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चलिए मून वॉक पर पुणे के निघोज गाँव में!

सबका सपना होता है चाँद पर जाने का। कुछ आशिक कहते भी हैं कि 'हम तुम्हारे लिए चाँद तारे भी तोड़ लाएँगे'। चलिए इस मज़ाक को साइड रख हम आपको इस ज़मीन पर ही चाँद की सैर पर लिए चलते हैं, जहाँ चट्टानों में प्राकृतिक गढ्ढे बने हुए हैं। यहाँ पहुँच कर आपको सच में लगेगा कि आप इस दूनिया से दूर अंतरिक्ष की यात्रा कर चाँद पर पहुँच गये हैं। ये बड़े-बड़े प्राकृतिक गढ्ढे बिल्कुल तस्वीर में दिखाए जाने वाले चाँद की तरह दिखते हैं।

यह अज्ञात जगह और कहीं नहीं, महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर ही है। लोगों की जानकारी से दूर इस जगह की यात्रा आप ज़रूर ही करें।

Nighoj

पत्थरों पर गढ्ढों की रचना करती हुई बहती नदी
Image Courtesy:
Ankur P

चट्टानों पर बने बड़े-बड़े प्राकृतिक गढ्ढे, निघोज गाँव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर कूकाड़ी नदी की घाटी पर स्थित है। भारी बारिश के समय नदी द्वारा प्राकृतिक अपरदन होने की वजह से नदी का पानी इन चट्टानों को काटते हुए ले चलता है जिससे इन प्राकृतिक चट्टानों के पत्थरों पर ऐसी रचना होती है। यहाँ नदी एक गहरी घाटी के रूप में है। पुणे से यहाँ तक का रास्ता कुछ इस प्रकार है; पुणे- कोपाड़गाँव-शिरडी-अहमदनगर-पुणे हाइवे/ पारनर- पुणे हाइवे।और इस मार्ग पर टोल भी हैं।

कई भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ हर साल इस मून लैंड पर पत्थरों की प्राकृतिक संरचनाओं के बारे में अनुसंधान के लिए आते हैं। ये प्राकृतिक रचनाएं इतने चिकने और साफ हैं कि ये मानव निर्मित रचना जैसे प्रतीत होते हैं और माना जाता है कि ऐसी जगह और यह रचना पूरे एशिया में इकलौता है।

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पत्थरों पर बने प्राकृतिक गढ्ढे
Image Courtesy: Deepak Tiwari

इन प्राकृतिक गढ्ढों के दोनो किनारों पर दो मंदिर भी स्थापित हैं। ये हैं मालगंगा देवी मंदिर और कपिलेश्वर मंदिर। नदी के उपर एक निलंबित पुल भी बना हुआ है, जो दोनों मंदिरों को एक दूसरे से जोड़ता है। इन मंदिरों के पीछे दिलचस्प कहानी यह है कि, देवी के सात अवतारों में से तीन अवतारों का वास यहीं पर है। आप यहाँ पर देवियों के तीन रूप को देख सकते हैं।

यहाँ ऐसा भी कहा जाता है कि, जन्माष्टमी के अवसर पर नदी के इस ताल पर बसे घाटी से मिट्टी के एक बर्तन का उद्गम होता है, जिसे यहाँ आने वाले कई श्रद्धालुओं ने खुद से देखा है।

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पत्थरों पर बने प्राकृतिक गढ्ढे
Image Courtesy: Ramakrishna Reddy Y

पुणे के निघोज गाँव में चट्टानों पर बने बड़े-बड़े गढ्ढे, चाँद की तरह दिखने वाली रचना, निलंबित पुल और मंदिर ये तीनों जगहें यहाँ के मुख्य आकर्षक केंद्र हैं। पर यहाँ जाने से पहले आप अपने खाने-पीने का इंतज़ाम करके जाएँ क्युंकि यहाँ आसपास आपको खाने के कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।

यहाँ जाने का सबसे उचित समय

यहाँ जाने का सबसे उचित समय है, गर्मी का मौसम, जब बारिश कम हो रही हो जिससे कि चट्टानों पर बने गढ्ढों की रचना साफ दिखाई दे सके और आप मून वॉक का मज़ा ले सकें। मुंबई और पुणे के आसपास रहने वाले लोग अपने एक दिन की छुट्टी या वीकेंड पर भी यहाँ जा इस जगह के मज़े ले सकते हैं।

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पत्थरों पर गढ्ढों की रचना करती हुई बहती नदी
Image Courtesy: Yogendra Joshi

यहाँ पर यह देखा गया है कि, इसके नदी के ताल के रखरखाव पर उतना ध्यान नहीं दिया गया है, पर यहाँ के गढ्ढों की अनोखी रचना लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है जो आपको सीधे चाँद की सैर पर लिए चलते हैं। निघोज गाँव के समीप ही मालशेज घाट भी स्थित है, जो पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण का केंद्र है।

अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।

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