भारत के 29वें राज्य के नाम से जाने जाना वाला तेलेंगाना एक बेहद ही खूबसूरत राज्य है..जो पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। बता दें, तेलेंगाना राज्य केदो बड़े हिस्सों मेडक और वारंगल का भाग है जो कि पहले आंध्रप्रदेश से जुड़ा हुआ था।
तेलेंगाना भारत का वो स्थान है जो हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यदि भौगोलिक तौर पर देखा जाये तो वर्तमान तेलेंगाना की सरहद उत्तर और उत्तर पश्चिम में महाराष्ट्र, उत्तर पूर्व मेंछत्तीसगढ़, पश्चिम में कर्नाटक और पूर्व में ओडिशा से मिलती है।
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यहां हैदराबाद स्थित चार मीनार, थए पापी हिल और कुंतला वॉटरफॉल्स आने वाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं। साथ ही इस राज्य में कई ऐसे मंदिर भी मौजूद है..जिन्हें देखन एके लिए पर्यटक खींचे चले आते हैं।तो बिना देर किया नजर डालते हैं तेलेंगाना के खास पर्यटन स्थलों पर
हैदराबाद
हैदराबाद तेलेंगाना की राजधानी है। इसकी स्थापना कुतुब शाही वंश के शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाही ने 1591 में की थी। मूसी नदी के किनारे पर बसा यह एक खूबसूरत शहर है। हैदराबाद में घूमने लायक कई स्थान है और यह पर्यटकों के साथ-साथ इतिहासकारों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। हैदराबाद और आसपास के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में चारमीनार, गोलकुंडा किला, सलार जंग संग्रहालय और हुसैन सागर झील शामिल है।PC: Prasanth Kumar Dasari
मेडक
मेडक आंध्र प्रदेश राज्य के मेडक जिले में स्थित है और यह राज्य की राजधानी हैदराबाद से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। मेडक के साथ बेहद दिलचस्प इतिहास जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि
इस शहर का मूल नाम सिद्धपुरम था, जिसे बाद में बदलकर गुलशानबाद कर दिया गया। काकतीय राजवंश के शासनकाल के दौरान यह शहर प्रगति पर था।PC: Fazilsajeer
खम्माम
खम्माम शहर दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में स्थित है, खम्माम और उसके आसपास कई ऐसे स्थान हैं जिनका आप आनंद ले सकते हैं। इनमें से, सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में खम्माम किला, जमालपुरम मंदिर और खम्माम लक्ष्मी नृसिंह मंदिर शामिल हैं। क्षेत्र के प्रमुख भ्रमण स्थलों में पालार झील, पापी कौंडलु की पहाड़ियां और वायार झील शामिल हैं। यह शहर राजधानी हैदराबाद की पूर्वी दिशा में 273 किलोमीटर दूर स्थित है और आंध्र प्रदेश आने वाले यात्रियों का एक पसंदीदा स्थान है।
PC:Pranayraj1985
वारंगल
वारंगल भारत के दक्षिणी राज्य आन्ध्रप्रदेश का एक जिला है और 12वीं से 14वीं ईस्वी के मध्य ककातिया शासकों की राजधानी था। राज्य का पाँचवाँ सबसे बड़ा शहर वारंगल अपने विशाल टीले, जिसे कि एक बड़ी चट्टान से काट कर बनाया गया है, के कारण प्राचीन समय में ओरगूगौलू या ओम्टीकोण्डा के नाम से जाना जाता था। वारंगल शहर वारंगल जिले में स्थित है जो हनामाकोण्डा और काजीपेट से मिलकर बना है।
PC:Anuragg7990
निजामाबाद
निजामाबाद जगह राज्य का 10वां सबसे बड़ा शहर है। 8वीं शताब्दी के दौरान, शहर इंद्र वल्लभ पंत्य वस्रहा इंद्र सोम के शासनकाल के अंतर्गत था, जो राष्ट्रकूट वंश के थे। इस जगह का नाम इंद्रपुरी राजा के नाम पर रखा गया।
नलगोंडा
नलगोंडा दो तेलुगु शब्दों का एक संयोजन है, नल्ला और कोंडा क्रमश: 'ब्लैक' और 'हिल' के लिए है। इसलिए, स्थानीय भाषा में नाम का मतलब है ब्लैक हिल। पहले नलगोंडा क्षेत्र नीलगिरि नाम से जाना जाता था। बामनों के शासनकाल के दौरान इस शहर का नल्लागोंडा के रूप में फिर से नामकरण किया गया था। निजामों के शासन के दौरान शासकीय प्रयोजनों के लिए इसको नलगोंडा के रूप में बुलाया जाने लगा।
आदिलाबाद
स्थानीय मिथकों के अनुसार इस शहर को इसका नाम मुहम्मद आदिल शाह से मिला है जो किसी समय बीजापुर के शासक थे। आदिलाबाद का इतिहास बहुत रोचक है क्योंकि किसी समय यह शहर विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के संगम का उत्कृष्ट उदाहरण था। इस स्थान पर कई उत्तर भारतीय राजवंशों ने शासन किया जैसे कि मौर्य, नागपुर के भोंसले राजा और मुग़ल।
खानपान
भोजन और खानपान के क्षेत्र में भी आज तेलेंगाना अपनी एक ख़ास पहचान रखता है। यदि आप राज्य के भोजन को देखें तो आपको मिलेगा कि राज्य का भोजन दो भागों तेलुगू और हैदराबादी क्यूजीन में वर्गीकृत है। जहां तेलुगू क्यूजीन शुद्ध दक्षिण भारतीय क्यूजीन है तो वहीं हैदराबादी क्यूजीन में आपको अरब तुर्की और मुगलाई स्वाद का मिला जुला जायका चखने को मिलेगा।