राजकोट, सौराष्ट्र राज्य की पूर्व राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। हालांकि, राजकोट अब कोई राजधानी नहीं है लेकिन इसका अतीत अत्यंत सुंदर और गरिमामयी है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण यहां पर्यटक भारी मात्रा में सैर करने आते है। ब्रिटिश काल में राजकोट को काफी मान्यता प्राप्त थी। आपको बताते चलें कि राजकोट को 1620 ई. में ठाकुर साहिब विभोवाजी अजीजो जडेजा, जामनगर शाही वंशज के द्वारा स्थापित किया गया था।
राजकोट का नाम, सह - संस्थापक राजू सिंधी के बाद नामित किया गया था। आपको बताते चलें कि ठाकुर साहिब को गुजरात में मुगल सम्राट से क्षेत्र को छुड़ाने में मदद के लिए सम्मानित किया गया था। इन सभी के साथ, उन्होने स्थानीय काठी जनजाति का सामना किया और जूनागढ़ के शासक की शक्ति बने।
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यदि बात राजकोट में मौजूद पर्यटन के बिन्दुओं पर हो तो यहां ऐसा बहुत कुछ है जिसके चलते देश विदेश के पर्यटक इस खूबसूरत शहर की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। आइए इस लेख के जरिये जानें कि अपनी राजकोट यात्रा पर ऐसा क्या है जो आपको अवश्य देखना चाहिए।
वाटसन संग्रहालय
सौराष्ट्र के क्षेत्र में यह सबसे पुराना संग्रहालय है, गुजरात में यह ऐसा स्थान है जहां भ्रमण करना आवश्यक है। यहां का हरा - भरा वातावरण और दिलचस्प कलाकृतियां व पेटिंग्स, इस जगह को पर्यटकों के बीच और अधिक आकर्षित बनाती है। यह संग्रहालय, जुबली गार्डन के रानी विक्टोरिया मेमोरियल इंस्टीट्यूट बिल्डिंग में स्थित है। इसका नाम कर्नल जॉन वाटसन के नाम पर रखा गया था जो 1881 और 1889 के दौरान काठियावाड एजेंसी के राजनीतिक एजेंट की स्थिति का आयोजन करते थे। जबकि संग्रहालय घर में वॉटसन के संग्रह के अलावा अन्य भी कई सामान रखे है जिनमें जनजाति के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान व कलाकृतियां आदि भी है।
बंजाना
बंजाना, सौराष्ट्र में स्थित भारतीय रियासतों में से एक है - एक ऐसा राज्य जो आजादी से पूर्व ब्रिटिश शासन का हिस्सा नहीं था। बंजाना, एक प्रसिद्ध पर्यटन हब है जो राजकोट में स्थित है और इसे यहां स्थित शाही सफारी कैम्प के कारण जाना जाता है जिसमें आप दुनिया प्रसिद्ध वाइल्ड आस वाइल्डलाइफ सेंचुरी की सैर कर सकते है जो कच्छ के लिटिल रण में स्थित है।
काबा गांधी नो डेलो
करमचंद्र गांधी, महात्मा गांधी के पिता थे, जिन्हे काबा गांधी के नाम से जाना जाता है जो राजकोट में पुराने घर में रहते थे, जो घी कांता रोड पर स्थित था। और महात्मा गांधी ने अपना प्रारम्भिक जीवन यहीं बिताया था। वर्तमान में, इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया है जिसे गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है, यहां गांधी जी के जीवन से जुड़े कई चित्र, कलाकृति और सामान रखे हुए है। यह स्थान, जनता के लिए सप्ताह के 6 दिन खुला रहता है, भ्रमण करने का समय सुबह 9 से शाम 5 है।
रामपारा वन्यजीव संरक्षण
वाइल्डलाइफ में दिलचस्पी रखने वाले लोग रामपारा वन्यजीव संरक्षण में अवश्य आएं। यहां उनके देखने और मनोरंजन के लिए काफी कुछ है। यह पूरी जगह हरियाली से भरा है जहां कई प्रकार के जीव रहते है, रंग - बिरंगी चिडियां आदि भी इस सेंचुरी में रहती है जिन्हे पर्यटक आसानी से निहार सकते है। यह अभयारण्य, शहर में स्थित सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहां समूहों में रहने वाले आकर्षक एंटीलोप्स रहते है इसके अलावा यहां आकर ब्लूबुल, सियार, हायना, चिंकारा और कई रंग - बिरंगी चिडियां रहती है।
खंभालिदा गुफा
हमारे देश में स्थित कई अन्य गुफाओं की तरह, इस गुफा की वास्तुकला भी आश्चर्यचकित कर देने वाली है। यह गुफा, राजकोट के गोंडल में स्थित है। वर्तमान में यहां तीन गुफाएं स्थित है, बीच वाली गुफा को चैत्या कहा जाता है जो एक स्तुप का घर है। यह चूना पत्थर से बना है। यह गुफा 4 - 5 वीं शताब्दी में बनाई गई थी।
जेटपुर
जेटपुर, राजकोट में कपड़ो की रंगाई के लिए विख्यात है जो जूनागढ़ के पास में ही स्थित है, यहां महिलाएं काफी रूचि से कपड़ों की खरीददारी करती है। इसे मिनी दुबई के नाम से जाना जाता है। यहां घरेलू उद्योग के तौर, ऊन को रंगा जाता है, स्क्रीन और ब्लॉक प्रिटिंग वर्कशॉप की जाती है, इस पूरी प्रकिया को यहां देखा जा सकता है कि कैसे कपड़े रंगे जाते है।
हिंगोलगढ़
हिंगोलगढ़, वन्यजीव के प्रति उत्साही है। यह स्थान, एक आकर्षक शिक्षा संस्थान के लिए जाना जाता है। इस अभयारण्य में वनस्पतियों और जीवों की विविध प्रजातियां पाई जाती है। इसे 1984 में एक पारिस्थितिकी केंद्र के रूप में घोषित किया गया था और इसे गुजरात ईकोलॉजिकल एजुकेशन और रिसर्च फांउडेशन के द्वारा नामित किया गया था। यहां कई प्रकार के सरीसृप और जानवरों का घर है, यहां पाएं जाने वाले पशुओं में चिंकारा, लोमड़ी, ब्लूबुल, हायना, साही और फ्लाइंग फॉक्स आदि शामिल है। यहां कई प्रकार की चिडियां जैसे - चित्तीदार फाख्ता, बुलबुल, कठफोडवा और अन्य पाएं जाते है।
कैसे जाएं राजकोट
फ्लाइट द्वारा : राजकोट में मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर एक छोटा सा एयरपोर्ट स्थित है। यह घरेलू हवाई अड्डा है जो गुजरात के और देश के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जेट एयरवेज और एयरइंडिया, राजकोट से मुम्बई के लिए नियमित उड़ाने भरते है। यह अहमदाबाद और भावनगर से आवधिक सेवा है। जेट एयरलाइंस की बंगलौर से राजकोट की उड़ान भी है।
रेल द्वारा : राजकोट जंक्शन, भारत के कोने - कोने से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां कई प्रकार की एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन आती है जो कई शहरों के लिए नियमित रूप से चलती है। दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता और चेन्नई आदि शहरों से यहां का रेल हेड अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा : राजकोट, गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा चलने वाली बसों की सहायता से पूरे राज्य से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह शहर गुजरात हाईवे से भी जुड़ा हुआ है। इस शहर में कई प्राईवेट बसें भी चलती है। राजकोट नगर निमग, यहां सीएनजी वाली बसें चलाते है जो शहर के भीतरी इलाकों में चलती है।