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आलमपुर के नवब्रह्मा मंदिर का महत्व!

क्या यह आपको कोई साज़िश नहीं लगती की कैसे पौराणिक कथाओं को पुरानी धरोहरों से जोड़ा गया है? कभी कभी ऐसा भी लगता है की उन कथाओं को बनाया ही गया है इन संरचनाओं को प्रसिद्ध करने के लिए। तथापि हम इससे इनकार नहीं कर सकते कि पौराणिक कथाओं और कुछ ऐतिहासिक रचनाओं ख़ासकर की मंदिरों को इस तरह से जोड़ा गया है कि हमारी जिज्ञासा कई सालों तक उसमें बनी रहती है। आलमपुर के नवब्रह्मा की कथा को भी इसी तरह से जोड़ा गया है।

आलमपुर जो नल्लामाला पहाड़ियों के नीचे बसा है, को दक्षिण काशी के नाम से अच्छी तरह जाना जाता है। यह ना ही सिर्फ़ नवब्रह्मेश्वरा तीर्थ होने की वजह से प्रसिद्ध है, बल्कि तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों का मिलन स्थान होने की वजह से भी प्रसिद्ध है।

Alampur Temple

आलमपुर के मंदिर
Image Courtesy:
RaghukiranBNV

कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा ने यहाँ पर तपस्या की, जिससे भगवान शिव जी ने खुश होकर उन्हें आशीर्वाद दिया,दुनिया की रचना करने की शक्ति का। इसलिए भगवान शिव को ब्रह्मेश्वरा कहा जाता है।

नव मतलब नौ, आलमपुर में नौ मंदिर हैं जो भगवान शिव जी को समर्पित हैं। इस पवित्र मंदिर के प्रमुख देवी देवता भगवान शिव और जोगुलम्बा(देवी सती) हैं।

आलमपुर का यह मंदिरों का नगर कुछ राजवंशों के शासनकाल के अधीन भी रहा था और इसने कई युद्ध और आक्रमण देखे हैं।

Jogulamba Temple

जोगुलम्बा मंदिर
Image Courtesy: RaghukiranBNV

बादामी चालुक्यों ने आलमपुर में तारका ब्रह्मा मंदिर, बाला ब्रह्मा मंदिर, स्वर्ग ब्रह्मा मंदिर, पद्मा ब्रह्मा मंदिर, गरुड़ ब्रह्मा मंदिर, अरका ब्रह्मा मंदिर, कुमार ब्रह्मा मंदिर, वीर ब्रह्मा मंदिर और विश्व ब्रह्मा मंदिर बनवाए, जिन्हें नवब्रह्मा मंदिर के नाम से जाना जाता है।

कहा जाता है कि असली जोगुलम्बा मंदिर एक युद्ध में नष्ट हो गया था। आलमपुर के जोगुलम्बा मंदिर को शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को दोबारा से सन् 1930 में बनवाया गया। जोगुलम्बा की खंडित प्रतिमा को बाला ब्रह्मा मंदिर में संरक्षित रखा गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती जब आत्मदाह कर रही थीं उनके उपर के जबड़े और दाँत टुट कर नीचे गिर जाते हैं। इसलिए यह स्थान शक्ति पीठ के नाम से प्रख्यात है।

Sangameshwara Temple

संगमेश्वर मंदिर
Image Courtesy: Arun Kota

आलमपुर पहुँचने का रास्ता

सड़क यात्रा: हैदराबाद से आलमपुर लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर है। हैदराबाद से आपको करनूल आना होगा जिसके लिए आपको वहां से बाईं ओर विचलन करना होगा जहाँ से करनूल 15 किलोमीटर की दूरी पर है। जोगुलम्बा मंदिर का एक आर्क वहाँ पर यात्रियों का स्वागत करता है जहाँ से आलमपुर नगर लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है।

रेल यात्रा: हैदराबाद से करनूल स्टेशन तक के लिए रेल यात्रा की सुविधा उपलब्ध है।

क्लिक: करनूल कैसे पहुँचें?

क्लिक: हैदराबाद कैसे पहुँचें?

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