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अगर देखना है शेर और बकरी की लड़ाई तो जरुर जाएँ मेहरानगढ़ किला

जोधपुर स्थित मेहरानगढ़ भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है और भारत के समृद्धशाली अतीत का प्रतीक है।

By Goldi

हमने आपको अपने लेखो के जरिये राजस्थान के कई खूबसूरत किलो, मन्दिरों और शहरो से रूबरू कराया इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहें हैं जोधपुर के मेहरानगढ किले के बारे में। मेहरानगढ़ भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है और भारत के समृद्धशाली अतीत का प्रतीक है।

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जोधपुर जोधपुर

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किले के अंदर कुछ महल है, जिन्हें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि के नाम से जाना जाता है।आइये स्लाइड्स में जानते हैं किले से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

मेहरानगढ़ का किला

मेहरानगढ़ का किला

मेहरानगढ़ के किले का निर्माण 1460 में राव जोधा ने किया था, यह किला शहर से 410 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और मोटी दीवारों से संलग्नित है।
PC: Uri Sittan Tripo

सात दरवाजों का है किला

सात दरवाजों का है किला

मेहरानगढ़ किले में कुल सात दरवाजे है, जिनमे जयपाल (अर्थ - जीत) गेट का भी समावेश है, जिसे महाराजा मैन सिंह ने जयपुर और बीकानेर की सेना पर मिली जीत के बाद बनाया था। फत्तेहपाल (अर्थ - जीत) गेट का निर्माण महाराजा अजित सिंह ने मुघलो की हार की याद में बनाया था। किले पर पाए जाने वाले हथेली के निशान आज भी हमें आकर्षित करते है।PC:Varun Shiv Kapur

महल

महल

किले के अंदर कुछ महल है, जिन्हें मोती महल, फूल महल, शीश महल, झांकी महल, आदि के नाम से जाना जाता है।PC: Nkansara

मोती महल

मोती महल

मोती महल, जिसे पर्ल पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, किले का सबसे बड़ा कमरा है। यह महल राजा सूर सिंह द्वारा बनवाया गया था, जहां वे अपनी प्रजा से मिलते थे। यहाँ, पर्यटक 'श्रीनगर चौकी', जोधपुर के शाही सिंहासन को भी देख सकते हैं। यहाँ पाँच छिपी बाल्कनी हैं जहां से राजा की पाँच रानियाँ अदालत की कार्यवाही सुनती थी। PC : Honza Soukup

फूल महल

फूल महल

फूल महल, मेहरानगढ़ किले के विशालतम अवधि कमरों में से एक है। यह महल राजा का निजी कक्ष था। इसे फूलों के पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, इसमें एक छत है जिसमें सोने की महीन कारीगरी है। महाराजा अभय सिंह ने 18 वीं सदी में इस महल का निर्माण करवाया। माना जाता है कि मुगल योद्धा, सरबुलन्द खान पर राजा की जीत के बाद अहमदाबाद से यह सोना लूटा गया था। शाही चित्र और रागमाला चित्रकला महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान महल में लाये गये थे।PC:Kroisenbrunner

शीशा महल

शीशा महल

शीशा महल, सुंदर शीशे के काम से सजा है। आगंतुक शीशा महल में चित्रित धार्मिक आकृतियों के काम को देख सकते हैं। इसे 'शीशे के हॉल' के रूप में भी जाना जाता है। एक तखत विला, जिसे तखत सिंह द्वारा बनवाया गया था, भी देखा जा सकता है। ये जोधपुर के अंतिम शासक और मेहरानगढ़ किले का निवासी थे। विला का वास्तुशिल्प पारंपरिक और औपनिवेशिक दोनों शैलियों को प्रदर्शित करता है।
PC:Varun Shiv Kapur

झाँकी महल

झाँकी महल

झाँकी महल, जहाँ से शाही महिलायें आंगन में हो रहे सरकारी कार्यवाही को देखती थीं, एक सुंदर महल है। वर्तमान में, यह महल शाही पालनों का एक विशाल संग्रह है। ये पालने, गिल्ट दर्पण और पक्षियों, हाथियों, और परियों की आकृतियों से सजे हैं।PC:Jparande

म्यूजियम

म्यूजियम

मेहरानगढ़ किले का म्यूजियम राजस्थान के बेहतरीन और सबसे प्रसिद्ध म्यूजियम में से एक है। किले के म्यूजियम के एक विभाग में पुराने शाही पालकियो को रखा गया है, जिनमे विस्तृत गुंबददार महाडोल पालकी का भी समावेश है, जिन्हें 1730 में गुजरात के गवर्नर से युद्ध में जीता गया था। यह म्यूजियम हमें राठौर की सेना, पोशाक, चित्र और डेकोरेटेड कमरों की विरासत को भी दर्शाता है।
PC:Jean-Pierre Dalbéra

क़ुतुब मीनार से भी ऊँचा है मेहरानगढ़ किला

क़ुतुब मीनार से भी ऊँचा है मेहरानगढ़ किला

बता दें कि जोधपुर का मेहरानगढ़ किला 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। इस तरह से यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई (73मीटर) से भी ऊंचा है।PC: Ajay Parikh 103

चामुंडा देवी मंदिर

चामुंडा देवी मंदिर

पर्यटक किले पास चामुंडा देवी का मंदिर भी देख सकते हैं । राव जोधा ने 146 0 मे मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की। इस मंदिर में आज भी नवरात्रि के दिनों मे विशेष पूजा अर्चना की जाती है।PC:Antoine Taveneaux

कैसे पहुंचे

कैसे पहुंचे

हवाई जहाज द्वारा
पर्यटक जोधपुर एयरपोर्ट द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं..यह से नियमित शहरों के लिए उड़ाने उपलब्ध है। एयरपोर्ट से पर्यटक टैक्सी या कैब द्वारा मेहरानगढ़ किला पहुंच सकते हैं।

ट्रेन द्वारा
पर्यटक जोधपुर ट्रेन द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं...जोधपुर स्टेशन से ट्रेन सभी मुख्य शहरो के लिए नियमति ट्रेन सुविधा है।

बस द्वारा
जोधपुर देश के गंतव्‍य स्‍थलों तक सड़क मार्ग द्वारा भली - भांति जुड़ा हुआ है। नई दिल्‍ली और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती है। दिल्‍ली और आगरा के बीच का यह सड़क मार्ग गोल्‍डन ट्रैवल क्षेत्र का हिस्‍सा है।PC: Schwiki

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