सैलसौर उत्तराखंड का एक छोटा सा हिलस्टेशन है, यह पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय नहीं है..यह एक ऐसी जगह है,जहां आने वाले पर्यटक रुक कर यहां की खूबसूरती को निहार सकते हैं । यहां देखने की कई सारी ऐसी जगह है जो मन को प्रफुल्ल्ति करती है।
उत्तराखंड के खूबसूरत हिलस्टेशन
सैलसौर उन लोगो के लिए एक बेहतरीन जगह है, जो शहर और ऑफिस की भाग दौड़ से कुछ पल सुकून के बिताना चाहते हैं..यहां की प्राकृतिक सुन्दरता मन और जीवन दोनों की शांति प्रदान करती है।
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यह एक स्टॉपओवर पॉइंट है, जहां से केदारनाथ,तुंगनाथ और बद्रीनाथ कीयात्रा शुरू की जाती है। यह एक बेहद ही छोटा सा कस्बा है..साथ ही अब भी यह जगह उत्तराखंड के एनी पर्यटन स्थलों की तरह भीड़भाड़ से बेहद दूर है।
कब जाएँ
यहां जाने का सबसे उचित समय अक्टूबर से अप्रैल तक का है..इस दौरान यहां मौसम काफी सुहाना रहता है..जिसके चलते आप आसपास की जगहों को अच्छे से घूम सकते हैं।
कैसे जाएँ
हवाई जहाज द्वारा
इसका सबसे नजदीकी हवाईअड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है..जोकि यहां से करीबन 180 किमी की दूरी पर है। यह हवाई अड्डा भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
ट्रेन द्वारा
यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है...जोकि यहां 165 किमी की दूरी पर स्थित है ..यह स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन से जुडी हुई है।
सड़क द्वारा
सईलासुर पहुँचने का सबसे अच्छा आप्शन सड़क है..यह जगह हरिद्वार से करीबन 18 6 किमी की दूरी पर है...और देहरादून से 206 किमी।
मंदाकिनी नदी
मंदाकिनी नदी देखने में ही शांत सी बड़ी है...लेकिन मानसून के मौसम में यह नदी बेहद ही उग्र हो जाती है। सईलासुर में यह नदी लोगो की लाइफलाइन है..नदी के किनारे कैम्पिंग करना आपकी ट्रिप को भी यादगार बनाता है..अगर आप चाहे तो यहां फिशिंग के साथ कायकिंग भी कर सकते हैं।
केदारनाथ
हिंदुयों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक केदारनाथ सईलासुर से करीबन 55 किमी की दूरी पर स्थित है। केदारनाथ का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है..बताया जाता है कि, यह मंदिर करीबन 1000 साल पुराना है। इस मंदिर में काई साडी आकृतियाँ है जो हिंदू पौराणिक कहानियों को दर्शाती हैं।
इस मंदिर की खास बात यह है कि, यह मंदिर उत्तर भारत में स्थित है..और इसके मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य से है..जोकि मन्त्रो का उच्चारण कन्नड़ा भाषा में करते हैं।
केदारनाथ वाइल्ड सेंचुरी
इस सेंचुरी को कस्तूरी हिरण अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में कस्तूरी हिरण की लुप्तप्राय प्रजाति की काफी मात्रा में है। यह दुनिया में सबसे अमीर जैव विविधता भंडारों में से एक है। यह पार्क हिम तेंदुए और हिमालयी काली भालू का घर भी है।
तुंगनाथ
3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, घाटी भगवान शिव को समर्पित मशहूर मंदिर तुंगनाथ घर लगभग 1000 वर्ष पुराना है। यह मंदिर हिमालय के चोटी के नीचे स्थित है, जिसे चंद्रशेला कहते हैं।