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Must Read : वो जामनगर जहां भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा के यादवों को किया था पुनर्स्थापित

By Belal Jafri

आज अपने इस लेख में हम आपको एक ऐसे डेस्टिनेशन से अवगत करा रहे हैं जहां शॉपिंग से लेके मौजमस्ती और कुछ है जिसकी कल्पना एक ट्रैवलर ने शायद ही की हो। जी हाँ हम बात कर रहे हैं गुजरात के जामनगर की। ज्ञात हो कि जामनगर शहर को 1540 ई. में जाम रावल द्वारा नवानगर रियासत की राजधानी के रूप में स्थापित किया गया था। यह शहर रणमल झील के इर्द-गिर्द बसा है तथा रंगमती और नागमती नदियों के संगम पर स्थित है। बाद में सन् 1920 में महाराजा कुमार श्री रणजीत सिंहजी ने इस शहर का नवीनीकरण किया और फिर यह जामनगर या "जामों का शहर" के नाम से जाना जाने लगा।

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बात यदि पर्यटन के बिन्दुओं पर हो तो आपको बताते चलें कि जामनगर में प्राकृतिक उपवनों का और अभयारण्यों का एक विशाल भंडार है। भारत का एक मात्र समुद्री अभयारण्य, मरीन नेशनल पार्क, जामनगर के निकट, पिरोटन द्वीप की प्रवाल - शैलमाला पर स्थित है।

खिजादिय पक्षी अभयारण्य, गागा वन्यजीव अभयारण्य और पीटर स्कॉट प्रकृति उपवन जामनगर में देखे जाने वाले कुछ अन्य पारिस्थितिक तंत्र हैं। आइये इस लेख के जरिये जाना जाये कि अपनी जामनगर यात्रा पर आपको क्या क्या अवश्य करना चाहिए।

बाल हनुमान मंदिर

बाल हनुमान मंदिर

एक आकर्षक मंदिर होने के अलावा, इस मंदिर को एक गौरवशाली स्थान हासिल है। 1 अगस्त 1964 में, लगभग 48 साल पहले श्रद्धालुओं ने 'श्री राम जय राम जय जय राम' मंत्र का जाप 7 दिनों तक लगाता 24 घंटों के लिए किया जिसके कारण इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। इस मंदिर में कोई भी भक्त स्वयंम राम धुन भजन सभा में शामिल हो सकता है जो जामनगर में रणमल झील के दक्षिण पूर्व में स्थित है।

त्रिक जैन मंदिर

त्रिक जैन मंदिर

जामनगर में तीन महत्वपूर्ण जैन मंदिर हैं जोकि 1574 और 1622 के दौरान बनाया गया तथा देखने में काफी दिलचस्प स्थान हैं। इन तीनों मंदिरों में से, तीर्थंकर शांतिनाथ को समर्पित रायसी शाह मंदिर आंतरिक और बाहरी दोनों भागों पर हुए कठिन काम को दर्शाता है। मंदिर का गुंबद सोने की परत से सजाया गया है। यहां का द्वितीय मंदिर वर्धमान शाह मंदिर है। यह मंदिर तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है और वर्धामा शाह मंदिर की तुलना में एक सरल संरचना है। इस त्रिक जैन मंदिर का तीसरा मंदिर बहुत छोटा है लेकिन एक रोचक धार्मिक स्थल है।

लखौटा तालाब

लखौटा तालाब

जामनगर का लखौटा तालाब एक झील है जहां हर दम सुंदर प्रवासी पक्षियों की कूजन गूंजती है। हर साल इस स्थान पर 75 से भी अधिक प्रजाति के पक्षी आते हैं, यह झील लोगों से भरी रहती है, खासकर शाम को और सप्ताहांत के दौरान। आप चाहे तो इस शांत झील में नौका विहार का आनंद भी ले सकते हैं, सैलानी चाहे तो शाम को उपवन के आसपास बेचे जाने वाले स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजनों और नाश्तों को भी चख सकते हैं। झील की ओर पलायन करने वाले कुछ पक्षियों में हवासील, गुल, राजहंस, बतख और स्पूनबिल शामिल हैं।

खिजादिय पक्षी अभयारण्य

खिजादिय पक्षी अभयारण्य

पक्षियों के लिए जामनगर में ठहरने के लिए अच्छे स्थानों की कमी नहीं है। खिजादिय पक्षी अभयारण्य भी उनमें से एक है, जहां प्रजनन और प्रवासी पक्षियों की विभिन्न किस्में मौजूद होती हैं। इसे पारिस्थितिक शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, 1920 के दौरान बनाए गए इस अभयारण्य में, दो मानव निर्मित बांध हैं, क्रमानुसार एक में ताजा पानी है और दूसरे में समुद्र का पानी है। यह अभयारण्य डुबुल्कीचरा, छोटी पनडुब्बी, कूट, तीतर जैसी पूंछ वाला जल-कपोत और जामुनी मौर्हेन जैसे कुछ पक्षियों के लिए एक प्रजनन भूमि है।

