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रजनीकांत इफ़ेक्ट : जानें साउथ में कहां हुई है रजनीकांत स्टारर "लिंगा" की शूटिंग

By Super

अभी बीते दिनों में दक्षिण भारत के सुपर स्टार रजनीकांत ने अपना 64 वां जन्म दिन बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जहां तोहफे के तौर पर उनकी चर्चित फिल्म "लिंगा" को दुनिया भर के थियेटर में रिलीज किया गया। अब शायद इस बात को पढ़ने और जानने के बाद हो सकता है आपके दिमाग में ये सवाल आये की यात्रा पर बात करने वाले हम लोग आज आपको रजनीकांत से क्यों अवगत करा रहे हैं? तो आपकी मुश्किल को आसान करते हुए आपको बता दें कि आज का हमारा ये लेख दक्षिण भारत के उन डेस्टिनेशंस के बारे में है जहां इस चर्चित फिल्म को शूट किया गया है।

Read in English: Travel the Scenic Landscapes of Karnataka with Lingaa

गौरतलब है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों ने हमेशा ही अपने एक्शन और लोकेशन से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही दक्षिण भारतीय फिल्मों में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है कि वो अपनी फिल्मों का शूट जहां भी कर रहे हों उनकी लोकेशन ऐसी हो जो एक दर्शक का मन मोह लें।

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तो अब देर किस बात की आइये इस लेख के जरिये जाना जाये कि दक्षिण भारत के वो कौन कौन से खूबसूरत डेस्टिनेशंस हैं जहां लिंगा को किया गया है शूट। वीकेंड ऑफर : ट्रैवल और फ्लाइट पर पाएं 80% की छूट

मेलकोट

मेलकोट

मेलकोट या मेलुकोट कर्नाटक के मांड्या जिला क्ले पांडवपुरा ताल्लुके का एक तीर्थ स्थान कस्बा है। इस थान को तिरुनारायणपुरम भि कहा जाता है। यहां कावेरी नदी के समक्ष एक पथरीली पहाड़ी है जिसे यदुगिरि या यादवगिरि कहा जाता है। यह मैसूर से लगभग51 कि.मी और बंगलुरु से 133 कि.मी दूर है।

Photo Courtesy: Lingaa

पांडवपुर

पांडवपुर

मैसूर के निकट चट्टानों से बनी दो पहाडि़यों के बीच स्थित इस शहर का नाम पांडवपुर इसलिए पड़ा क्योंकि महापुराण ‘महाभारत‘ के नायक ‘पांडव‘ कुछ देर के लिए यहाँ रुके थे।ऐसा माना जाता है कि वनवास के दौरान, पांडव इस शहर में रुके थे और उनकी माता कुंती को यह जगह पसंद थी। आज़ादी से पहले इस शहर को ‘फ्रेंच राक्स‘ नाम दिया गया क्योंकि अंग्रेज़ों के विरुद्ध टीपू सुल्तान की मदद करने आए फ्रांसीसी लोगों ने यहाँ अपना पड़ाव डाला था।पांडवपुर के चारों ओर धान व गन्ने के खेत इस जगह को और सुंदर बना देते हैं। इस शहर के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होने के कारण पर्यटक यहाँ से गुज़रते हुए विविध प्रकार के कृषि उत्पाद, आयुर्वेदिक उत्पाद और हस्तशिल्प देख सकते हैं।

