भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बसे नागालैंड ने देश दुनिया के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। चाहे इस राज्य की सभ्यता हो, संस्कृति को या फिर आदिवासी जन जातियां कई मायनों में ये राज्य ख़ास रहा है। "पूरब के स्विटजरलैंड" नाम से मशहूर नागालैंड का वन्य जीवन तथा समृद्ध वनस्पति और मनमोहक प्रकृति आपको मोहित करने के लिए पर्याप्त है। आज अपने इस लेख में हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं इसी खूबसूरत नागालैंड के एक ऐसे डेस्टिनेशन से जिसे सारामाटी पहाड़ियों से देखे जाने वाले नज़रों के लिए जाना जाता है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं नागालैंड के खूबसूरत किफिर की। किफिर नागालैंड का छोटा सा शहर है जो कि नागालैंड के ऐसे आकृषक स्थान पर बसा है जहां से नागालैंड के सर्वोच्च पर्वतीय शिखर सारामाटी के खूबसूरत दृश्यों का लुत्फ लिया जा सकता है। किफिर जिले के उत्तर में त्युएनसांग तथा पश्चिम में फेक जिला है जबकि पूर्व में यह म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है। ज्ञात हो कि किफिर, नागालैंड की राजधानी,कोहिमा से 254 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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किफिर के आस-पास घूमने लायक स्थानों में फाकिम वन्यजीव अभयारण्य, सलोमी व मिमी की गुफाएं शामिल हैं।इसके अलावा 'लवर्स पैराडाइज', सुखायप चट्टान भी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। किफिर के पास सिमी गांव की यात्रा पर पर्यटक ववाडे झरने के बहते पानी का भी आनंद ले सकते हैं। तो आइये इस लेख के जरिये जानें कि अपनी किफिर की यात्रा पर आपको क्या क्या अवश्य देखना चाहिए।
फाकिम वन्यजीव अभयारण्य
किफिर जिले में स्थित फाकिम वन्यजीव अभयारण्य प्रकृति व वन्यजीव प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल है।यह अभयारण्य तेंदुए, बाघ, जंगली भैंसें, ऊलक बंदर तथा मिथुन जैसे कई वन्यजीवों का वास माना जाता है। नागालैंड में सबसे लोकप्रिय पक्षी " हार्नबिल"भी फाकिम वन्यजीव अभयारण्य में बहुतायत में पाया जाता है। वन्यजीव अभयारण्य 642 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
वर्ष 1983 में स्थापित यह वन्यजीव अभ्यारण्य म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा हुआ है। अभयारण्य न केवल पशुओं का वासस्थल है, बल्कि यहां वनस्पतियां भी प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं। यहां खास तौर पर बोगीपोमा,बोनसुम, खासी,चीड़, अमारी, बलूत,गमरी, नाहोर, उरियम,हालक,आल्डर,शशि एवं कचनार के पेड़ पाये जाते हैं।
किस्तांग गांव
किफिर शहर के बाहरी इलाके में स्थित किस्तांग गांव है जिसे आपको अवश्य घूमना चाहिये जब भी आप नागालैंड के इस हिस्से की यात्रा पर आयें। संग्थम जनजाति के निवास वाला यह गांव ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है,जहां से आप नीचे स्थित घाटी के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों को देखने का लुत्फ उठा सकते हैं।
आपको ऐसी दिव्य अनुभूति होगी, मानो कि प्रकृति मां ने आपको अपनी गोद में ले लिया हो। कोहरे वाली सर्दियों की सुबह में,इस स्थान पर आने योग्य है, यदि आप नागालैंड के इस हिस्से की यात्रा पर हों। यहाँ का एक अन्य प्रमुख आकर्षण,सर्दियों के दौरान मध्य एशिया की कठोर ठंड से बचने के लिये यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों के झुंड हैं।
किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए यह स्वर्ग है क्योंकि यहां आप पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों जैसे कि लुप्तप्राय अमूर बाज जैसे पक्षी को देख सकते हैं। यह स्थान इस पक्षी की साइबेरिया से अफ्रीका के लिए इसकी उड़ान के दौरान एक पड़ाव स्थल है।
कैसे जाएं किफिर
फ्लाइट द्वारा : चूंकि नागालैंड में केवल दीमापुर हवाई अड्डा अकेला है, इसलिये पर्यटकों को किफिर तक पहुंचने के लिए पहले दीमापुर की उड़ान लेनी होती है, फिर सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करनी पड़ती है। दीमापुर किफिर से 471 किलोमीटर की दूरी पर है और सड़क मार्ग में लगभग 8 घंटे लगते हैं। अन्य हवाई अड्डों के विकल्प के रूप में जोरहाट और गुवाहाटी हवाई अड्डे हैं।
रेल द्वारा : किफिर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। दीमापुर में ही नागालैंड का एकमात्र रेलवे स्टेशन है। इस प्रकार यदि आप ट्रेन से नागालैंड की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको पहले दीमापुर पहुँचना होगा, फिर सड़क मार्ग द्वारा किफिर तक पहुँचा सकता है। दीमापुर से किफिर के लिए, नागालैंड राज्य परिवहन की नियमित बसें एवं निजी पर्यटक वाहन उपलब्ध हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन किफिर मरिअनी जंक्शन है।
सड़क मार्ग द्वारा : किफिर राष्ट्रीय राजमार्ग 155 से शेष नागालैंड से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग किफिर को कोहिमा, मेलुरी, दीमापुर और मोकोचुंग से जोड़ता है। नागालैंड में राज्य परिवहन की नियमित बसें और निजी टैक्सियां कहीं से भी किफिर के लिए उपलब्ध हैं। राज्य राजमार्ग तुएनसांग-किफिर-मेलुरी को आपस में जोड़ता है।