दिल्ली में स्थित लाल किला यहाँ के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला यह स्मारक हर बार पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पूरे साल देश विदेश के पर्यटकों का यहाँ मज़मा लगा होता है।
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सन् 1947 में प्रधानमंत्री ने किले में झंडा फहरा कर हर साल 15 अगस्त को यहाँ झंडा फहराने की परंपरा शुरू की थी। आज भी हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन यहाँ झंडा फहराया जाता है।
लाल किला भारत में राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में भी जाना जाता है, क्यूंकि यह आज तक कई ऐतिहासिक गतिविधियों का गवाह रह चूका है और अब तक अपनी भव्यता को बरक़रार रखे हुए है।
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हालाँकि ब्रिटिश सरकार द्वारा किले के कई हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया था, पर फिर भी आज़ादी के बाद देश के अधिकारी किले के बचे भाग को संरक्षित करने में कामयाब रहे।
चलिए हम आपको लाल किले से जुड़ी कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातों के बारे में बताते हैं जिनकी वजह से आज भी यह किला अपनी भव्यता और जीवंत इतिहास को दर्शाता है।
लाल किला कभी सफ़ेद किला था
दरअसल ऐसा कहा जाता है कि लाल किला शुरुआत में सफ़ेद रंग का था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन ने किले की दीवार पर चूने की परत चढ़ा हुआ पाया है, जिससे यह पता चलता है कि किले का असली रंग या तो धुंधला हो चूका है या ब्रिटिश सरकार ने इसे फिर से रंगा था।
और शायद किले की विशाल दीवार जो लाल बलुई पत्थर से बनाई गई थी, इसलिए किले का नाम लाल किला पड़ा।
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किले का असली नाम
लाल किले का असली नाम किला-ए-मुबारक है। इसे शाही परिवार के सदस्यों द्वारा 'मुबारक किला' भी कहा जाता था।
किले का डिज़ाइन ताजमहल बनवाने वाले आर्किटेक्ट, उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा तैयार किया गया था।
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राजधानी में बदला
लाल किले का निर्माण इसलिए हुआ क्यूंकि शाहजहाँ ने अपना राज्य आगरा से दिल्ली स्तानांतरित कर लिया और सन् 1638 में किले के निर्माण को प्रमाणित कर दिया। उस समय दिल्ली को शाहजहांबाद कहा जाता था।
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लाल किले की वास्तुशैली
इस अष्टकोणीय आकार की रचना को बनने में लगभग 10 साल का समय लगा था। 256 एकड़ की ज़मीन पर स्थापित इस किले के अंदर ही कई इमारतें बनी हुई हैं।
पुराने सलीमगढ़ किले के साथ परिसर में दीवान-ए-आम, नौबत खाना, रंग महल, खास महल, दीवान-ए-खास, हम्माम, मोती मस्जिद, बावली आदि जैसी रचनाएँ स्थापित हैं।
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किले के दो प्रवेश द्वार
किले में दो प्रवेश द्वार हैं, लाहौरी गेट और दिल्ली गेट।लाहौरी गेट मुख्य द्वार है और इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्यूंकि इसका मुख लाहौर शहर के तरफ है।
हर स्वतंत्रता दिवस को किले के प्राचीर पर झंडा फहराया जाता है। दिल्ली गेट लाहौरी गेट की तरह ही दिखता है, जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक प्रवेश द्वार के रूप में किया जाता था।
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रंग महल और खास महल
रंग महल का निर्माण रानियों और प्रेमिकाओं के लिए किया गया था, जिसके अंदर प्रवेश करने की अनुमति सिर्फ सम्राट और प्रधानों को थी।
दिलचस्प बात यह है कि रानियों के कक्षों के लिए सम्राट सिर्फ किन्नरों को सुरक्षा कर्मी के तौर पर रखते थे।
खास महल में राजा रानियों के साथ खाना खाते और समय बिताते थे। इस महल को खास तौर पर इसी मकसद से बनवाया गया था।
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सिंहासन से सम्बंधित कोहीनूर हीरा
विश्व प्रसिद्द कोहीनूर हीरा शाहजहां के सिहांसन में जड़ा हुआ था। फ़ारसी राजा नादिर शाह ने इसे लूट लिया जो बाद में इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया के पास चला गया। आज वह हीरा इंग्लैंड के रॉयल संग्रह का हिस्सा है।
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सम्राट अपने घर में कैद
अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय अंग्रेजों द्वारा लाल किले में ला कैदी बनाये गए।
बाद में उन्हें दीवान-ए-खास में कैदी बनाने की कोशिश की गई और फिर रंगून(म्यांमार) भेज दिया गया।
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किले के अवशेष
लाल किले को अपने अधीन करने के बाद अंग्रेजों ने लाल किले के कई हिस्सों को ध्वस्त कर दिया। और कई किमती सामानों को बेच पूरे किले को खाली कर दिया। इसके बाद किले को बस रक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था, उसके अलावा यहाँ कुछ नहीं बचा था।
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विश्व विरासत धरोहर
साल 2007 में लाल किले को सलीमगढ़ किले के साथ यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत धरोहर की सूचि में शामिल कर लिया गया।
अब लाल किले को भारतीय पुरातात्विक संरक्षण संस्थान द्वारा संरक्षित किया जा रहा है।
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