भारत एक ऐसा देश है जहाँ पुरे साल कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। भारत अपने रंग बिरंगे त्योहारों के लिए भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। संस्कृति और परम्पराओं को आगे बढ़ाते हुए पुरे साल भारत में प्रकृति से लेकर देवी देवताओं को पूरी श्रद्धा भक्ति से पूजा जाता है। और इन पूजन की शुरुआत होती है गणेश जी की पूजा के साथ।
जी हाँ! अब आप सोच रहे होंगे गणेश चतुर्थी तो अगस्त या सितम्बर में मनाया जाता है और उससे पहले कई देवी देवताओं को पूजे जाने वाले त्यौहार होते हैं तो गणेश भगवान जी की पूजा सबसे पहले कैसे? तो हम आपकी दुविधा को अभी ही दूर किये देते हैं, गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म के अनुसार भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी को मनाया जाता है जब हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत होती है। इसलिए कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी का त्यौहार हिन्दू धर्म का सबसे पहला त्यौहार होता है।
केसरी मोदक
Image Courtesy: MAHESH MUTTA
तो अब आपको भी पता ही होगा कि गणेश चतुर्थी का पावन अवसर आने वाला है, 5 सितम्बर को और सभी तैयारी में भी लग चुके हैं भगवान गणेश जी के पवित्र स्वागत के लिए। जगह-जगह पर छोटे-बड़े पंडाल बन गए होंगे और कहीं कहीं बन भी रहे होंगे। इनके साथ नए-नए और गणेश जी के मनपसंद पकवान बनने की खुशबु भी घरों से आने लगी है।
पकवान! वाह क्या टॉपिक है! पकवान तो भारतीय त्यौहारों की जान होती हैं। इनके बिना शायद ही कोई त्यौहार पूरा हो पाता है हमारा। और पुरे भारत में अगर हम सर्वे के लिए निकलें तो लाखों की संख्या में अलग-अलग और स्वादिष्ट पकवान सुनने को मिलेंगे। चलिए, आज हम भारत के कुछ ऐसे भागों में चलते हैं जहाँ गणेश चतुर्थी पर बनने वाले पकवान लोगों को सबसे ज़्यादा प्यारे हैं और उसके साथ-साथ अपने गणपती बप्पा को भी।
मोतीचूर के लड्डू
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अब जब गणेश चतुर्थी और उस दिन बनने वाले पकवानों की बात शुरू हुई ही है तो सबसे पहले शुरुआत करते हैं मोदक से। पुरे भारत में अलग-अलग तरह से बनाये जाने वाले मोदक इस दिन का खास चढ़ावा होते हैं, जो गणपती बप्पा के साथ-साथ उनके भक्तों को भी प्यारा होता है। स्टीमड मोदक, केसरी मोदक और फ्राइड मोदक तो खासियत हैं इस दिन के।
अब जब मोदक की बात चली ही है तो हम लड्डुओं को कैसे भूल सकते हैं । फिल्मों और टी.वी सीरियल्स में तो भगवान गणेश जी को हमेशा लड्डु चुराते हुए दिखाया भी जाता है। इसलिए गणेश चतुर्थी में अलग-अलग तरह के लड्डु बनने सबसे ज़रूरी होते हैं, उनके चढ़ावे के लिए भी और अपने खाने के लिए भी। उत्तर भारत और उत्तर पश्चिम भारत में इस दिन कई तरह के लड्डु बनते हैं। आटे के लड़्डू, मोतीचूर के लड़्डू, चूरमा लड़्डू, बेसन के लड्डू, बादाम के लड्डू आदि।
पूरन पोली
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अब आप सोच रहे होंगे कि क्या गणेश चतुर्थी वाले दिन सब लड्डू और मोदक खाकर ही पेट भरते हैं? नहीं ऐसा नहीं है, और ऊपर से अगर आप महाराष्ट्र में हैं तो बिलकुल भी नहीं, क्योंकि सबको पता है कि महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की लीला ही अलग होती है। वहां मोदक और लड्डुओं के अलावा भी कई खास व्यंजन गणपती बप्पा जी के लिए तैयार किये जाते हैं, जैसे पूरन पोली, चना उसल, मसाला भात, आमती भात आदि।
इसके साथ ही आप दक्षिण भारत को कैसे भूल सकते हैं जहाँ व्यंजनों के नाम सुन कर ही आप उनकी अलग-अलग कल्पना करने लग जायेंगे। गणेश चतुर्थी के खास मौके पर यहाँ बनने वाले खास व्यंजन हैं, बिशी बेले भात, घी राइस, पुलियोगरे, कोसंबरी आदि।
बिशी बेले भात
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अहा!अब ये पढ़ कर ज़रूर ही आपके मुँह में पानी आ गया होगा। तो अब भी सोच क्या रहे हैं, आप अभी जहाँ पर भी हो, भारत के किसी भी हिस्से में, उत्तर में, दक्षिण में या पश्चिम में, गणेश चतुर्थी वाले दिन गणपती बप्पा के दर्शन कर इन व्यंजनों के मज़े लेना ना भूलिए। या आप इस लंबे वीकेंड इन जगहों की यात्रा पर जा गणेश चतुर्थी, यात्रा और खाने सबका मज़ा भरपूर ले सकते हैं। तो देर मत करिये और निकल पड़िए इस पावन अवसर के मज़े लेने।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें।
"गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया!!"
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