर्किटेक्चरल शैलियों का एक अद्भुत मिश्रण है, इसलिए इसे अद्वितीय कहा जाता है। इस मुख्य भारतीय-अरबी आर्किटेक्चर की शैली में हिंदू, मुगल, राजपूत और गॉथिक शैलियों का मिश्रण है।
तथ्य#6:
दसारा का महापर्व:
पूर्व वर्षों में परंपरागत तरीके से मनाए जाने वाले दसारा के पर्व का आज भी महायोजन यहाँ किया जाता है। मैसूर का दसारा पर्व इतना प्रसिद्ध है की इसमें समिल्लित होने को सिर्फ़ अपने देश के ही नहीं दुनिया भर के दर्शक कर्नाटका के इस त्योहार का मज़ा लेने आते हैं।
दिन के समय का मैसूर महल
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तथ्य#7:
महल का सन्ग्रहालय:
भारत के आज़ादी के बाद यहाँ का राजसी परिवार दूसरे स्थान को शिफ्ट हो गया है। तब से यह महल एक सन्ग्रहालय के रूप में भी तब्दील हो गया है, जहाँ वाड़ियारों की कलाकृत्यों, तस्वीरों, और उनके बचे कुछ राजसी वस्त्रों को दर्शाया गया है।
तथ्य#8:
14 मंदिरों का महल:
पहले के ज़माने में राजा लोग किले या महल के अंदर ही मंदिर बनाया करते थे। इसी तरह मैसूर महल में भी 14 मंदिर निर्मित हैं जिन्हे आप अपनी महल की यात्रा में देखना ना भूलें।
दसारा पर्व मैसूर महल का स्थान
Image Courtesy: Jim Ankan Deka
तथ्य#9:
सोने की अंबारी(हाथी हौदा):
पहले ज़माने में महाराजगण सोने की अंबारी(पालकी) में विराजमान होते थे जिन्हे हाथियों द्वारा दसारा के जुलूस में भी शामिल किया जाता था। अब इस अंबारी में दसारा के पर्व में माँ दुर्गा की मूर्ति को विराजा जाता है।
अगर आपने अब तक मैसूर के महल की यात्रा नहीं की है तो यह आपके लिए मैसूर के बेहतरीन आर्किटेक्चर को देखने का सबसे उच्च समय है। शानदार आर्किटेक्चर, 5 मंज़िलों के किले से घिरे विशाल आँगन और बाग अद्भुत नज़ारे का एक सटीक उदाहरण है। किले के अंदर की अंदरूनी अलंकृत चित्रकला महल को और भी शानदार बनाती है।
मैसूर का वरहस्वामी मंदिर
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मैसूर बेंगलूरु से 160 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दक्षिण भारत के अन्य प्रमुख शहरों से भी जुड़ा हुआ है। वीकेंड बिताने के लिए यह सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
नोट: राजसी विवाह के कार्यक्रम की वजह से मैसूर महल में 24 जून से 30 जून 2016 तक आम जनता के लिए प्रवेश वर्जित है।
मैसूर के महल का अंदरूनी दृश्य
Image Courtesy: Harsh
मैसूर कैसे जाएँ?
बस से: रोज़ कुछ बसें बेंगलूरु से मैसूर तक जाती हैं।
रेल यात्रा: मैसूर रेलवे स्टेशन भी कई प्रमुख शहरों के स्टेशन से जुड़ा हुआ है।
हवाई यात्रा: बेंगलूरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मैसूर का नज़दीकी हवाई अड्डा है।
कई कैब्स, ऑटोस और बसों की सुविधा मैसूर शहर से मैसूर महल तक के लिए उपलब्ध है।