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भगवान शिव के समुद्र सिबसागर से क्या क्या निकाल सकते हैं आप अपने लिए

By Syedbelal

असम राज्‍य, अपनी विविध संस्‍कृति और हरे - भरे जंगलों के कारण जाना जाता है। असम ही एक ऐसा राज्‍य है जो हर मायने में प्रकृति के बेहद करीब है। जो लोग वन्‍यजीव पर्यटन के चहेते है, वह असम की ओर जरूर रूख करें। तो इसी क्रम में आज हम आपको अवगत करा रहे हैं यहां के एक बेहद खूबसूरत डेस्टिनेशन सिबसागर से। सिबसागर को शिवसागर के नाम से भी जाना जाता है।

इसका शाब्दिक अर्थ होता है- भगवान शिव का समुद्र। असम की राजधानी गुवाहाटी से 360 किमी दूर स्थित सिबसागर इसी नाम के जिले का जिला मुख्यालय है। यह शहर करीब 100 साल तक अहोम साम्राज्य की राजधानी था, जिससे इसका विशेष ऐतिहासिक महत्व है। यहां 129 एकड़ का एक मानव निर्मित सिबसागर तालाब है, जिसके चारों ओर यह शहर बसा हुआ है।

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यहां पाए जाने वाले अहोम काल के ऐतिहासिक स्मारक को इस शहर की जान समझा जाता है। हालांकि आज सिबसागर सिर्फ ऐतिहासिक महत्व का शहर नहीं रह गया है। यहां ढेरों तेल और चाय के बगान हैं, जिससे यह ऊपरी असम का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है। तो आइये जानें क्या क्या देख सकते हैं शिबसागर में आप।

कैसे जाएं सिबसागर

सड़क मार्ग द्वारा

नेशनल हाइवे 37 सिबसागर से होकर गुजरता है और डिब्रुगढ़ तक जाता है। आज के समय यह हाइवे काफी व्यस्त है और चाय व्यापारी व तेल निर्यातकों का एक प्रमुख मार्ग है। सिबसागर राज्य के बाकी हिस्सों से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है।

कैसे जाएं सिबसागर

कैसे जाएं सिबसागर

सड़क मार्ग की स्थिति अच्छी होने के कारण सिबसागर देश के बाकी हिस्सों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन सिर्फ 16 किमी दूर सिमलगुरी में है। हालांकि शहर में कोई एयरपोर्ट नहीं है और सबसे नजदीकी एयरपोर्ट 55 किमी दूर जोरहट में है।

फोटो कर्टसी - rajkumar1220

चराईदेव

चराईदेव

चराईदेव की स्थापना पहले अहोम राजा चाऊ लुंग सुई-का-फा ने 1228 में की थी और यह अहोम राजवंश की पहली राजधानी था। यह जगह सिबसागर शहर से 30 किमी दूर है। अहोम वंश की राजधानी कई बार बदली गई। हालांकि चराईदेव अहोम वंश का सांकेतिक केन्द्र बना रहा। यहां अहोम के शाही परिवर के कई कब्रिस्तान हैं, साथ ही यह अहोम के पैतृक भगवान का स्थान भी है। कब्रिस्तान की समाधि का आकार किसी छोटी पहाड़ी के जैसा दिखता है, जो कि मिस्र के पिरामिड से काफी मिलता-जुलता है।
फोटो कर्टसी - Zorodocknife

 गौरीसागर तालाब

गौरीसागर तालाब

गौरीसागर तालाब सिबसागर से करीब 12 किमी दूर है। करीब 200 साल पहले बनाए गए इस तालाब के आसपास तीन मंदिर हैं, जो कि दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों को समर्पित है। मंदिर के साथ-साथ तालाब का निर्माण भी असम की रानी फुलेश्वरी देवी ने करवाया था। वह हिंदू धर्म के सक्ता शाखा का अनुसरण करती थी और सक्ति को असम का रजकीय धर्म बनाने का भी प्रयास किया।
फोटो कर्टसी - Dhruba Jyoti Deka

जॉयसागर तालाब

जॉयसागर तालाब

जॉयसागर तालाब का निर्माण अहोम राजा स्वर्गदेव रुद्र सिंह ने 1697 में करवाया था। रंगपुर में स्थित इस तालाब के निर्माण में 45 दिन का समय लगा था और इसे राजा ने अपनी मां की स्मृति में बनवाया था। 318 एकड़ में फैला जॉयसागर देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित तालाब है। तालाब के चारों ओर कई मंदिर हैं।
फोटो कर्टसी - Chanchal Rungta

करेंग घर

करेंग घर

सिबसानगर से 15 किमी दूर गरगांव में स्थित करेंग घर अहोम राजा का महल हुआ करता था। जब अहोम साम्राज्य अपने उत्कर्ष पर था तब गरगांव साम्राज्य का एक प्रमुख केन्द्र था। इस बहुमंजिला महल का निर्माण 1752 में राजा राजेश्वर सिंह ने करवाया था।
फोटो कर्टसी - Aniruddha Buragohain

पानी दिहिंग पक्षी अभ्यारण्य

पानी दिहिंग पक्षी अभ्यारण्य

पानी दिहिंग पक्षी अभ्यारण्य सिबसागर से 22 किमी दूर दिसांग और देमो नदी के बीच स्थित है। यह दलदली भू-भाग 33 वर्ग किमी में फैला हुआ है। पानी दिहिंग पक्षी अभ्यारण्य मुख्य रूप से हर साल यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए जाना जाता है। 1996 में इस पक्षी अभ्यारण्य को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया।
फोटो कर्टसी - Ron Knight

शिवडोल

शिवडोल

सिबसागर झील के किनारे पर स्थित भगवान शिव को समर्पित शिवडोल सबसे ऊंचा मंदिर है। इसका निर्माण 1734 में अहोम राजा स्वर्गदेव सिबा सिंह की रानी ने करवाया था। सतह से 195 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर को भारत सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है।
फोटो कर्टसी - Supratim Deka Narakasura

तलातल घर

तलातल घर

शिवसागर से 4 किलोमीटर दूर और शहर से बाहर तलातल घर एक महल है जो अहोम राजवंशों का निवास था और आज भी आप यहां इन शासकों के महल देख सकते हैं। बताया जाता है कि ये महल अहोम वंश के दौरान बनाया गया भव्य स्थापत्य चमत्कार में से एक है जो आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना है।
फोटो कर्टसी - D. Konwar

ट्रेन द्वारा

सिबसागर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन 16 किमी दूर सिमलगुरी में है। यह रेलवे स्टेशन गुवाहाटी-डिब्रुगढ़ रेल लाइन पर पड़ता है, जिससे यहां कई ट्रेनें रुकती हैं। सिमलगुरी रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी के जरिए सिबसागर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

फ्लाइट द्वारा

सिबसागर में कोई एयरपोर्ट नहीं है। सबसे नजदीकी एयरपोर्ट 55 किमी दूर जोरहट में है। इस एयपोर्ट से गुवाहाटी, कोलकाता और सिलचर के लिए नियमित उड़ानें मिलती हैं। जोरहट से आप कैब बुक करके सिबसागर पहुंच सकते हैं।

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