पौराणिक कथाओ के अनुसार कहा जाता है कि मंडोर मंदोदरी(रावण की पत्नी) का जन्म स्थान हुआ करता था। इतिहास में यह राठौर वंश की राजधानी हुआ करती थी। पर अब शायद इस विरासत स्थल की चमक खोती हुई प्रतीत होती है, जबसे राव जोधा ने जोधपुर शहर की खोज कर अपनी राजधानी मेहरानगढ़ किले में स्थानांतरित कर ली। तब ही से मंडोर बाग़ की महत्ता भी कुछ कम हो गई है।
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एक सच्चे वास्तुकला के प्रेमी के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं होगी। वैसे यहाँ की सुन्दर वास्तुकला हर किसी को अपनी ओर खींची ले जाती है। हमारे ख्याल से शायद ही मंडोर बाग़ जोधपुर के पर्यटन स्थलों की सूचि में शामिल है। भले ही यह शहर के बीचो बीच स्थित है पर ऐसा लगता है कि इस ऐतिहासिक धरोहर का त्याग कर दिया गया है। एक अफवाह के अनुसार यहाँ के आसपास के निवासी इसे उल्टा किला भी कहते हैं, पर यहाँ के किले के उल्टे होने का ऐसा कोई सुबूत अब तक मिला नहीं है।
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तो चलिए आज हम मंडोर के ऐसे इतिहास की सैर पर चलते हैं जिसे सरकार द्वारा त्याग दिया गया है पर इसका आकर्षण और इसके अवशेष आज भी कई कहानियां बयां करते हैं।
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मंडोर का इतिहास
मंडोर का प्राचीन नाम 'मांडवपुर' हुआ करता था। राव जोधा ने मंडोर को असुरक्षित मानकर सुरक्षा के लिहाज से मेहरानगढ़ किले का निर्माण कर जोधपुर को बसाया था और अपनी राजधानी वहीं परिवर्तित कर दी थी।
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मंडोर का इतिहास
मंडोर मारवाड़ की पुरानी राजधानी रही है। ऐसा भी कहा जाता है कि मंडोर, लंकापति रावण का ससुराल होने की वजह से भी प्रसिद्द है।
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मंडोर का इतिहास
यह सांप्रदायिक सद्भाव और एकता का प्रतीक भी है क्यूंकि यहाँ तनापीर की दरगाह, मकबरे, जैन मंदिर तथा वैष्णव मंदिर सभी एक ही क्षेत्र में देखने को मिलते हैं।
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मंडोर का इतिहास
यहाँ कई सदियों से होली के दूसरे दिन राव के मेले का आयोजन भी किया जाता है। मेले में निभाई जाने वाली कई परंपराएं और रीतियाँ सदियों से चली आ रही हैं।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
आप मंडोर बाग़ के अंदर वास्तुकला के अद्भुत चमत्कार को देख कर आश्चर्यचकित रह जायेंगे।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
यहाँ अजीत पोल, देवताओं की साल व वीरों का दालान, मंदिर, बावड़ी, जनाना महल, एक थम्बा महल, नहर, झील व जोधपुर के विभिन्न महाराजाओं के स्मारक बने हैं, जो स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने हैं।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
राठौड़ वंश के राजाओं के स्मारक, मंडोर के किले और राजकीय संग्रहालय मंडोर बाग़ के प्रमुख आकर्षण हैं।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
यहाँ की सबसे दिलचस्प चीज़ें हैं यहाँ के दुर्ग में बने बड़े-बड़े प्रस्तर जिन्हें बिना किसी मसाले की सहायता से जोड़ा गया था।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
यहाँ बने स्मारक ऐसे स्मृति चिन्ह हैं जो यहाँ के प्रमुख सदस्यों के लिए बनवाये गए थे। इन्हें खाली गुम्बद के नाम से भी जाना जाता है जिन्हें राजाओं और राज्य के कुछ महत्वपूर्ण शख़्सियतों की याद में बनवाये गये थे।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