रतन भाई मस्जिद

रतन भाई मस्जिद

पुराने जामनगर शहर के बीचोंबीच बनी एक सुंदर सी लंबी संरचना रतन भाई मस्जिद है। चंदन के दरवाजे व सीपों से जड़े तथा दो लंबे आकर्षक मीनार के साथ, मस्जिद में निजी बारिश संचयन प्रणाली भी है। पानी की एक टंकी नमाज़ से पहले औपचारिक सफाई के लिए बनाई गई है।

लखौटा महल और अजायबघर

लखौटा महल और अजायबघर

एक द्वीप पर लखौटा तालाब के बीच लखौटा महल स्थित है। यह लखौटा मीनार के रुप में भी जाना जाता है, जो दुर्लभ संग्रह और कलाकृतियों के एक अजायबघर में तबदील हो गया है। जाम रणमलजी के आदेश पर, सूखे से राहत पाने के लिए इस मीनार का निर्माण किया गया, जब साल 1834, 1839 और 1846 में इस क्षेत्र में बारिश नहीं हुई। इस संग्रहालय में 9 वीं और 18 वीं सदी के कला के नमूने और करीबी मध्ययुगीन गांवों की कविताएं मौजूद हैं। संग्रहालय के भीतर एक चौकी है, जहां तलवारें, पाउड़र बोतलें, बंदूकें और हथियार मौजूद हैं, जो यह दर्शाते हैं कि उस समय में इस क्षेत्र की सेना कितनी बलवान और शक्तिशाली थी। यह संग्रहालय लोगों के देखने के लिए सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।

बोहरा हाजीरा

बोहरा हाजीरा

जामनगर सुंदर मंदिरों, उद्यानों और अभयारण्यों से भरा एक शहर है, और यहां इतने हिंदू धार्मिक स्थल हैं कि यह शहर छोटा काशी के रुप में भी उल्लिखित है। तथापि, यह स्थान कुछ रोचक दरगाहों का भी घर है। बोहरा हाजीरा उनमें से एक है जो दाऊदी बोहरा समुदाय से संबद्ध रखता है। राजकोट राजमार्ग के निकट स्थित नदी के तट पर बना, बोहरा हाजीरा एक मुस्लिम संत को समर्पित है और संगमरमर की एक आकर्षक संरचना है।

गागा वन्यजीव अभयारण्य

गागा वन्यजीव अभयारण्य

गागा वन्यजीव अभयारण्य 332 एकड़ भूमि में फैला है और इसे वर्ष 1988 में एक अभयारण्य के रुप में घोषित किया गया। कच्छ की खाड़ी के तटीय क्षेत्र पर स्थित, गागा अभयारण्य समृद्ध हरे वनस्पतियों से भरा है तथा पक्षियों की एक सरणी का निवास स्थान है और खूबसूरत प्रवासी पक्षी जैसे हवासील, स्पूनबिल और क्रेन को आमंत्रित करता है, खासकर सर्दियों के दौरान। इनके अलावा, आप यहां सियार, भेड़िये, नील-गाय, जंगली बिल्लियां जैसे जानवर और रंगबिरंगी तितलियां, ततैया, मकड़ी और मधुमक्खियों को भी देख पाएंगे, ये सारे इस अभयारण्य की खूबसूरती को बढ़ाते हैं।

कैसे जाएं जामनगर

कैसे जाएं जामनगर

फ्लाइट द्वारा : जामनगर हवाई अड्ड़ा शहर से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। हर रोज घरेलू विमान सेवाओं की विभिन्न उड़ानें मुंबई और जामनगर के बीच के शहरों के लिए उड़ान भरती हैं।

रेल द्वारा : जामनगर रेलवे स्टेशन से अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, कोलकाता और गोरखपुर जैसे स्थानों के लिए नियमित ट्रेनों की सेवा उपलब्ध है। सौराष्ट्र एक्सप्रेस और सौराष्ट्र मेल मुंबई और जामनगर के बीच चलने वाली दो लोकप्रिय गाड़ियां हैं।

सड़क मार्ग द्वारा : जामनगर सड़क मार्ग द्वारा गुजरात के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। विभिन्न राज्य परिवहन तथा निजी एसी बसें राजकोट, द्वारका, पोरबंदर, अहमदाबाद, भुज, सूरत और अन्य स्थानों से नियमित रुप से जामनगर के लिए चलती हैं।

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