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दशहरा उत्सव: पूरे साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं कानपूर के इस मंदिर के द्वार!

दशहरे का 10 दिनों तक मनाया जाने वाला पवित्र त्यौहार, जब दसवें दिन यानि की विजयदशमी के दिन रावण दहन की प्रथा पूरे देश में प्रचलित है। देशभर में जहाँ जगह-जगह लंकाधिपति रावण का दहन होता है, वहीं देश में एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ इस दिन रावण को पूजा जाता है।

जी हाँ, आपने बिलकुल सही पढ़ा! उत्तरप्रदेश के कानपूर शहर के शिवाला में रावण की पूजा होती है। यहाँ स्थित दशानन मंदिर में हर साल रावण को पुरे विधिविधान के साथ पूजा जाता है। भक्तगण पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ रावण को शक्ति के प्रतीक के रूप में यहाँ पूजते हैं। भक्तगण सरसों तेल के दिये जलाकर अपने रावण देवता से मन्नतों और शक्ति की कामना करते हैं।

Ravana Temple

Image Courtesy: Henryart

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दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर के दरवाज़े भक्तों के लिए पूरे साल में सिर्फ एक बार ही खुलते हैं। मंदिर का निर्माणकाल 147 साल पुराना है। दशानन मंदिर का निर्माण तब के सुप्रसिद्ध महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल द्वारा करवाया गया था। सन् 1868 में निर्मित यह मंदिर भगवान शिव जी के मंदिर के आगे बना हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण, भगवान शिव जी के परम भक्त थे और उस वक्त के सबसे ज्ञानी पुरुष भी। उन्होंने कई सालों तक उनकी तपस्या कर उनको खुश किया और उनसे वरदान प्राप्त किया।

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पूरे साल में सिर्फ एक बार, दशहरे के शुभ अवसर पर इस मंदिर के पट खोले जाते हैं। हज़ारों की भीड़ में रावण के भक्त उनके दर्शन कर उन्हें तेल के दिए से पूजते और मन्नत मांगते हैं।

Ravana Temple

दशानन मंदिर

दशानन मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित कैलाश मंदिर के परिसर में ही स्थापित है जहाँ माँ दुर्गा की 23 अवतारों की मूर्तियां स्थापित हैं। भगवान शिव जी के परमभक्त होने की वजह से शक्ति के प्रहरी के रूप में कैलाश मंदिर के परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया। ऐसा कहा जाता है कि रावण अपनी भक्तिभावना से भगवान शिव जी को खुश करने वाले सबसे पहले भक्त थे, जिन्होंने माँ दुर्गा की पूजा भी की थी। इसलिए मंदिर परिसर में रावण को माँ दुर्गा के सभी अवतारों के रक्षक के रूप में भी स्थापित किया गया।

कानपूर पहुँचें कैसे?

Ravana Temple

रावण दहन
Image Courtesy:
Pete Birkinshaw

रावण का जन्म दशमी के ही दिन हुआ था और उसी दिन उनकी मृत्यु भी हुई। शाम के समय जगह- जगह पर रावण दहन(वध) के बाद ही मंदिर के द्वार अगले एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। तो इस बार अगर आप दशहरे के मौके पर उत्तरप्रदेश में हैं, वो भी कानपूर के आमने-सामने ही तो रावण के इस अद्वितीय मंदिर के दर्शन करना मत भूलियेगा जहाँ जा आपको रावण की शक्ति और ज्ञान का पूर्ण एहसास होगा।

"दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं!"

अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।

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