भारत मन्दिरों का देश है,यहां आपको दो-दो कदम की दूरी पर मंदिर नजर आ जायेंगे। इनमे से कुछ मंदिर ऐसे भी है, जहां महिलायों का मंदिर के अंदर जान वर्जित है। लेकिन आज हम आपको भारत के एक अनोखे मंदिर और उसकी अनोखी परंपरा के बारे में बताएंगे जिस पर शायद आपको पहली बार में भरोसा न हो।
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भारत का अनोखा मंदिर कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर दक्षिण भारत के खूबसूरत राज्य केरल के कोल्लम में स्थित है....इस मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर भी पाबंदी लगी है। पुरुषों को इन मंदिरों में महिलाओं का रूप धारण करने के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है। केवल महिलाओं के कपड़े ही नहीं पूरे सोहल श्रृंगार करने के बाद ही पुरुषों को अनुमति मिलती है।
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इस मंदिर में मर्द सोलह श्रृंगार करके देवी की पूजा अर्चना करते हैं। पूजा करने के लिए वह नई नवेली दुल्हन के जैसे पूरी तरह सज धज कर मंदिर में जाते हैं और अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
कहां होता है ऐसा?
केरल कोल्लम जिले के कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर में देवी मां की पूजा की परम्परा वर्षों से चली आ रही है। हर साल इस मंदिर में एक उत्सव का आयोजन होता है। इस मंदिर में पूजा करने से पहले पुरुषों को भी महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करना आवश्यक होता है।
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कब मनाया जाता है?
कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर में हर साल 23 और 24 मार्च को चाम्याविलक्कू उत्सव मनाया जाता है। इस अनूठे उत्सव में पुरुष भी महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर सजते-संवरते हैं और पूरे सोलह श्रृंगार करने के बाद माता की आराधना करते हैं।PC:Gangadharan Pillai
हजारों की संख्या में आते हैं पुरुष श्रद्घालू
इस त्यौहार में हर साल हजारों की संख्या में पुरुष श्रद्घालू आते है। उनके तैयार होने के लिए मंदिर में अलग से मेकअप रूम बनाया जाता है। पुरूष महिलाओं की तरह न केवल साड़ी पहनते है, बल्कि ज्वैलरी, मेकअप और बालों में गजरा भी लगाते है। इस उत्सव में शामिल होने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। यही नहीं ट्रांसजेंडर भी इस मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं।
क्यों करते हैं ऐसा पुरुष?
पुरुष अच्छी नौकरी, सेहत और अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।ये परम्परा हजारों साल पुरानी है। मान्यता है कि इस मंदिर में देवी मां की मूर्ति खुद प्रकट हुई है।
मंदिर
बताया जाता है कि सालों पहले इस जगह कुछ चरवाहों ने महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर पत्थर पर फूल चढ़ाए थे। इसके बाद पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी। बाद में इसे एक मंदिर का रूप दिया गया।
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राज्य का खास मंदिर
सबसे खास बात यह है कि यह इस राज्य का ऐसा एकमात्र मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं है। बताया जाता है कि सालों पहले इस जगह कुछ चरवाहों ने महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर पत्थर पर फूल चढ़ाए थे। इसके बाद पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी।
PC: Gangadharan Pillai