हाल ही में जयपुर पहुंची हुई थी, मै पूरा जयपुर घूम चुकी हूं सोचा कुछ नया घूमा जाए। तभी मेरी एक दोस्त ने मुझे मुझे जयपुर के पास स्थित चाँद बावड़ी के बारे में बताया। उसने बताया कि, यह बेहद ही सुंदर है, इतना ही नहीं इसकी सुन्दरता पर तो बॉलीवुड समेत हॉलीवुड भी फ़िदा है। फिर मैंने बिना देर किये दूसरे दिन ही अपनी दोस्त के साथ चाँद बावड़ी जाने का प्लान बना डाला।
दूसरे दिन हम सुबह 5 बजे उठ गये। सुबह तैयार होने के बाद हमने कुछ खाने पीने की चीजें भी अपने पास रख ली। हम जयपुर से चाँद बावड़ी के करीबन 6 बजे निकले, और सुबह 8 बजे तक चाँद बावड़ी पहुंच चुके थे। यहां आप ट्रेनसे भी आ सकते हैं।
जयपुर से आभानेरी की दूरी 90 किमी है। आभानेरी जयपुर-आगरा हाइवे पर स्थित है। जयपुर-आभानेरी रूट
जयपुर-नेशनल हाइवे 1-दौसा-सिकंदरा-आभानेरी
अगर आप ट्रेन से आभानेरी जा रहें है तो जयपुर से बांदीकुई पहुंचे । उसके बाद बांदीकुई से आभानेरी।
चाँद बावड़ी राजस्थान के आभानेरी गांव जयपुर में स्थित है। यूं तो आभानेरी गांव के पास अपनी अलग कोई खास पहचान नहीं है लेकिन जयपुर का ये छोटा सा गांव इसलिए पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है क्योंकि यहां दुनिया की सबसे बड़ी बावड़ी है जो 100 फीट गहरी है।
बताया जाता है राजा ने इस बावड़ी का निर्माण पानी यानी लोगो की प्यास बुझाने के लिए किया था। चांद बावड़ी के नाम से मशहूर इस बावड़ी का निर्माण आज से करीब 1200 साल पहले यानि 9वीं शताब्दी के आसपास किया गया था।इस बावड़ी के अंदर 3,500 सीढ़ियां हैं जो नीचे की ओर जाती हैं। उस समय अगर किसी भी व्यक्ति को बावड़ी के भीतर से पानी निकालना होता था तो उसे पहले साढ़े तीन हजार सीढ़ियां नीचे जाना पड़ता था।
चौकोर आकार में बनी यह बावड़ी हर ओर से 35 मीटर लंबी है। चार कोनों में से तीन कोनों में सीढ़ियां हैं, जो गहराई तक पहुंचती हैं। इस क्षेत्र की जलवायु रूखी है और उस समय यहां पानी की बहुत कमी रहती थी, तभी इतनी गहरी बावड़ी का निर्माण करवाया गया। इस बावड़ी में जमा किया गया पानी एक साल तक स्थानीय लोगों की जरूरतें पूरी करता था।
चाँद बावड़ी में अब नीचे जाने पर मनाही है। कहा जाता है जो भी जाता है वह कभी भी वापस लॉकर नहीं आता है।बावड़ी घूमने के बाद हमे वहां एक मंदिर नजर आया। हम भी उस मंदिर में दर्शन करने पहुंचे।
मंदिर के पास एक तालाब था, वहां के लोगो ने बताया कि, मंदिर में दर्शन करने से पहले इस तालाब में हाथ पैर धोने चाहिए, उसके बाद माता के दर्शन करने चाहिए। मंदिर के पत्थरों पर आकर्षक नक्काशी में लगभग 33 करोड़ देवी देवताओं के चित्र बनाए गए थे। चांद बावड़ी और हर्षत माता मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण है। चांद बावड़ी के अंदर बनी आकर्षक सीढि़यांकलात्मक और पुरातत्व कला का शानदार उदाहरण है।
हमने यहां जमकर फोटोग्राफी की, साथ ही हमने आभानेरी में जमकर राजस्थानी खाने का लुत्फ भी उठाया। आभानेरी में चाँद बावड़ी घूमने के बाद हम शाम 7 बजे तक अपने घर वापस अ चुके थे।