भारत मंदिरों का खज़ाना है, देवी देवताओं से लेकर जानवरों तक को यहाँ के मंदिर समर्पित हैं। यहाँ तक कि कई ऐसे भी मंदिर हैं जहाँ बाइकों(गाड़ियों) की पूजा की जाती है। ऐसी ही कुछ खास और अद्वितीय मंदिरों की तलाश करते हुए चलिए आज हम चलते हैं ऐसे मंदिर के दर्शन करने जो राजस्थान की एक महिला को समर्पित है।
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जी हाँ, आज हम यहाँ बात करेंगे ऐसे मंदिर की जो एक महिला को समर्पित है और यह राजस्थान में स्थित है। राजस्थान के झुनझुनु जिले में स्थित यह भारत के ऐसे मंदिरों में से एक है जो मनुष्यों को समर्पित है। इस अद्वितीय मंदिर का नाम एक राजस्थानी महिला, रानी सती के नाम पर पड़ा जो 13वीं से 17 वीं सदी तक यहाँ रहीं। जब रानी सती ने अपने पति के मरने के बाद सती प्रथा को अपनाते हुए आत्मदाह कर लिया तब वहां के लोगों ने उनको समर्पित इस मंदिर कर निर्माण किया। रानी सती को नारायणी नाम से भी जाना जाता है और प्यार से लोग उन्हें दादीजी भी कहते हैं।
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आइये आज हम चलते हैं ऐसे ही पवित्र और अद्वितीय मंदिर के दर्शन करने।
मंदिर की पौराणिक कथा
मंदिर के अस्तित्व की कहानी महाभारत के समय में हमें ले जाती है। ऐसा कहा जाता है कि नारायणी की इच्छा थी अभिमन्यु से विवाह करने की जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने आशीर्वाद देते हुए दोनों के अगले जन्म में पूरा किया।
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मंदिर की पौराणिक कथा
उस समय हिसार का राजा जो अभिमन्यु के घोड़े को जीतना चाहता था, उसने अपने पुत्र को अभिमन्यु से युद्ध करने के लिए भेजा ताकि वह उस युद्ध में उस घोड़े को जीत कर ला सके। उस युद्ध में राजा के बेटे को अभिमन्यु ने मार डाला और विजय प्राप्त की। गुस्से में राजा ने नारायणी के आँखों के सामने अभिमन्यु की हत्या कर दी।
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मंदिर की पौराणिक कथा
नारायणी, जो महिला शक्ति और बहादुरी की प्रतीक थीं, उसने उस राजा से लड़ाई की और उसे मार डाला। इसके बाद उन्होंने राणा जी, घोड़े के रखवाले को आदेश दिया कि उनके पति के अंतिम संस्कार के साथ उनकी भी आत्मदाह की तैयारी की जाये।
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मंदिर की पौराणिक कथा
सती के प्रति वफादार होने के नाते, राणाजी को आशीर्वाद प्राप्त हुआ कि पूजा में सती के नाम के साथ उनका भी नाम लिया जायेगा। इसलिए तब से उन्हें रानी सती कहा जाने लगा।
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मंदिर के प्रति लोक मान्यता
राजस्थान के स्थानीय लोगों का दृढ़ विश्वास है कि रानी सतीजी, स्त्री शक्ति की प्रतीक और मां दुर्गा का अवतार थीं। उन्होंने अपने पति के हत्यारे को मार कर बदला लिया और फिर अपनी सती होने की इच्छा पूरी की।
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मंदिर के प्रति लोक मान्यता
रानी सती मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। वैसे अब मंदिर का प्रबंधन सती प्रथा का विरोध करता है। मंदिर के गर्भ गृह के बाहर बड़े अक्षरों में लिखा है- हम सती प्रथा का विरोध करते हैं।
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मंदिर की वास्तुशैली
यह मंदिर मुख्यतः इस लिए भी जाना जाता है क्यूंकि यहाँ किसी भी देवी देवता की कोई भी छवि या चित्र नहीं है। बस मंदिर के मुख्य कक्ष में रानी सती की एक तस्वीर लगी हुई है और बाकि मंदिर की सारी दीवारें रंग बिरंगे चित्रों से सजी हुई हैं। पूरे मंदिर की रचना संगमरमर के पत्थर की बनी हुई है।
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मंदिर की वास्तुशैली
मंदिर परिसर के अंदर अन्य मंदिर भी स्थापित हैं जिनमें भगवान हनुमान, गणेश भगवान, सीता माता और शिव जी की पूजा की जाती है। मंदिर परिसर में षोडश माता का सुंदर मंदिर है, जिसमें 16 देवियों की मूर्तियां लगी हैं। परिसर में सुंदर लक्ष्मीनारायण मंदिर भी बना है।
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मंदिर की वास्तुशैली
मंदिर कई भित्ति चित्रों और अन्य चित्रों से भरा हुआ है जो उस जगह के इतिहास को बखूबी दर्शाते हैं। मंदिर परिसर के बिल्कुल केंद्र में शिव जी की एक बड़ी सी प्रतिमा स्थापित है जो चारों ओर बगीचे से घिरा हुआ है।
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रानी सती मंदिर पहुँचें कैसे?
राजस्थान का झुनझुनु क्षेत्र अन्य मुख्य शहरों जैसे, दिल्ली, जयपुर,जोधपुर और बीकानरे के सड़क मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। शहरों से झुनझुनु तक के लिए कई ट्रेन सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जयपुर में है जो यहाँ से लगभग 184 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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