भारत के कुछ सबसे बड़े शहरों में शुमार उत्तर प्रदेश का कानपुर हमेशा से ही व्यावसायिक गलियारों में अपनी एक ख़ास पहचान रखे हुए है। ज्ञात हो कि कानपुर के एक प्रमुख व्यावसायिक हब होने से राज्य के राजस्व में भी भराई इज़ाफ़ा हो रहा है। लेदर सिटी ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात कानपुर में आज चमड़े के कई छोटे बड़े कारखाने हैं। आपको बताते चलें कि किसी समय अपने टेक्सटाइल उद्योग के कारण इसे पूरब का मैन्चेस्टर भी कहा जाता था। बहरहाल आज इस शहर में ऐसा बहुत कुछ है जिस कारण देश विदेश के लोग इस शहर की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
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पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित कानपुर का इतिहास 18 वीं शताब्दी का है। आज यहाँ कई ऐसे पर्यटक आकर्षण हैं जिनकी यात्रा व्यक्ति को तब करनी चाहिए जब वो कानपुर में हों। यदि आप कानपुर में हैं तो आप यहाँ श्री राधाकृष्ण मंदिर, भीतरगाँव मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, जामा मस्जिद, कानपुर मेमोरियल चर्च जैन कांच मंदिर, ग्रीन पार्क, नाना राव पार्क, मोती झील और फूल बाग़ देखना बिलकुल न भूलें। आज अपने इस आर्टिकल से हम आपको अवगत करा रहे हैं कानपुर के उन पर्यटक आकर्षणों से जिन्हें आपको अवश्य देखना चाहिए।
श्री राधाकृष्ण मंदिर
श्री राधाकृष्ण मंदिर का निर्माण पचास वर्ष पूर्व सिंघानिया परिवार के जे.के. ट्रस्ट ने करवाया था और इसे जेके मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर प्राचीन और नवीन वास्तुकला के अद्वितीय मिश्रण को प्रस्तुत करता है। मंडपों की छत ऊंची है जिससे हवा और प्रकाश आसानी आ सके। इस मंदिर में प्रमुख हिंदु देवी देवताओं को समर्पित पांच मंदिर हैं जिसमें राधा और कृष्ण प्रमुख हैं जिनके आधार पर इसका नाम पड़ा है। अन्य चार मंदिर हनुमान, लक्ष्मी नारायण, अर्धनारीश्वर और नर्मदेश्वर को समर्पित हैं। सुंदर नक्काशी से सजी हुई मूर्तियां ऊंची छत वाले मंडप के नीचे रखी गयी हैं।
जैन कांच मंदिर
जैन कांच मंदिर का निर्माण जैन समुदाय द्वारा उनके धर्म के 24 तीर्थंकरों की स्मृति में करवाया गया। इस मंदिर में भगवान् महावीर और तीर्थंकरों की मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ एक विशाल छतरी के नीचे संगमरमर के मंच पर खड़ी हैं। यह मंदिर कमला टावर के पास माहेश्वरी महल में स्थित है। जैसा कि नाम से पता चलता है मंदिर की सम्पूर्ण संरचना कांच और मीनाकारी से बनी हुई है। इसे पारंपरिक वास्तुकला शैली में बनाया गया है और यह बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। मंदिर की ज़मीन संगमरमर की बनी हुई है जबकि मंदिर की दीवारों और छतों को कलात्मक ढंग से कटे हुए कांच से सजाया गया है।
मोती झील
मोती झील का शाब्दिक अर्थ है मोती की झील। भारत में ब्रिटिश शासन के समय इस झील का निर्माण पीने के पानी के स्त्रोत के रूप में किया गया था। बाद में इसके पास बच्चों का पार्क और कलात्मक रूप से बनाया गया उद्यान होने के कारण यह शहर का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया। इस आयताकार झील के एक किनारे पर लाला लाजपत राय अस्पताल है और शहर की अन्य प्रमुख इमारतें जैसे नगरपालिका समिति, कानपुर विकास प्राधिकरण का जल उपचार संयंत्र भी हैं। फूलों और इसमें तैरते हुए बतखों के कारण मोती झील शहर के मनोरंजन का प्रमुख केंद्र है।
एलन फॉरेस्ट ज़ू
एलन फॉरेस्ट ज़ू जिसे कानपुर ज़ू के नाम से भी जाना जाता है, प्राकृतिक जंगल के एक बहुत बड़े भाग में फैला हुआ है। यह एनी चिड़ियाघरों से इसलिए अलग है क्योंकि आप जानवरों को यहाँ पिंजरे के स्थान पर उनके प्राकृतिक वातावरण में देख सकते हैं। इसका नाम सर एलन के नाम पर रखा गया जो एक वनस्पति शास्त्री थे जिन्होंने वास्तविक रूप से इस योजना की परिकल्पना की थी। यह चिड़ियाघर जानवरों की विविध प्रजातियों का घर है जिनमें मस्क डियर, जगुआर, दरियाई घोडा, शेर, बंदर, लंगूर और चीता शामिल हैं। यहाँ एक एक्वेरियम और वनस्पति उद्यान भी है जहाँ कई झीलें और दुर्लभ प्रजाति के कुछ पेड़ पौधे भी हैं। जानवरों और पक्षियों के अलावा यहाँ हरियाली और शांति भी है जो शहर से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर है। जंगल क्षेत्र के अनुसार यह चिड़ियाघर एशिया का सबे बड़ा चिड़ियाघर है जिसमें एक प्राकृतिक झील है जो प्राचीन वृक्षों से घिरी हुई है।
