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स्मारकीय भारत:यूनेस्को की सूचि में शामिल दुनिया की सबसे पहली वाव(बावली) से जुड़ी दिलचस्प बातें!

गुजरात के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक होने के साथ-साथ रानी की वाव में अपने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई सारी दिलचस्प चीजें हैं। इस खूबसूरत बावली की वास्तुकला और ऐतिहासिक प्रासंगिकता निश्चित तौर पर सराहनीय हैं। अगर आप इस बार गुजरात की यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो इस ऐतिहासिक खूबसूरती का दीदार करना मत भूलियेगा। यह भारत में अपनी तरह का एक अनूठा वाव है।

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सरस्वती नदी के तट पर पाटण में स्थापित इस खूबसूरत कला से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें भी हैं, जो इसके आकर्षण को और निखारती हैं। पाटण को पहले 'अन्हिलपुर' के नाम से जाना जाता था, जो गुजरात की पूर्व राजधानी हुआ करती थी। आपको नहीं लगता कि, कभी-कभी अच्छा यह होता है कि आप किसी जगह के बारे में वहां जाने से पहले ही कुछ जान जाएँ? जिससे कि आप जब भी वहां जाएँ,आपको इन जानकारियों के बदौलत वहां की सैर करने में आसानी हो।

चलिए अब हम आपको रानी की वाव से जुड़ी दिलचस्प बातों को बताते हैं, जिन्हें जान आप इस ऐतिहासिक स्मारक की यात्रा करने से अपने आपको रोक नहीं पाएंगे!

पाटण पहुँचें कैसे?

रानी द्वारा करवाया गया निर्माण

रानी द्वारा करवाया गया निर्माण

भारत में कई ऐसी स्मारकें जगह-जगह आपको मिल जाएँगी, जिन्हें किसी राजा ने अपनी पत्नी की याद में बनवाया था। इन सबसे विपरीत रानी की वाव सबसे अलग और अद्वितीय है क्यूंकि इसे वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की याद में उनकी पत्नी रानी उदयामति द्वारा बनवाया गया था।

Image Courtesy:Bernard Gagnon

बावली की वास्तुकला

बावली की वास्तुकला

बावली को उल्टे मंदिर की तरह बनाया गया है, जिसमें सात स्तरों में सीढ़ियां निचले स्तर तक बनी हुई हैं। बावली के हर स्तर में खूबसूरत नक्काशियां की गई हैं और कई पौराणिक और धार्मिक चित्रों को उकेरा गया है।

Image Courtesy:Anurag choubisa

बावली की वास्तुकला

बावली की वास्तुकला

यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। वाव की खूबसूरत शैलियाँ सोलंकी वंश की कला में समृद्धि को बखूबी दर्शाती है।

Image Courtesy:Nagarjun Kandukuru

सिद्धपुर तक जाने वाली सुरंग

सिद्धपुर तक जाने वाली सुरंग

हर स्मारक का एक रहस्य होता है, उसी तरह रानी की वाव का भी है। बावली के सबसे निचले चरण की सबसे अंतिम सीढ़ी के नीचे एक गेट है जो 30 मीटर लंबे सुरंग की ओर ले जाती है और यह सुरंग सिद्धपुर गांव में जाकर खुलता है, जो पाटण के नज़दीक ही स्थित है।

Image Courtesy:Vikram Ural M.R.

रोग के इलाज में इस्तेमाल

रोग के इलाज में इस्तेमाल

ऐसा माना जाता है कि, 5 दशक पहले इस बावली में औषधीय पौधे हुआ करते थे और इनके साथ यहाँ जमे पानी को मौसमी बुखार और अन्य बिमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता था।

Image Courtesy:Bernard Gagnon

बावली में बनी मूर्तियां

बावली में बनी मूर्तियां

बावली के अंदरूनी दीवारों में लगभग 800 से ज़्यादा मूर्तियां उकेरी गई हैं। इन दीवारों और स्तंभों पर अधिकांश नक्काशियां, राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि, आदि जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं।

Image Courtesy:Bernard Gagnon

विश्व विरासत स्थल

विश्व विरासत स्थल

22 जून 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया, जो यूनेस्को की सूचि में शामिल दुनिया की सबसे पहली बावली बनी। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित रखा गया है।

Image Courtesy:Bernard Gagnon

पाटण में अन्य आकर्षण

पाटण में अन्य आकर्षण

गुजरात में पाटण की यात्रा रानी की वाव की यात्रा के बिना अधूरी है, जो उस समय के कारीगरों के शिल्प कौशल को बखूबी दर्शाती है। पाटण में रानी की वाव के साथ अन्य आकर्षण भी मौजूद हैं, जैन मंदिर और सहस्रलिंग तालाव (एक हजार लिंग वाला तालाब)।

Image Courtesy:Rashmi.parab

पाटण में होटल

पाटण में होटल

पाटण में बजट होटल के साथ-साथ कई अलशान रिसॉर्ट भी आपके रहने के लिए उपलब्ध हैं। पाटण में और उसके आसपास कुछ होटल इस प्रकार हैं , होटल तुलसी, रण राइडर्स सफारी रिसॉर्ट, बलराम पैलेस रिसॉर्ट और डेज़र्ट कॉर्सर्स होटल।

Image Courtesy:Prayash Giria

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