क्या आप राजस्थान की साल्ट सिटी को जानते हैं? क्या नहीं जानते..तो आज इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहें है उत्तर भारत स्थित साल्ट सिटी के बारे में।
ये है उत्तरभारत के 8 रोमांटिक हनीमून डेस्टिनेशन
साल्ट सिटी राजस्थान के जोधपुर जिले में फलोदी के नाम से मशहूर है। यह स्थान महान थार मरुस्थल के 'गोल्डेन सिटी' जैसलमेर और 'सन सिटी' जोधपुर शहरों के बीच स्थित है। यह काफिलों का पुराना केन्द्र है जहाँ अभी भी मरुस्थल के जहाज, ऊँट पर नमक का व्यापार होता है।
फलोदी जोधपुर दूसरा सबसे बड़ा कस्बा है। फलोदी का इतिहास 15वीं सदी का है और तब इस शहर को 'फलवरिधिका' के नाम से जाना जाता था। 1547 में राव मालदेव राठौर यहाँ के शासक थे किन्तु 1578 में यह बीकानेर के राजा के अधीन आ गया। 1615 में राव सूर सिंह के सत्ता में आने पर यह जोधपुर का भाग बन गया।
फलोदी में आप ऐतिहासिक इमारतों और प्राचीन मन्दिर, किले देखने के साथ साथ प्रवासी पक्षियों को भी निहार सकते हैं। क्षेत्र के खीकन गाँव में पर्यटक भारी संख्या में प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं।
फलोदी किला
फलोदी किला इस जगह का प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। इस किले को मारवाड़ के राजा राव सुजा के पौत्र राव हम्मीर नरावत ने सन् 1488 में बनवाया था। यह 300 साल पुराना किला अपने वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है।
लाल निवास, फलोदी
फलोदी में स्थित लाल निवास एक सुन्दर हवेली है। इस इमारत को लाल रेतीले पत्थरों से बनाया गया है जो इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं। इस आवासीय महल को सन् 1750 में बनवाया गया था। वर्तमान में यह क्षेत्र के लोकप्रिय हेरिटेज होटल के रूप में सेवारत है।
रामदेवरा मन्दिर
फलोदी में स्थित रामदेवरा मन्दिर लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। यह मन्दिर अपनी 8वीं सदी का प्राचीन प्रतिमा के लिये प्रसिद्ध है।
क्या करें
यात्रा बिना शॉपिंग के पूरी नहीं होती और जब आप राजस्थान में हो और खरीददारी ना करें ..तो फिर बेकार है राजस्थान की यात्रा..अगर आप फलोदी में हैं तो आप यहां से शानदार डिज़ाइन की प्रसिद्ध जूतियाँ, रंग-बिरंगी लाख की चूड़ियाँ अदि खरीद सकते हैं।
बर्डवाचिंग का ले मजा
फलोदी स्वे कुछ दूर स्थित खीकन गाँव में पर्यटक भारी संख्या में प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं। यह फलोदी से 5 किमी की दूरी पर है और डेमॉइसिले सारसों, जिन्हें स्थानीय लोग कुर्जा कहते हैं, का अस्थाई वासस्थान है। अगस्त से मार्च के बीच का समय इस अद्वितीय पक्षी प्रजाति को देखने का आदर्श समय है जो दक्षिण-पश्चिम यूरोप, यूक्रेन, पोलैण्ड जैसे स्थानों से लम्बी दूरी तय करके खीकन गाँव में थोड़े समय के लिये रुकते हैं। इन पक्षियों के अस्थाई वासस्थान होने की अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के कारण इस गाँव को 'डेमॉइसिले सारसों का गाँव' के रूप में जाना जाता है।PC:Aarav Sangar
जरुर चखे राजस्थानी खाना
फलोदी में आप लजीज राजस्थानी खाने का स्वाद जरुर ले..वरना इसके बिना आपकी यात्रा अधूरी ही रह जाएगी।
कैसे पहुंचे
नमक का शहर, फलोदी वायु, रेल एवं सड़क मार्गों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वायु मार्ग द्वारा
फलोदी का निकतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाईअड्डा है जोकि 135 किमी की दूरी पर स्थित है। विदेशी पर्यटक दिल्ली के इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से यहाँ तक पहुँच सकते हैं। यह अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, गुवाहाटी और बंगलूरू जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से नियमित उड़ानों के द्वारा जुड़ा हुआ है।फलोदी के लिये हवाईअड्डे से टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध रहती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
पर्यटक बीकानेर, जैसलमेर, लालगढ़, पुरानी दिल्ली और जोधपुर से गाड़ियों द्वारा भी यहाँ तक पहुँच सकते हैं। आरामदायक और सुविधाजनक बस सेवाओं के द्वारा भी यहाँ तक पहुँचा जा सकता है। जोधपुर, अजमेर, जयपुर, बेवर, आगरा, इलाहाबाद और कानपुर जैसे प्रमुख पर्यटक गन्तव्यों से यात्री निजी अथवा सरकारी बस सेवाओं का लाभ ले सकते हैं।PC:Tanveersingh07
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