कानपुर मेमोरियल चर्च
कानपुर मेमोरियल चर्च का निर्माण अंग्रेज़ सरकार ने 1875 में कानपुर की घेराबंदी के दौरान मारे गए अंग्रेजों की याद के स्वरुप किया था, उस समय इस शहर को कावनपुर कहा जाता था। यह चर्च पहले ऑल सोल्स कैथेड्रल के नाम से जाना जाता था, अलबर्ट लेन पर कानपुर क्लब के पास कानपुर छावनी के केंद्र में स्थित है। लाल ईंटों से लौम्बोर्ड संरचना में बने इस चर्च का नियोजन और डिज़ाइन पश्चिम बंगाल रेलवे के एक ब्रिटिश वास्तुकार वाल्टर ग्रानविले द्वारा किया गया। इसके एक किनारे पर कब्रिस्तान है जिसमें ब्रिटिश लोगों और सिपाहियों की कब्रें हैं। इस चर्च के पूर्वी भाग में एक स्मारक गार्डन (उद्यान) भी है जहाँ दो दरवाजों से पहुंचा जा सकता है।
बिठूर
बिट्ठुर, कानपुर से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है जो गंगा नदी के किनारे पर बसा सुंदर और खूबसूरत शहर है। कानपुर की घबरा देने वाली भीड़ से काफी दूर स्थित यह स्थल पर्यटकों को आराम करने के लिए जीवंत जगह उपलब्ध करवाती है। बिट्ठुर, हिंदू धर्म के लोगों के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है, साथ ही साथ इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व भी काफी है।
फूल बाग़
फूल बाग़ जिसे गणेश विद्यार्थी उद्यान भी कहा जाता है, कानपुर रेलवे स्टेशन, एलआईसी बिल्डिंग और नाना राव पार्क के पास शहर के मध्य में स्थित है। ब्रिटिश शासन काल में यह पार्क क्वीन विक्टोरिया गार्डन के नाम से जाना जाता था। इस उद्यान में कई ऐतिहासिक लोकसभाएं हुए हैं जिन्हें आधुनिक भारत के कई महान नेताओं और वक्ताओं जैसे महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और राम मनोहर लोहिया ने संबोधित किया है। फूल बाग़ में कानपुर संग्रहालय और कावनपुर यूनियन क्लब भी है। संग्रहालय शहर का सरकारी म्यूज़ियम है और आकर्षण का केंद्र है।
शॉपिंग
बात कानपुर की हो और हम वहां शॉपिंग का वर्णन न करें तो फिर कानपुर पर्यटन पर बात अधूरी रह जाती है। लेदर निर्माण में कानपुर के प्रोडक्टों का कोई जवाब नहीं है। यदि आप कानपुर में हों तो यहां बनने वाले लेदर के सामान जैसे बेल्ट वॉलेट जैकेट जूतों इत्यादि को खरीदना न भूलें। यदि आप कानपुर में हों तो आप बिरहाना मैटसन रोड और नवीन मार्केट की यात्रा अवश्य करें। इसके अलावा आप राज्य सरकार के स्वामित्व वाले इम्पोरियम से भी हस्तशिल्प की खरीदारी कर सकते हैं। आपको बता दें कि यहां महिलाओं के लिए शॉपिंग के लिए सीसामऊ बाजार एक आदर्श गंतव्य है।
खाना और रहना
यदि आप कानपुर में हैं और आपने यहां की चाट नहीं खाई तो समझ लीजिये आपकी यात्रा अधूरी है। अतः आप यहां मिलने वाली चाट का सेवन अवश्य करें। यहां जहां एक तरफ आपको शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलेगा तो वहीं नॉनवेज के मामले में भी कानपुर का कोई जवाब नहीं है। बात यदि रहने की हो तो आज कानपुर में कई बजट होटल हैं कानपुर के सस्ते होटलों के लिए आप यहां क्लिक करें। कानपुर के होटल
कैसे जाएं कानपुर
फ्लाइट द्वारा : यद्यपि कानपुर में हवाई अड्डा है परन्तु यहाँ सप्ताह में दिल्ली से पांच और कोलकाता से तीन उड़ानें ही उपलब्ध हैं। अधिकाँश लोग लखनऊ हवाई अड्डे को प्राथमिकता देते हैं जो भारत के प्रमुख शहरों और मध्य पूर्व के कई देशों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। लखनऊ कानपुर से लगभग 70 किमी. की दूरी पर स्थित है। लखनऊ हवाई अड्डे से आप कानपुर के लिए किराये की टैक्सी या बस ले सकते हैं।
रेल द्वारा : कानपुर नेशनल कॉरीडोर ऑफ रेलवे पर स्थित है और रेल सेवाओं जैसे दिल्ली से कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस(हावड़ा राजधानी, गुवाहटी राजधानी और भुवनेश्वर राजधानी) से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा : कानपुर एनएच 2, एनएच 25, एनएच 86, और एनएच 91 द्वारा रस्ते से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शहर में दो प्रमुख बस स्टैंड हैं परन्तु झाकरकाटी बस स्टेशन मुख्य स्टेशन है। दिल्ली, जयपुर, आगरा और अन्य गंतव्यों से वॉल्वो बस सेवा उपलब्ध है।