यदि आप भारत में नॉर्थ ईस्ट के टूर पर हों तो प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर घूमे बिना पूर्वोत्तर भारत की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। बेहद खूबसूरत और अपनी एक अलग संस्कृति लिए हुए पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार गुवाहाटी असम का सबसे बड़ा शहर है। बेहद खूबसूरत और अपनी एक अलग संस्कृति लिए हुए पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार गुवाहाटी असम का सबसे बड़ा शहर है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित यह शहर प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत है। यहां न सिर्फ राज्य, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की विविधता साफ तौर पर देखी जा सकती है। संस्कृति, व्यवसाय और धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र होने के कारण आप यहां विभिन्न नस्लों, धर्म और क्षेत्र के लोगों को एक साथ रहते देख सकते हैं। अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव देता है चूहों को समर्पित करणी माता मंदिर
यूं तो इस शहर में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है और ये शहर पर्यटन स्थलों से भरा पड़ा है परन्तु यदि आपने यहां का रहस्यमय कामाख्या मंदिर नहीं देखा और उसके दर्शन नहीं किये तो समझ लीजिये आपकी यात्रा अधूरी है। कामाख्या मंदिर गुवाहाटी का मुख्य धार्मिक अट्रैक्शन है। ये मंदिर गुवाहाटी के अंतर्गत आने वाली नीलाचल पहाड़ियों में स्थित है जो रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थ्ति है।
बताया जाता है कि ये मन्दिर एक तांत्रिक देवी को समर्पित है। गौरतलब है कि इस मन्दिर में आपको मुख्य देवी कामाख्या के अलावा देवी काली के अन्य 10 रूप जैसे धूमावती, मतंगी, बगोला, तारा,कमला,भैरवी,चिनमासा,भुवनेश्वरी और त्रिपुरा सुंदरी भी देखने को मिलेंगे। आइये आपको बताते हैं वो 20 बातें जिनको जानने के बाद आप खुद समझ जाएंगे कि क्यों इस मंदिर को रहस्यमय और अद्भुत कहा जाता है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
हिंदू धर्म के अनुसार यह 51 शक्तिपीठ में से एक है और इसकी गितनी सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से होती है। गुवाहाटी से 7 किमी दूर नीलाचल की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के साथ-साथ 10 महाविद्या को समर्पित 10 अलग-अलग मंदिर हैं।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
बताया जाता है कि मंदिर में देवी शक्ति की कोई मूर्ति नहीं है। जब आप इस मंदिर में प्रवेश करेंगे तो वहां आपको देवी के मंदिर के अंदर योनि नुमा संरचना दिखेगी। इस संरचना को देवी शक्ति की योनि के रूप में पूजा जाता है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
कामाख्या देवी को बहते हुए खून की देवी भी कहा जाता है यहां देवी के गर्भ और योनि को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया है जिसमें जून के महीने में रक्त का प्रवाह होता है। यहां के लोगों में मान्यता है की इस दौरान देवी अपने मासिक चक्र में होती है और इस दौरान यहां स्थित ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
देवी के मासिक चक्र के समय ये मंदिर 3 दिन बंद रहता है और इस ब्रह्मपुत्र नदी के लाल पानी को यहां आने वाले भक्तों के बीच बांटा जाता है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि 16 वीं शताब्दी में इसे नष्ट कर दिया गया था जिसे 17 वीण शताब्दी में बिहार के राजा नर नारायण द्वारा पुनः निर्मित किया गया।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
इस मंदिर के शिखर को मधु मक्खी के छत्ते की तरह निर्मित किया गया है, जिसमें भगवान गणेश के अलावा हिंदू धर्म से जुड़े देवी देवताओं की प्रतिमा है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
इस स्थान कि एक दिलचस्प बात ये भी है कि यहां इस बात का कोई पौराणिक या ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि देवी के रक्त से ही नदी लाल होती है। यहां रक्त के सम्बन्ध में कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इस समय नदी में मंदिर के पुजारियों द्वारा सिन्दूर डाल दिया जाता है जिससे यहां का पानी लाल प्रतीत होता है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
ज्ञात हो कि स्त्री का मासिक चक्र और ये मंदिर एक स्त्री की रचनात्मकता को दर्शाता है और ये बताता है की स्त्री ही इस ब्रह्माण्ड की जननी है और हमें उसका सम्मान हर हाल में करना चाहिए
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
