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कर्नाटक में वो समर एक्टिविटी जो गर्मी में भी आपको रखेंगी ठंडा ठंडा कूल कूल

By Belal Jafri

आज कर्नाटक का शुमार भारत के सबसे खूबसूरत राज्य में होता है। आज कर्नाटक, भारत का दक्षिण पश्चिम पर्यटन हब है जो दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कर्नाटक की राजधानी, बंगलौर भी देश में आईटी हब के नाम से जानी जाती है। कर्नाटक राज्‍य में पर्यटन बढ़ने के कारण, वर्तमान में यहां भारी संख्‍या में रिसॉर्ट, टूरिस्‍ट प्‍लेस आदि बन गए है जिनसे पर्यटकों को यहां आकर आनंद आता है। कर्नाटक क्या, पूरे भारत से ली गयी हैं ये होली की ख़ास तस्वीरें

कर्नाटक, भौगोलिक रूप से तटीय क्षेत्र में बंटा हुआ है जैसे - कारावली पहाड़ी क्षेत्र या मालेनाडु क्षेत्र। यह क्षेत्र, पश्चिमी घाट पर स्थित है और इसे भी बायालुसीमे में उत्‍तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है। कर्नाटक राज्‍य में कुल 30 जिले है। इस राज्‍य में सैर करने के लिए कई पर्यटन स्‍थल है। यहां आकर हर तरह के पर्यटक को अच्‍छा लगता है। साहसिक पर्यटक यहां के पहाड़ों पर ट्रैकिंग कर सकते है, वन्‍यजीव प्रेमी, सेंचुरी में सैर कर सकते है, धार्मिक लोग, मंदिरों में दर्शन कर सकते है। यह राज्‍य प्राकृतिक परिप्रेक्ष्‍य में भी बेहद सुंदर है।

इतना जानने के बाद क्यों न इन गर्मियों की छुट्टी पर कर्नाटक की सैर कि जाये। तो आइये जानें इन गर्मियों क्या क्या कर सकते हैं कर्नाटक में आप।

सावनदुर्ग में नेचर वॉल्क

सावनदुर्ग में नेचर वॉल्क

बैंगलोर से 33 कि.मी दूर आज सावनदुर्ग अपनी दो पहाड़ियां, मंदिरों और नैसर्गिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले यहां के दो प्रमुख पर्वतों "करिगुडा" और " बिलिगुडा" की यात्रा जरूर करें, ये दोनों पर्वते दक्कन पठार से 1226 मीटर ऊँची है। करिगुडा का अर्थ है काली पहाडी और बिलिगुडा का अर्थ है सफेद पहाडी। विशाल चट्टानों, ग्रेनाईट और लेटराइट से बनी इस पहाड़ियों पर चड़ाई करना बहुत थका देता है पर उत्सुकता के साथ यह चड़ाई काफी रोमांचकारी साबित होगी। इस पहाडी के ऊपर एक पुराना किला है। ये स्थान ट्रैकिंग और राँक क्लाइम्बिंग करने वालों के लिए एक आदर्श गंतव्य है।

नंदी हिल से निहारें नेचर को

नंदी हिल से निहारें नेचर को

नंदी हिल्‍स, बंगलौर से 60 किमी. की दूरी पर स्थित है जो समुद्र स्‍तर से 4,851 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। नंदी हिल्‍स, चिक्‍काबल्‍लापुर जिले में स्‍वांकी बंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास में स्थित है जो इस स्‍थान को आकर्षक पर्यटन स्‍थल बनाता है। नंदी हिल्‍स का इतिहास बेहद दिलचस्‍प है। कुछ लोगों का मानना है कि इस पहाड़ी का नाम ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इसका आकार सोते हुए बैल की तरह है। इस पहाड़ी में अब तक पाएं गए सबूतों के आधार पर पता चलता है कि यह पहाड़ी चोल वंश के दौरान आंनदगिरि के नाम से जानी जाती थी। इस पहाड़ी पर निर्मित मंदिरों में चोल वंश की झलक स्‍पष्‍ट रूप से देखने को मिलती है।

