हम आपको कुछ दिन पहले अपने आर्टिकल से भारत के कुछ बेहद खूबसूरत गांवो से रूबरू कराया था। इसी बीच हम भारतीय गांवो पर एक और लेख लेकर आये हैं..जोकि अपने खुद के नियम कानून,एकता, एक जैसे लोगों होने का कारण बेहद लोकप्रिय है।
यकीनन आपने गांव तो बहुत देखे होंगे लेकिन भारतीय गाँवों की बात ही कुछ और है...यहां के नियम,कायदे कानून देख आप हैरत में पड़ जायेंगें।
आज इस किले के विदेशी है दीवाने..कभी हुआ करता था जयपुर की राजधनी
यूपी का अरबपति गांव
जी हां सुनकर थोड़ा सा अजीब लग सकता है..लेकिन यूपी का गांवसलारपुर खालसा एक अरबपति गांव है। इस गांव के फेमस होने का कारण टमाटर है। जहां लोग गांवो में गेंहू और धान की खेती करते हैं, वहीं इस गांव के लोग सिर्फ टमाटर की खेती हर साल अरबो कमाते हैं।देश का शायद ही कोई कोना होगा, जहां पर सलारपुर खालसा की जमीन पर पैदा हुआ टमाटर न जाता हो।
ये गांव है भगवान का बगीचा
मोदी द्वारा शुरू किये स्वच्छ भारत के अभियान के तहत भी हम आज भी सफाई के मामले में काफी पीछे हैं।लेकिन हमारे देश में एक ऐसा गांव है जो एशिया का सबसे साफ़ सुथरा गांव है।यह गांव है मोलीनॉन्ग जो मेघालय के खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट में है। सफाई के साथ-साथ यह गांव साक्षरता में भी नम्बर 1 है यहां पर 95 परिवार रहते है जिनकी जीविका का मुख्य कारण सुपारी है।इतना ही नहीं यहां के ज्यादातर लोग अंग्रेजी में बात करते है।PC:Sujan Bandyopadhyay
इस गांव में दूध दही मिलता है फ्री
अगर आप दूध दही खाने के शौक़ीन है तो आपको गुजरात स्थित गांव धोकड़ा की सैर एक बार जरुर करनी चाहिए। इस गांव के लोग कभी दूध या उससे बनने वाली चीज़ो को बेचते नहीं हैं बल्कि उन लोगों को मुफ्त में दे देते हैं जिनके पास गाये या भैंस नहीं हैं।
इस गांव में आज भी चलता है राम राज्य
यह गांव महाराष्ट स्थित अहमदनगर जिले के नेवासा तालुके में शनि शिंगनापुर भारत का एक ऐसा गांव है जहां लोगों के घर में एक भी दरवाजा नहीं है। ये अपने घरो में या दुकानों में ताला नही लगाते है घरो को ऐसे ही खुल्ला छोड़ देते है, फिर भी इस गांव में आज तक किसी की चोरी नही हुई है। यह जगह शनि मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
इस गांव जहां हर कोई संस्कृत में बोलता है
जहां हम सभी आज अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं..वहीं भारत के दक्षिण भारत में कर्नाटक में स्थित गांव शिमोगा में से लगभग दस किलोमीटर दूर मत्तूर और होसाहल्ली, तुंग नदी के किनारे बसे इन गांवों में संस्कृत प्राचीन काल से ही बोली जाती है।इस गांव में लगभग 90 प्रतिशत लोग संस्कृत में बात करते हैं। इस गांव की खास बात यह है कि,यहां रहने वाले मुस्लिम परिवार भी बड़ी सहजता के साथ संस्कृत में बात करते है। जो दर्शाता है कि, भाषा पर किसी धर्म और समाज का अधिकार नहीं होता।
हमशक्लों का गांव
केरल के मलप्पुरम जिले का एक गांव कोडिन्ही। इसे जुड़वों के गांव के नाम से जाना जाता है। यहां पर बच्चा हो या बुजुर्ग हर किसी का हमशक्ल आपको मिल ही जाएगा। इस समय यहां पर करीब 350 जुड़वा जोड़े रहते है ,जिनमें नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं। विश्व स्तर की बातें करें तो हर 1,000 बच्चों में 4 बच्चें जुड़वां पैदा होते है।लेकिन इस गांव में हर 1000 बच्चों पर 45 बच्चे जुड़वा पैदा होते है।
एक श्राप के कारण 170 सालों से है वीरान
राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा गांव पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा है।कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। बताया जाता है कि,कुलधरा गांव के हज़ारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे और जाते-जाते यह श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा।तब से यह गांव वीरान पड़ा है।टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है।उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है।
PC:Pradeep717
यह गांव कहलाता है ‘मिनी लंदन'
झारखंड की राजधानी रांची से 65 किलोमीटर दूर स्थित मैक्लुस्कीगंज में एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए बसाई गई दुनिया की इस बस्ती को मिनी लंदन भी कहा जाता है। इंसानों की तरह मैकलुस्कीगंज को भी कभी बुरे दिन देखने पड़े थे। यहां के लोग उस दौर को भी याद करते हैं जब एक के बाद एक एंग्लो-इंडियन परिवार ये जगह छोड़ते चले गए।
इस गांव का कुछ भी छुआ तो 1000 रुपए का जुर्माना
अगर अप हिमाचल प्रदेश स्थित मलाना को घूमने जा रहे हैं..तो गलती से भी वहां किसी की चीज को हाथ ना लगाये वरना आपकी एक गलती आप पर काफी भारी पड़ सकती है। यहां देश का कानून नहीं चलता है।मलाणा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के अति दुर्गम इलाके में है। यहां के लोग खुद को सिकंदर का वंशज मानते है।यह इकलौता गांव है जहां पर सम्राट अखबर की पूजा होती है. इस गांव की विचित्र पंरपराओे के कारण यहां हर साल हजारों संख्या में पर्यटक आते है।लेकिन वो यहां कि कोई चीज नही छू सकते है अगर छुआ तो 1000 से 25000 तक का जुर्माना लगता है।PC:Mujtaba hassan
इस गांव को घर की छत पर रखी पानी की टंकियों से पहचाना जाता है
यूं तो लोगो के घर की पहचान उनके नाम से होती है, लेकिन पंजाब के गांव उप्पलां में घरो की पहचान छत पर रखी हुई टंकियो से होती है..हां ये थोड़ा सा अजीब तो है अब आप सोच रहे होंगे की पानी की टंकियों में ऐसी क्या खासियत है? यहां के मकानों की छतों पर आम वाटर टैंक नहीं है, बल्कि यहां पर शिप, हवाई जहाज़, घोडा, गुलाब, कार, बस आदि अनेकों आकर की टंकिया है।
मंदिरों का गाँव और गुप्त काशी
झारखंड के दुमका जिले में शिकारीपाड़ा के पास बसे एक छोटे से गांव मलूटी में आप जिधर नज़र दौड़ाएंगे आपको प्राचीन मंदिर नज़र आएंगे। मंदिरों की बड़ी संख्या होने के कारण इस क्षेत्र को गुप्त काशी और मंदिरों का गाँव भी कहा जाता है।
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