इस मंदिर में तीन चैंबर हैं, जिसमें पश्चिमी चैंबर सबसे बड़ा है मगर वहां पूजा नहीं होती। यहां का बीच का चैंबर वर्गाकार है जिसमें भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित किया गया है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
बीच के चैंबर से ही होकर आप मुख्य मंदिर में जा सकते हैं यहां कोई मूर्ति नहीं है। बस यहां आपको देवी की योनि और उसके नीचे से बहते हुए झरने के दर्शन होंगे।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार देवी सती अपने पिता द्वारा किये जा रहे महान यज्ञ में शामिल होने जा रही थी तब उनके पति भगवान शिव ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया। इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हो गया और देवी सती बिना अपने पति शिव की आज्ञा लिए हुए उस यज्ञ में चली गयी। जब देवी सती उस यज्ञ में पहुंची तो वहां उनके पिता दक्ष प्रजापति द्वारा भगवान शिव का घोर अपमान किया गया। अपने पिता के द्वारा पति के अपमान को देवी सती सहन नहीं कर पाई और यज्ञ के हवन कुंड में ही कूदकर उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी। जब ये बात भगवान शिव को पता चली तो वो बहुत ज्यादा क्रोधित हुए और उन्होंने दक्ष प्रजापति से प्रतिशोध लेने का निर्णय किया और उस स्थान पर पहुंचे जहां ये यज्ञ हो रहा था।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
भगवान शिव ने अपनी पत्नी के मृत शरीर को निकालकर अपने कंधे में रखा और अपना विकराल रूप लेते हुए तांडव शुरू किया। भगवान शिव के गुस्से को देखते हुए भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र छोड़ा जिससे देवी के शरीर के कई टुकड़े हुए जो कई स्थानों पर गिरे जिन्हें शक्ति पीठों के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि देवी सती की गर्भ और योनि यहां आकर गिरे है और जिससे इस शक्ति पीठ का निर्माण हुआ है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
कहा जाता है कि नरक नाम का राक्षस देवी कामाख्या से प्रेम करता था और उनसे विवाह करता था। ये जान कर देवी ने राक्षस के समक्ष एक शर्त रख दी की यदि वो एक रात में नीलाचल की पहाड़ी के नीचे से मंदिर तक सीढ़ी का निर्माण कर देगा तो देवी उससे विवाह कर लेंगी।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
राक्षस नरक ने देवी के इस चैलेन्ज को स्वीकार किया और काम शुरू कर दिया। काम अभी पूरा ही होने वाला था कि देवी ने बड़ी चतुराई से उसका ध्यान भटकाया और नरक को सीढ़ी बनाने का अपना काम अधूरा ही छोड़ना पड़ा। आज भी जहां ये अर्धनिर्मित सीढ़ी है वो स्थान मेखेलौजा पथ के नाम से जाना जाता है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
यहां मंदिर की मुख्य देवी कामाख्या की पूजा के अलावा भी कई अन्य पूजाओं को किया जाता है, जिनमें दुर्गा पूजा , पोहन बिया, वसंती पूजा, मदनदेउल अंबुवासी और मनसा पूजा शामिल हैं।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
यहां मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा को हर साल नवरात्रि में सितम्बर से अक्टूबर के बीच मनाया जाता है। अंबुवासी पूजा यह एक उर्वरता त्योहार है, ऐसा माना जाता है कि देवी तीन दिनों तक अपने मासिक चक्र में रहती हैं और जब चौथे दिन मंदिर खुलता है उसके बाद से पूरे इलाके में समृद्धि आती है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
पोहन बिया, पूस के महीने में देवी कामेश्वरी और देवता कामेश्वर के बीच हर साल एक प्रतीकात्मक शादी कराई जाती है। फाल्गुन के महीने में आप दुर्गा देउल को कामाख्या में देख सकते हैं।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
वसंती पूजा - कामाख्या मंदिर में हर साल ये पूजा चैत्र माह में होती है। मदनदेउल को भी यहां चैत्र माह में मनाया जाता है इस दौरान कामदेव और कामेश्वर की ख़ास पूजा होती है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
कामाख्या देवी मंदिर में मनसा पूजा की शुरुआत संक्रांति से होती है जो भद्र के महीने तक चलती है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
ज्ञात हो कि 108 शक्ति पीठों में शुमार होने के अलावा, ये मंदिर और इससे जुडी किवदंती अपने में एक बहुत ही रोचक दास्तां समेटे हुए है।
कामाख्या देवी का रहस्यमय मंदिर
प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर घूमे बिना गुवाहाटी की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। हिंदू धर्म के अनुसार यह 51 शक्तिपीठ में से एक है और इसकी गितनी सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से होती है। गुवाहाटी से 7 किमी दूर नीलाचल की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के साथ-साथ 10 महाविद्या को समर्पित 10 अलग-अलग मंदिर हैं।