Photo Courtesy: Lingaa

चामुंडी पहाड़ी

चामुंडी पहाड़ी

चामुंडी पहाड़ी समुद्र तल से करीब 1065 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है और अगर आप मैसूर घूमने जा रहे हैं तो यहां भी जाने की कोशिश करें। चामुंडी पहाड़ी की चोटी पर देवी पार्वती के एक अवतार चामुंडेश्वरी को समर्पित चामुंडेश्वरी मंदिर है। वास्तव में यह वुडेयार की देवी हुआ करती थी। इस मंदिर को 11 शताब्दी में बनवाया गया था और 1827 में मैसूर राजाओं ने इसकी मरम्मत करवाई। मंदिर के सामने राक्षस राजा महिषासुर की प्रतिमा रखी गई है। चामुंडी पहाड़ी की एक और खासियत यह है कि यहां पांच मीटर ऊंची एक नंदी की प्रतिमा है, जिसे 1659 में एक काले ग्रेनाइट से तराश कर बनवाया गया था। पहाड़ी के ऊपर चामुंडेश्वरी और हनुमान को समर्पित एक और छोटा सा मंदिर है, जो सुबह 7.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक और शाम 3.30 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। चामुंडी पहाड़ी से आप शहर का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं।

Photo Courtesy: Lingaa

मैसूर महल

मैसूर महल

मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। इस तीन तल्ले महल के निर्माण में निर्माण के लिए भूरे ग्रेनाइट, जिसमें तीन गुलाबी संगमरमर के गुंबद होते हैं, का सहारा लिया गया है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है। यह महल विश्व के सर्वाधिक घूमे जाने वाले स्थलों में से एक है। इसका प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे विश्व के 31 अवश्य घूमे जाने वाले स्थानों में रखा है। आप इस महल में गोंबे थोटी या डॉल्स पवेलियन से प्रवेश कर सकते हैं। इस प्रवेश द्वार पर 19वीं और 20वीं शताब्दी की बनी गुड़ियों का एक समूह रखा गया है।

Photo Courtesy: Lingaa

तीर्थहल्ली

तीर्थहल्ली

तीर्थहल्ली एक पंचायत टाउन है जो कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित है। तुंग नदी के किनारे स्थित इस तालुक का शुमार कर्नाटक के उन डेस्टिनेशंस में होता है जो किसी को भी मंत्र मुग्ध कर सकता है। इस स्थान के बारे में एक पौराणिक मान्यता ये है कि यहां अपने पिता की आज्ञा पर परशुराम ने रेणुका का सिर धड़ से अलग किया था। कहा जाता है कि यहीं तुंगा नदी के पानी में डुबाने के बाद परशुराम की कुल्हाड़ी से खून के दाग छूटे थे। यदि आप कर्नाटक में हों तो हमारा सुझाव है कि आप इस स्थान की यात्रा अवश्य करें।

Photo Courtesy: Lingaa

जोग फाल्स

जोग फाल्स

जोग फॉल्स शायद प्रकृति की महिमा का सबसे शानदार उदाहरण है।वह शरावती नदी से उत्पन्न होता है और चार अलग धाराओं को मिलाकर बनता है और इन्हें राजा,रानी,रोवर और रॉकेट कहते हैं। चट्टानों या अन्य प्रकार के ऋण भार से मुक्त 830 फुट की ऊंचाई के नीचे सीधे व्यापक इस शानदार चादर से झरने की दृष्टि से हजारों आगंतुकों का मन मोह गया है। इस दृश्य के सौंदर्य को यहाँ के हरे - भरे प्राकृतिक सौंदर्य के वातावरण ने बढ़ाया है। आप जोग फॉल्स की भव्यता का दृश्य अनेक प्रेक्षण स्थल के सहूलियत से कर सकते हैं।

Photo Courtesy: Lingaa

लिंगानामाक्की डैम

लिंगानामाक्की डैम

जोग फाल्स से 63 किलोमीटर दूर लिंगानामाक्की डैम का निर्माण कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा 1964 में करवाया गया था। सागर तालुक में स्थित बांध 2.4 किलोमीटर लम्बा है जिसका उद्देश्य सारावती नदी के पानी से बिजली पैदा करना है। यदि आप इस डैम की यात्रा के बारे में सोच रहे हैं तो आपको बताते चलें कि इस स्थान की सुंदरता ऐसी है जो आने वाले किसी भी पर्यटक का मन मोह सकती हैं। यदि आप जोग फाल्स आ रहे हैं तो हमारा सुझाव है कि लिंगानामाक्की डैम की यात्रा अवश्य करें।

Photo Courtesy: Lingaa

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