हम से लगभग सारे लोग केदारनाथ मंदिर के बारे में जानते होंगे, पर बहुत कम ही लोग उसके आसपास बसे क्षेत्र में स्थित खूबसूरत जगहों के बारे में भी जानते होंगे। जी हाँ! मंदिर के आसपास बसा क्षेत्र भी बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकि यह अपने में कुछ अद्वितीय और कीमती सौन्दर्य को समेटे हुए है। पश्चिमी हिमालय के अल्पाइन जंगल और अल्पाइन मैदान की भूमि, कुछ लुप्तप्रायः प्रजातियों वाले जीवों का वास स्थल भी है। यह क्षेत्र केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य कहलाता है, जो उत्तराखंड के चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में फैला हुआ।
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यह अभ्यारण्य, केदारनाथ कस्तूरी हिरण अभ्यारण्य भी कहलाता है क्यूंकि हिमालयी कस्तूरी हिरण इस अभ्यारण्य की प्रमुख प्रजातियां हैं।
केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य
Image Courtesy: AMBER108
हिमालयी कस्तूरी हिरण
हिमालयी कस्तूरी हिरण, कस्तूरी हिरण की एक खास प्रजाति होती है जो मुख्यतः हिमालय पर्वत के क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं। ये हल्के भूरे रंग के बिना किसी सफ़ेद चित्तीदार दाग के होते हैं। इनमें बालों की मोटी खाल होती है जो इन्हें ज़्यादा ठण्ड में संरक्षण प्रदान करती है। नर कस्तूरी हिरण ज़्यादा क्षेत्रीय होते हैं और अन्य जाति के किसी भी नर को समूह में प्रवेश करने नहीं देते हैं। इसके विपरीत मादा कस्तूरी हिरण छोटे समूह में ही रहती हैं।
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बड़े दुर्भाग्य की बात है कि, हिमालयी कस्तूरी हिरण भारत की लुप्तप्रायः प्रजाति है। एक तरह का मोम स्राव जिसे कस्तूरी कहा जाता है, नर कस्तूरी हिरण से बनाया जाता है, उसे सौन्दर्य प्रसाधनों और दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है। कस्तूरी बहुत ही मूल्यवान होती है, इसलिए हर बार हिमालयी कस्तूरी हिरण का शिकार बढ़ता ही जा रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा ही कि इनकी जनसँख्या में कमी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
हिमालयी कस्तूरी हिरण
Image Courtesy: Dibyendu Ash
केदारनाथ कस्तूरी हिरण अभ्यारण्य
अभ्यारण्य के अंदर ही खाराचुला खरक में एक बंदी प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया। जिसका मुख्य लक्ष्य था कस्तूरी हिरणों की जनसंख्या में वृद्धि लाना। पर दुःख की बात यह हुई कि यह उतना सफल नहीं हो पाया क्यूंकि यहाँ हिरणों की मौत कई विभिन्न कारणों से होने लगी, जैसे मृत्यु दर, जलवायु परिस्थितियां और संक्रमण की वजह से। इसलिए एक कस्तूरी हिरण जो बचा हुआ था उसे दार्जीलिंग ज़ू में स्थानांतरित कर दिया गया।
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अच्छी बात यह है कि आज के समय में कुछ कस्तूरी हिरणों को अभ्यारण्य में घूमते हुए पाया गया है। इस खबर ने वन्य जीवन संरक्षणवादियों को थोड़ी राहत दिलाई है क्यूंकि उन्हें लगता था कि वे पूरी तरह लुप्त हो चुके हैं।
हिमालयी मोनल
Image Courtesy: HRUDANAND CHAUHAN
केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य में अन्य जीव
इस अभ्यारण्य में कई अन्य स्तनधारी, जैसे हिम तेंदुए, लंगूर, हिमालयी काले हिरण, तेंदुए बिल्ली, पीले गले वाले मार्टिन, लाल रंग की उड़ने वाली गिलहरियां, आदि भी वास करते हैं। कई विदेशी पक्षी जैसे हिम तीतर, गाने वाले ग्रे कपोल, खालिज तीतर और हिमालयी मोनल भी यहाँ पाए जाते हैं।
केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य के पास स्थित धार्मिक स्थल
जैसा कि केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से ही ज़ाहिर है कि इस अभ्यारण्य का नाम प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के नाम पर रखा गया है। तो आपको केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे पहले इस अभ्यारण्य से गुज़रना होगा। केदारनाथ मंदिर, केदारनाथ के इस वन्यजीव अभ्यारण्य की बाह्य सीमा पर बसा हुआ है।
केदारनाथ
Image Courtesy: Kmishra19
केदारनाथ मंदिर के अतिरिक्त अन्य धार्मिक स्थल जैसे मध्यमेश्वर, तुंगनाथ, मन्दानी, रुद्रनाथ, गोपेश्वर, और अनसूया देवी भी केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य के पास ही स्थित हैं।
केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य की यात्रा का सही समय
जैसा कि यह हिमालय क्षेत्र में स्थित है, यहां ठण्ड मौसम की स्थित भी अपने चरम सीमा पर होती है। यह अभ्यारण्य सिर्फ अप्रैल से जून के महीने और सितम्बर से नवम्बर के महीने तक खुलता है।
तुंगनाथ
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केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य पहुँचें कैसे?
केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य, चोपता से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर और ऋषिकेश से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देहरादून से यह लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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रेल यात्रा द्वारा: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
हवाई यात्रा द्वारा: केदारनाथ पहुँचने के लिए देहरादून हवाई अड्डा सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है।
यह बड़े ही दुःख की बात है कि कस्तूरी हिरणों का शिकार बड़ी ही मात्रा में बढ़ता ही जा रहा है, जिसकी वजह से ये बिलकुल ही लुप्त होते जा रहे हैं। आज के समय में आप सिर्फ कुछ ही कस्तूरी हिरणों को देख पाएंगे। इसलिए यह हम सब की ज़िम्मेदारी है कि हम वन्यजीवों की रक्षा करें जो, हमारे पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने में मदद करते हैं।
"आपकी केदारनाथ की यात्रा मंगलमय हो!"
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