हिमालय के सर पर सजे विशाल शिखर जो किसी ताज की तरह भारत का गौरव बढ़ाते हैं मैं आपको उन विशाल शिखरों की अधिकतर सैर करा ही चुकी हूँ। लेकिन आज मैं आपको बताऊँगी धरती का अंतिम छोर जो खूबसूरत समुद्र को अपनी आगोश में समेटे हुए है। जी हाँ दोस्तों मैं बात कर रही हूँ पर्यटकों के आकर्षणों में से एक कन्याकुमारी की।
जहाँ तक नज़र उठाओ वहां तक ऐसा व्यतीत होता है जैसे नीली रेशमी चादर सिलवटों में सिमटती अपना रंग बिखेर रही हो। समुद्र का कल कल करता पानी मन को सुकून देता है। कन्याकुमारी खूबसूरत पर्यटन स्थल होने के साथ साथ तीर्थ स्थल भी है। तो दोस्तों इस वेकेशन क्यों न धरती का आखिरी छोर कन्याकुमारी की सैर की जाए।
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कन्याकुमारी मंदिर
कन्याकुमारी मंदिर बेहद लोकप्रिय है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अधिकतर आस्थाओं में डूबे पर्यटक इस मंदिर को भारत का रखवाला भी मानते हैं। यह मंदिर समुद्र तट पर ही है जो कि समुद्र की लहरें इससे टकराती और भी खूबसूरत लगती हैं।
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विवेकानंद स्मारक
विवेकानंद स्मारक समुद्र की बीच में एक बड़ी चट्टान पर बना हुआ है कहा जाता है इसी स्थान पर विवेकानंद ने अपनी तपस्या की थी। इस स्मारक में विवेकानंद की विशाल प्रतिमा भी है। इस स्मारक तक पहुँचने के लिए फेरी सर्विस की अच्छी व्यवस्था है। जिसके ज़रिये आप विवेकानंद स्मारक पहुंच सकते हैं।
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गांधी स्मारक
गांधी स्मारक कन्याकुमारी मंदिर के पास ही में मौजूद है। बताया जाता है कि गांधी जी के अस्थिकलश को यहीं रखा गया है। गांधी स्मारक में आप गांधी जी के जीवन से जुड़ीं चीज़ों को भी देख सकते हैं।
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गुगनंत स्वामी मंदिर
गुगनंत स्वामी मंदिर तक़रीबन 100 साल पुराना है कहा जाता है कि इसे चोल राजा द्वारा बनवाया गया था। जो की कन्याकुमारी के पर्यटन स्थलों में से एक है। जिसे पर्यटक बड़ी चाव से देखने आते हैं।
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कवि तिरुवल्लुवर की विशाल प्रतिमा
कन्याकुमारी के दर्शनीय स्थलों में से एक है कवि तिरुवल्लुवर की विशाल प्रतिमा जो की एक विशाल चट्टान पर बनी हुई है। यह विशाल प्रतिमा कन्याकुमारी मंदिर में चार चाँद बिखेर देती है। यह पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करने में सदा कामयाब रही है। बताया जाता है इसे 5000 शिल्पकारों ने मिलकर बनाया था।
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विवेकानंद रॉक मेमोरियल
विवेकानंद रॉक मेमोरियल समुद्र में उभरी दूसरी विशाल चट्टान पर मौजूद है। यह चट्टान पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचने में समर्थ है। कहा जाता है जब विवेकानंद कन्याकुमारी आये थे तब वह इस चट्टान पर बैठकर जीवन के कर्म-बंधन को महसूस किये थे यहीं पर उन्हें ज्ञान अर्जित हुआ था।
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उदयगिरि किला
अगर आप कन्याकुमारी आने की सोच रहे हो तो इस किले में आना मत भूलियेगा हालांकि यह किला कन्याकुमारी से 34 किलोमीटर दूर है। परन्तु पर्यटकों के आकर्षणों में से यह एक है।
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नागरकोइल
नागरकोइल में नागराज मंदिर बेहद लोकप्रिय है। इस मंदिर में नटराज, विष्णु और शिव की प्रतिमाएं मौजूद हैं जो की दर्शनीय हैं। यह कन्याकुमारी से तक़रीबन 13 किलोमीटर दूर होगा।
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सुचिंद्रम
सुचिंद्रम मंदिर अपनी कलात्मक शैली के लिए विश्व प्रसिद्ध है जो की 9 वीं शताब्दी की निशानी है यह लगभग कन्याकुमारी से 13 किलोमीटर दूर होगा।
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वायु मार्ग द्वारा
कन्याकुमारी कैसे जाएँ इसकी अधिक जानकारी के लिए बस एक क्लिक करें और पाएं फ्लाइट,ट्रेन,बस और टैक्सी की अधिक जानकारियां। निकटतम हवाई अड्डा त्रिवेंद्रम है। त्रिवेंद्रम कन्याकुमारी से लगभग 93 किलोमीटर दूर है। यह नगर दिल्ली,मुंबई,सेठानी,कोचीन,बैंगलोर आदि शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। त्रिवेंद्रम से कन्याकुमारी तक बस,टैक्सी तथा ट्रेन द्वारा पहुंचा जा सकता है।
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रेल मार्ग द्वारा
रेल मार्ग द्वारा कन्याकुमारी देश के सभी महत्वपूर्ण भागों से जुड़ा हुआ है। प्रमुख रेल सेवाओं में 6318 हिमसागर एक्सप्रेस, 1081 कन्याकुमारी एक्सप्रेस, 6788 मदुरैलिंक एक्सप्रेस आदि।
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सड़क मार्ग द्वारा
दक्षिण भारत के सभी प्रमुख शहरों से यहाँ के लिए अच्छी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। कन्याकुमारी सड़क मार्ग द्वारा कैसे जाएँ और कहाँ कहाँ ठहरें किस रुट से जाएँ इन सबकी जानकारी के लिए क्लिक करें
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कन्याकुमारी में कहाँ ठहरें
कन्याकुमारी में कहाँ कैसे किस होटल में किस जगह ठहरें इन सबकी जानकारी के लिए क्लिक करें
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कन्याकुमारी कब जाएँ
पर्यटन की दृष्टि से अक्टूबर-नवंबर के महीने यहाँ गुमने के लिए उत्तम हैं। कन्याकुमारी के मौसम के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें
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