बांदीपुर के जंगलों की सैर

बांदीपुर के जंगलों की सैर

बांदीपुर वन संरक्षित क्षेत्र भारत में प्रमुख रूप से बाघ संरक्षित (टाइगर रिजर्व) क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जहाँ बाघों की आबादी लगभग 70 है। लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ यह प्रोजेक्ट टाइगर संरक्षित क्षेत्र कर्नाटक के चामराजनगर जिले में स्थित है। यह मैसूर से 80 किलोमीटर और बंगलौर से 220 किलोमीटर की दूरी पर है। बांदीपुर का संरक्षित क्षेत्र तमिलनाडु और केरल के आसपास के राज्यों क्रमशः मुदुमलाई और वायनाड में फैला हुआ है। ये संयुक्त रूप से दक्षिण भारत का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र बनाते हैं।

गलिबोर में रिवर राफ्टिंग

गलिबोर में रिवर राफ्टिंग

गलिबोर, बैंगलोर से लगभग 110 किमी. की दूरी पर स्थित एक सुंदर गंतव्य है। अरकावती नदी और कावेरी नदी के संगम से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित गलिबोर एक निर्जन क्षेत्र है जो कावेरी वन्य जीवन अभ्यारण्य के घने जंगलों के बीच स्थित है। गलिबोर एक प्रसिद्ध फिशिंग और नेचर कैम्प है जो कावेरी नदी कि किनारे स्थित है तथा यहाँ हरे भरे पेड़ हैं। ये स्थान मुख्य रूप से रिवर राफ्टिंग के लिए जाना जाता है तो जब आप यहां आएं तो रिवर राफ्टिंग अवश्य करें।

तडियाण्डमोल में ट्रैकिंग

तडियाण्डमोल में ट्रैकिंग

तडियाण्डमोल कर्नाटक की दूसरी सबसे बड़ी पर्वत चोटी है। पश्चिमी घाट में स्थित यह चोटी कूर्ग जिले में आती है। यह स्थान समुद्र तल से 1748 मीटर की ऊंचाई पर है। इस ऊंचाई के कारण यह पर्वतारोहियों और ट्रेकर्स के लिए एक चुनौती पेश करती है। आपको बताते चलें कि तडियाण्डमोल शब्द मलयालम भाषा से निकला है जिसका अर्थ है सबसे बड़ा पर्वत।

कुद्रेमुख के ट्रैकिंग रूट

कुद्रेमुख के ट्रैकिंग रूट

कुद्रेमुख कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में एक पहाड़ी परिसर है और यह पश्चिमी घाट का एक हिस्सा है। कुद्रेमुख का क्षेत्र एक लोकप्रिय हिल स्टेशन भी है। अपनी उठती-गिरती घास भूमि और घने जंगलों के साथ, यह जैव - विविधता के लिए एक संवेदनशील जगह है। ज्ञात हो कि कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान पश्चिमी घाट में दूसरा सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है और इसमें 600 वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र शामिल हैं और यहाँ घास के मैदान और सदाबहार जंगल है। गौरतलब है कि कुद्रेमुख ट्रैकर्स को ट्रैकिंग के लिए सबसे अच्छे रूट देता है।

कूर्ग में आकर करिये तिब्बती कालोनी की यात्रा

कूर्ग में आकर करिये तिब्बती कालोनी की यात्रा

कूर्ग, कर्नाटक के लोकप्रिय पर्यटन स्‍थलों में से एक है। यह स्थान जहां एक तरफ भारत का स्‍कॉटलैंड कहा जाता है तो वहीं इसे कर्नाटक के कश्‍मीर के नाम से भी जाना जाता है। यह स्‍थान यहां पाई जाने वाली हरियाली के कारण प्रसिद्ध है, यहां की सुंदर घाटियां, रहस्‍यमयी पहाडि़यां, बड़े - बड़े कॉफी, चाय के बागान, संतरे के पेड़, बुलंद चोटियां और तेजी से बहने वाली नदियां, पर्यटकों का मन मोह लेती है। जब आप यहां आएं तो यहां के तिब्बती मठ की यात्रा अवश्य करें और खुद अनुभव करें एक बिल्कुल अलग और नए कल्चर को।

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