भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य कर्नाटक के शिमोगा और चिकमगलूर जिले में स्थित है। पश्चिमी घाट के घने जंगलों से घिरा भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य टाइगर रिज़र्व के लिए प्रसिद्ध है। इसे मुथोड़ी वन्यजीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है एवं इस जगह को यह नाम यहां की बॉर्डर से मिला है। 490 स्क्वायर मीटर में फैले इस अभ्यारण्य को यह नाम यहां के जंगलों में बहने वाली भद्रा नदी से मिला है।
बैंगलोर से 350 किमी की दूरी पर बेहद खूबसूरत सागर कर रहा है आपका इंतजार
इस रिज़र्व में दो मुख्य क्षेत्र मुथोड़ी और लक्कावली हैं। भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघों की संख्या अधिक है इसलिए इसे 1998 में भारत सरकार द्वारा 25वां प्रोजेक्ट टाइगर घोषित किया जा चुका है। इस अभ्यारण्य की सबसे ऊंची चोटी कल्लाहाथीगिरि है जोकि समुद्रतट से 1875 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अभ्यारण्य की सीमाओं के भीतर मशहूर पर्वत श्रृंख्ला केम्मानगुंडी और बाबाबुदानगिरि भी मौजूद हैं।
आने का सही समय :
अक्टूबर से फरवरी तक इस अभ्यारण्य में आने का सही समय है।
इन चीज़ों को साथ लेकर जाएं :
जूते, बाइनोक्यूलरर्स, कैमरा, टॉच लाइट, स्नैक्स, पानी, हैट, सनशेड्स, इंसेक्ट रैपलेंट, रेनकोट, छतरी और अपनी जरूरत का अन्य सामान।PC:Dineshkannambadi
कैसे पहुंचे भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य
वायु मार्ग द्वारा : इससे निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर (185 किमी) और बैंगलोर (275 किमी) दूर हैं। यहां से आप केएसआरटीसी बस या टैक्सी लेकर भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा : भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य ये 40 किमी दूर है इसका निकटतम रेलवे स्टेशन कादूर। चिकमगलूर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
सड़क मार्ग द्वारा : बैंगलोर - कुंनिगल - चन्नारायपाटना - हसन - बेलूर - चिकमगलूर - राष्ट्रीय राजमार्ग 75 के माध्यम से भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य। बेंगलुरू से 295 किमी दूर के इस सफर में 5 घंटे 22 मिनट का समय लगेगा।
ट्रैफिक से बचने के लिए सुबह जल्दी निकलें। कुनिगल पहुंचने के बाद आप बेगूर झील पर थोड़ी दूर रूक सकते हैं। भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य के रास्ते में वोक्कालिगा समुदाय का धार्मिक केंद्र आदिचुंचुनगिरि भी पड़ेगा।PC:Dineshkannambadi
श्रावणबेलागोला
जैनियों का प्रमुख तीर्थ श्रावणबेलागोला भी रास्ते में ही पड़ेगा। हसन में रूक कर आप गोरुर बांध देख सकते हैं। यहां का हस्सानांबा मंदिर भी बहुत मशहूर है। बैंगलोर से चिकमगलूर के सफर में आप बेलूर और हालेबिदु के मंदिर भी देख सकते हैं।
होसला राजवंश के दौरान इन मंदिरों का निर्माण करवाया गया था। चिकमगलूर के पास मुल्यागिरि और बाबाबुदानगिरि पर्वत पर ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं। चिकमगलूर कॉफी के लिए भी मशहूर है इसलिए आप यहां से एक-दो किलो कॉफी खरीद कर ले जा सकते हैं। चिकमगलूर की तरफ ड्राइव करें।
जंगलों की वनस्पति दक्षिणी उष्णकटिबंधीय सूखी पर्णपाती जंगलों की है और अधिकतर नम है। यहां पौधों और पेड़ों की 150 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां पर टीक, रोज़वुड, नंदी, किणल, ताडाल्सु, मथी, और होर्न जैसे पेड़ों को देख सकते हैं।PC:Kishore328
भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य
भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य के दक्षिणी हिस्से में पक्षी, तितलियां और सांप दिखाई देते हैं। भद्रा में वाइन स्नेक, किंग कोबर, कॉमन कोबरा, कॉमन वोल्फ स्नेक, बैंबू पिट वाइपर, ऑलिव कीलबैक, कॉमन इंडियन मॉनिटर, ग्लाइडिंग लिज़र्ड और मार्श मगरमच्छ रहते हैं।
पक्षियों के साथ यहां तितलियों को भी नाचते हुए देखा जा सकता है। यहां साउदर्न बर्डविउंग, ऑरेंज टिप, पैंसी बटरफ्लाई, टेल्ड जे, बैरोनेट, किम्सन रोज़ आदि देख सकते हैं।PC:Pramodv1993
भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य
भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य में स्तनपाई जीवों में हाथी, गौर, बाघ, सांबर मृग, जंगली बोअर, पैंथर, स्लाथ बिअर, जंगली कुत्ता, लंगूर, बोनेट मकाक, स्लेंडर लोरिस और मालाबार विशालकाय गिलहरी पाई जाती है।
पश्चिमी घाट के कई पक्षी भी यहां पाए जाते हैं। भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य में पक्षियों की 120 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें मोर, कबूतर, तोते, वुडपैकर, मुनिया मधुमक्खी खाने वाली, हरा शाही कबूतर, काले वुडपैकर, मालाबार एमरैल्ड कबूतर, दक्षिणी हरे शाही कबूतर, काली वुडपैकर, मालाबार पैराकीट, पहाड़ी माइना, ब्लैक विंग्ड काइट, इंडियन ट्री पाई, ब्लैक नैप्ड फ्लाईकैचर, मालाबार थ्रश, हॉर्नबिल, शमा, पेंटेड बुश क्यूएल, रैड स्परफाउल और बिल्ड स्टोर्क शामिल हैं।
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भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य
भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य को हाथी और शेरों के लिए भी जाना जाता है। रंग के मामले में यहां पर नागरहोल और बांदीपुर के मुकाबले पीले की जगह नारंगी रंग के बाघ पाए जाते हैं।
भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य में जीप सफारी, वॉटर एडवेंचरस जैसे जैट स्काईंग, कायकिंग और ट्रैकिंग, आईलैंड कैंपिंग एवं रैपलिंग आदि का मज़ा ले सकते हैं।PC:Dineshkannambadi