महाराजा अजीत सिंह और महाराजा जसवंत सिंह के प्रमुख स्मारक या छतरी यहाँ की दो प्रमुख रचनाएँ हैं। आप महाराजा जसवंत सिंह के स्मारक से बाग़ के आसपास और यहाँ के वातावरण का शानदार दृश्य देख सकते हैं।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
मंडोर किला मंडोर बाग़ के परिसर में ही स्थित है। किले की खूबसूरत और आलीशान रचना आपको विस्मित कर देगी।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
यहाँ एक संग्रहालय जिसे 'हॉल ऑफ़ हीरोज़(नायकों का कक्ष) कहा जाता है और एक मंदिर जो 33 करोड़ देवताओं को समर्पित है भी स्थापित हैं।
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मंडोर बाग़ के आकर्षण
'हॉल ऑफ हीरोज़' में चट्टान से दीवार में तराशी हुई पन्द्रह आकृतियां हैं जो हिन्दु देवी-देवतीओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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परित्यक्त विरासत
दुर्भाग्य की बात है कि यह एक सुनसान विरासत है। सरकार ने इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई है और किसी भी तरीके से इस पर ध्यान नहीं दिया है।
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परित्यक्त विरासत
अब तो मंडोर बाग़ बस बंदरों का घर बनकर रह गया है। आज यह जगह पूरी तरह से ध्वस्त अवस्था में पड़ी है और कोई भी किसी भी तरह की जानकारी के निशान यहाँ पर उपलब्ध नहीं हैं।
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परित्यक्त विरासत
पर यहाँ का इतिहास से जुड़ा एक खास आकर्षण आपको हर समय यहाँ की सुंदरता के दर्शन करने को पुकारेगा।
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महत्वपूर्ण दिशानिर्देश
कृपया अपने साथ किसी भी तरह के खाने की वस्तु ना लेकर जाएँ, जैसा कि यहां पर बंदरों का वास है इसलिए। अपने सामानों के साथ सुरक्षा बरतें।
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महत्वपूर्ण दिशानिर्देश
बाग़ का अंदरुनी भाग या परिवेश उतनी अच्छी तरह से संरक्षित नहीं रखा गया है।
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महत्वपूर्ण दिशानिर्देश
बाग़ के आसपास ही सड़कों पर कुछ छोटे-छोटे दुकान लगे हुए हैं जहाँ से आप कोई भी छोटी-मोटी चीज़ें निशानी के तौर पर खरीद सकते हैं।
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महत्वपूर्ण दिशानिर्देश
जैसा कि हमने आपको बताया यहाँ जानकारी के लिए कोई भी सुचना बोर्ड यह जानकारी सम्बंधित चीजें नहीं हैं तो बेहतर होगा कि आप खुद ही पूरे जगह की सैर कर इसे बारीकी से जानें।
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मंडोर बाग़ पहुँचें कैसे?
आप मंडोर सड़क यात्रा द्वारा आराम से पहुँच सकते हैं क्यूंकि यह जोधपुर शहर के बिलकुल केंद्र में स्थित है। आप कोई भी टैक्सी या ऑटोरिकशा बुक कर यहाँ तक पहुँच सकते हैं।
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मंडोर बाग़ पहुँचें कैसे?
कहा जाता है कि मंडोर मांडवा का ही एक प्राचीन नगर है। जोधपुर के गठित होने तक यह ऐतिहासिक स्थल एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। बाद में जोधपुर के गठित हो जाने के बाद इसकी प्रमुखता खो गई और यह एक त्याग दिए गए नगर की तरह बन गया।
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मंडोर बाग़ पहुँचें कैसे?
मंडोर का मंडोर बाग़ आपको अद्भुत संरचनाओं के माध्यम से एक प्रमुदित इतिहास की सैर पर ले जायेगा।
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