कर्नाटक के करवर के तटीय क्षेत्र में स्थित गोकर्णा एक छोटा सा शहर है। पूर्व समय में इस शहर को मंदिरों के लिए और तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब यह जगह सिर्फ मन्दिरों के लिए ही नहीं बल्कि समुद्री तटों के चलते भी पर्यटकों के बीच मुखु आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, या यूं कहे कि एक परफेक्ट हॉलिडे बीच डेस्टिनेशन बन चुका है।
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नीले समुद्र और साफ रेत के बीच पर्यटकों की छुट्टियां और भी ज्यादा खुशनुमा हो जाती हैं। तीर्थस्थल के साथ-साथ गोकरणा में आपको समुद्रतट पर घूमने का मौका भी मिलेगा। गोकर्णा का अर्थ होता है गाय का कान एवं इस नाम के पीछे मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव गाय के कान से प्रकट हुए थे।गोकर्णा, गंगावली और अघनाशिनी के संगम तट पर स्थित है। वीकेंड पर छुट्टियाँ मनाने के लिए गोकर्णा में मंदिरों के साथ-साथ समुद्रतट भी हैं।
गोकर्णा आने का सही समय
गोकर्णा में गर्मी और मॉनसून के मौसम में घूमा जा सकता है। गोकरणा नवंबर से जून के बीच आ सकते हैं। शिवरात्रि और गणेश चतुर्थी के अवसर पर गोकरणा के मंदिरों में बड़ी धूम रहती है। इस अवसर पर भी गोकरणा आ सकते हैं।PC:Robert Helvie
बैंगलोर से गोकर्णा का रूट
रूट 1 : सीएनआर राव अंडरपास / सीवी रमन रोड़ - एनएच 48 - सिरसी - हावेरी रोड़ - एनएच 48 से बाहर निकलें - सिरसी - कुंमता रोड़ - एनएच 66 - गोकर्ण रोड - गोकर्णा (485 किमी - 8 घंटे 15 मिनट)
रूट 2 : सीएनआर राव अंडरपास / सीवी रमन रोड़ - एनएच 75 - बारगुर में अर्सिकेरे - मैसूर रोड़ - एनएच 69 - सिद्दापुर - तलागुप्पा रोड़ - सिरसी - कुमता रोड़ - एनएच 66 - गोकर्णा रोड़ - गोकर्णा (516 किमी - 10 घंटे)
देवरायनदुर्ग
ये पहाड़ी इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है और इसकी पर्वत चोटि पर कई मंदिर स्थित हैं जिनमें से अनेक मंदिर योगनरस्मिहा और भोगनरसिम्हा को समर्पित हैं।
इसके अलावा यहां पर और मंदिर भी हैं जो लक्ष्मी नरसिम्हा, हनुमान जी और गरुड़ भगवान को समर्पित हैं। नरसिम्हा मंदिर से भी अधिक प्राचीन माना जाता है हनुमान मंदिर। यहां पर हनुमान जी को संजीवराया के नाम से जाना जाता है।PC:Mishrasasmita
चित्रादुर्ग
चित्रादुर्ग में आपको चालुक्य राजवंश के स्मारक दिखाई देंगें। चंद्रावल्ली और चित्रादुर्ग किला होने के कारण इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है।
चंद्रावल्ली की खुदाई में कई राजवंशों के सिक्के और अन्य कलाकृतियां पाई गईं हैं। चंद्रावल्ली की भूमिगत गुफाएं पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। भूमि से 80 फीट नीचे स्थित ये गुफाएं अंकाली मठ के नाम से जानी जाती हैं। इस जगह के पास स्थित झील इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है।
चित्रादुर्ग किले को इस शहर पर शासन करने वाले कई राजाओं द्वारा बनवाया और विकसित किया गया है। इस किले में अनेक मंदिर हैं और इसे कल्लिना कोटे भी कहा जाता है।
पर्वतों, गुफाओं और झील से बना चंद्रावल्ली जरूर देखें।
PC:Nagarjun Kandukuru
देवानगेरे में बेन्ने दोसे
कर्नाटक आए हैं तो इस शहर की लोकप्रिय डिश बेन्ने दोसे जरूर खाएं। इस जगह की खास डिश है बेन्ने दोसे जोकि काफी स्वादिष्ट भी है। देवानगेरे आएं तो इस डिश को खाना बिलकुल ना भूलें।
देवानगेरे में कई दर्शनीय मंदिर भी हैं जैसे हरिहरेश्वर मंदिर और दुर्गांबिका मंदिर।PC:Srutiagarwal123
रनेबेन्नुर ब्लैक बक अभ्यारण्य
