भारत में कुछ ही जगहें ऐसी हैं, जो अपनी संस्कृति और विरासत के मामले में अद्वितीय हैं। ओडिशा राज्य भी उन्हीं में से एक है।अपनी समृद्ध परंपरा एवं अपार प्राकृतिक संपदा से युक्त तथा पूर्व में उड़ीसा के नाम से रूप में जाना जाने वाला, ओडिशा, भारत का खजाना एवं भारत का सम्मान है। ओडिशा को प्यार में 'भारत की आत्मा' कहा जाता है। आज ओडिशा में कई सारे टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं जो देश विदेश के पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं।
आज अगर बात ओडिशा के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों कि हो तो कोणार्क सूर्य मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, लिंगराज मंदिर, नंदनकानन चिड़ियाघर, पुरी बीच पर्यटन की दृष्टि से राज्य की शोभा में चार चांद लगा रहे हैं। ज्ञात को कि ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर को भी कई खूबसूरत मंदिरों का शहर कहा जाता है क्योंकि किसी जमाने में यहां 2000 से अधिक मंदिर हुआ करते थे।
साथ ही आज भुवनेश्वर में कलिंग के समय की कई भव्य इमारतें हैं, यह प्रचीन शहर अपने दामन में 3000 साल का समृद्ध इतिहास समेटे हुए है। आपको बताते चलें कि अच्छी तरह से जुड़ी सड़कें, रेलवे नेटवर्क और हवाई अड्डें, देश के अन्य राज्यों से ओडिशा की यात्रा को काफी आसान बनाते हैं।
राज्य में गर्मी में उष्ण कटिबंधीय जलवायु, सर्दियां तथा मानसून यहां के प्रमुख सीजन हैं। तो अब देर किस बात की आइये कुछ चुनिंदा तस्वीरों के जरिये आपको दिखाते हैं ओडिशा के कुछ प्रमुख पर्यटक आकर्षण।
पुरी बीच
पुरी का समुद्री तट, बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है और पुरी रेलवे स्टेशन से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर है। पुरी समुद्री तट शहर का एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है और इस तट को तैराकी के लिए आदर्श तथा भारत के सर्वश्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक के रुप में माना जाता है।
जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर, ओड़िशा के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक, और यह ओड़िशा के तटीय शहर पुरी में स्थित है। इस स्थान पर अनगिनत भक्त शांति की खोज में पहुंचते हैं जो जगन्नाथ मंदिर के त्रय देवताओं द्वारा प्रदान की जाती है। मंदिर में बजती घंटियां, 65 फुट ऊंची अद्भत पिरामिड़ संरचना, हर एक जानकारी से खुदी उत्कीर्ण दीवारें, भगवान कृष्ण के जीवन का चित्रण करते स्तंभ - ये सब और अन्य कई कारक हर साल लाखों श्रद्धालुओं को जगन्नाथ मंदिर की ओर आकर्षित करते हैं।
चिल्का झील
चिल्का झील 1100कि.मी. वर्ग में फैली है और दया नदी के मुहाने पर स्थित है। इस नमकीन पानी की झील को आर्द्रभूमि भी कहा जाता है। सर्दियों में यह झील कैस्पियन सागर, ईरान, रूस और दूर स्थित साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान बन जाती है। ऐसा अनुमान है कि प्रवासी मौसम में इस झील पर पक्षियों की 205 प्रजातियाँ आती हैं। इनमें से एवियन प्राणियों की 97 प्रजातियाँ अंतरमहाद्वीपीय प्रवासियों की होती हैं।
सतपदा ड़ॉल्फिन अभयारण्य
सतपदा ड़ॉल्फिन अभयारण्य ओड़िशा राज्य के पूर्वी दिशा में स्थित है और यह पुरी से 50 किलोमीटर दूर है। यह राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। सुंदर ड़ॉल्फिनों के साथ, आपको खूबसूरत सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने का मौका भी मिलता है। केवल भाग्यशालियों को ही ड़ॉल्फिन प्रेक्षण स्थल पर ड़ॉल्फिनों को देखने का आनंद प्राप्त हो सकता है।
चन्द्रभागा बीच
चन्द्रभागा समुद्रतट कोणार्क के सूर्य मन्दिर से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। साफ पानी और ठंडी हवा की के साथ मन्त्रमुग्ध करने वाली सुन्दरता वाला समुद्रतट इस शानदार पर्यटक स्थान पर पर्यटकों का स्वागत करती है। यह सुन्दर समुद्रतट पिकनिक, तैराकी, नौकायन और टहलने के लिये आदर्श स्थान है।
कोणार्क सूर्य मन्दिर
कोणार्क का सूर्य मन्दिर देखते ही बनता है। कोणार्क के केन्द्र में स्थित यह मन्दिर ओडिशा मन्दिर शैली की वास्तुकला के चरम को प्रदर्शित करता है। यह पत्थरों से तराशा गया सबसे अचम्भित करने वाली इमारत है। अपने विशिष्ट संरचनात्मक डिजाइन के कारण सूर्य मन्दिर दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
लिंगराज मंदिर
लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर है। कई कारणों से मंदिर का विशेष महत्व है। यह शहर का सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और इसे 10वीं या 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था। यह मंदिर भगवना शिव के एक रूप हरिहारा को समर्पित है और शहर का एक प्रमुख लैंडमार्क है। इसकी वास्तुशिल्पीय बनावट भी बेहद उत्कृष्ट है और यह भारत के कुछ बेहतरीन गिने चुने हिंदू मंदिर में एक है। इस मंदिर की ऊंचाई 55 मीटर है और पूरे मंदिर में बेहद उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। लिंगराज मंदिर कुछ कठोर परंपराओं का अनुसरण करता है और गैर-हिंदू को मंदिर के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं है।
मुक्तेश्वर मन्दिर
मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।
खांडगिरि गुफाएं
खांडगिरि की गुफाएं, उदयगिरि के नजदीक ही लगभग 15 से 20 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। कुछ कदम चलकर ही यहां पहुंचा जा सकता है तथा गुफाएं आगंतुकों को अतीत के गौरव का दर्शन कराने को तैयार होती हैं। यहां कुल 15 गुफाएं हैं, जो मुख्य रूप से जैन भिक्षुओं के आवासीय प्रयोजन के लिए बनायी गयी हैं।लगभग 2000 साल पुरानी इन गुफाओं की दीवारों पर कई लेख तथा मूर्तियां उकेरी गई हैं।
नंदनकानन जू
400 हेक्टियर में फैला नंदनकानन जू के साथ-साथ बॉटनिकल गार्डन भी है। इसे 1979 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। यह भुवनेश्वर के सबसे ज्यादा घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में एक है। अगर आप बच्चों के साथ भुवनेश्वर घूमने जा रहे हैं तो फिर आपको यह जू अवश्य जाना चाहिए।