देवानगेरे से 45 किमी दूर है रनेबेन्नुर ब्लैक बक अभ्यारण्य। इस राज्य में कई ब्लैकबक और कृष्णमुर्ग पाए जाते हैं। यहां 6000 ब्लैकबक पाए जाते हैं। इस अभ्यारण्य में यूकेलिप्टस के खेतों से घिरा है और यहां पर कई तरह के जानवर जैसे सियार, लंगूर, लोमड़ी आदि।
दुर्लभ प्रजाति का पशु ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी यहां पाया जाता है।
pc:Tejas054
हावेरी के मंदिर
गोकर्णा से पहले हावेरी के मंदिर भी आप देख सकते हैं। इस शहर में भी कई देवी-देवताओं के अनेक मंदिर हैं। हुक्केरी मठ, तारकेश्वर मंदिर, कादंबेश्वर मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, नागरेश्वर मंदिर आदि जैसे मंदिर इस जिले में देख सकते हैं।
हावेरी में मंदिरों के अलावा बनकापुरा मोर अभ्यारण्य भी लोकप्रिय स्थल है। देश में मोरों को संरक्षित करने के लिए बहुत ही कम अभ्यारण्य हैं और ये उनमें से ही एक है। इसके अलावा यहां पक्षियों की भी कई प्रजातियां जैसे पैराकीट, किंगफिशर, स्पॉट वुडपैकर्स आदि देख सकते हैं।PC:Rhalasur113
सिरसी के झरने
हावेरी से 80 किमी दूर है सिरसी जहां मधुकेश्वर और मारिकंबा मंदिर देख सकते हैं। इसके अलावा सिरसी से 50 से 60 किमी दूर कई खूबसूरत झरने भी हैं। उनछल्ली झरना, सथोड़ी झरना, बेन्ने होल झरना आदि सिरसी के नज़दीक स्थित झरने हैं।
पश्चिमी घाट में सहसाद्रि पहाडियों में स्थित उनछल्ली झरना बेहद खूबसूरत है। इसके अलावा यहां 116 मीटर की ऊंचाई से अग्नाशिनी नदी भी बहती है।PC:Sachin Bv
गोकर्णा के समुद्रतट
सिरसी के बाद आखिरकार आप गोकरणा पहुंचेंगें। इस जगह आप समुद्रतट के पास बैठकर आराम फरमा सकते हैं और समुद्र की तेज लहरों को देख सकते हैं। सुनहरी रेत और नीले पानी के बीच सूर्य की रोयानी में गोकरणा का सौंदर्य और भी ज्यादा निखर जाता है।
विदेशियों और भारतीय पर्यटकों के बीच ऊं बीच बहुत लोकप्रिय है। इस बीच को यह नाम अपने ऊं के आकार के कारण मिला है।
इसके अलावा गोकरणा में कुडले बीच, पैराडाइज़ बीच और गोकरणा बीच आदि पॉपुलर समुद्रतट देख सकते हैं।PC:Robert Helvie
सर्फिंग और स्नोरकेलिंग
एडवेंचर के लिए गोकरणा में कई वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज़ भी कर सकते हैं। यहां लोकल सेंटर्स द्वारा सर्फिंग करवाई जाती है। इसी जगह पर सर्फिंग गियर भी मिलते हैं।
समुद्र में डाइविंग को ही स्नोरकेलिंग कहा जाता है। पानी के अंदर की दुनिया देखना एक अलग ही अनुभव होता है। 15 फीट की गहराई में कोरल रीफ, सी अर्चिंस और एंजेल फिशेज़ को देखना अद्भुत होगा। यहां आप कछुए और डॉल्फिन को भी तैरते हुए देख सकते हैं।
PC:Stan Shebs
जैट स्काईंग और पैरासेलिंग
वॉटर स्पोट्र्स में आप पैरासेलिंग औैर जैट स्काईंग भी कर सकते हैं। बनाना बोट पर बैठकर पानी में जाना ही जैट स्काईंग है। समुद्र की लहरों पर 15 से 20 मिनट तक तैरना कुछ अलग ही अहसास देता है।
पैरासेलिंग के लिए भी गोकरणा मशहूर है। हालांकि, गोकरणा में पैरासेलिंग सिर्फ अक्टूबर से फरवरी तक कर सकते हैं।PC:Echasketch123
गोकर्णा के मंदिर
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि गोकरणा में अनेक मंदिर हैं। यहां आप महाबलेश्वर मंदिर, महा गणपति मंदिर, तामरा गौरी और वेंकेटरमन मंदिर आदि देख सकते हैं।
महाबेलश्वर मंदिर भगवान शिव का सबसे अधिक लोकप्रिय मंदिर है। इसे द्रविड शैली में बनवाया गया है औैर इस मंदिर में भगवान शिव की 1500 साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है।PC:Sbblr geervaanee