त्यौहार और उत्सवों का देश है। यहां विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं। यहां सबकी अपनी अपनी आस्था और विश्वास " loading="lazy" width="100" height="56" />भारत आस्था, विश्वास ,भक्ति,त्यौहार और उत्सवों का देश है। यहां विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं। यहां सबकी अपनी अपनी आस्था और विश्वास
यहां कई राज्य, भाषा, संस्कृति, पाक कला, परम्परा, पहनावा और अन्य बोलियां है जिनमें से कई तो अनगिनत है। भारत एक ऐसा भूमि है जहां सब कुछ देखने को मिलता है। लेकिन जहां एक ओर भारत इतनी विविधताओं से भरा हुआ है, वहीं यहां के लोगों के बीच अजीबोगरीब प्रथाएं भी पनप चुकी है।
क्यूँ ज़रूरी है इस महीने आपका ओड़िसा की यात्रा करना?
जिन्हें देखकर या फिर सुनकर ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएं।
गायों के पैरों से कुचलना
भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के कुछ गावों में एक अजीब सी परम्परा का पालन सदियो से किया जा रहा है। इसमें लोग जमीन पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर से दौड़ती हुए गाये गुजारी जाती हैं। इस परंपरा का पालन दीवाली के अगले दिन किया जाता है जो कि एकादशी का पर्व कहलाता है।
बारिश के लिए मेंढक की शादी
अमूमन जब बारिश नहीं होती है, तो लोग हवन कर उंदर देव को खुश करने का प्रयास करते हैं..लेकिन वहीं दूसरी ओर भारत में कुछ ऐसे भी हिस्से है। जो बारिश कराने के लिए मेढ़क और मेढ़की की शादी कराते हैं।दरअसल असम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लोग बारिश के लिए मेंढकों की शादी कराते हैं। यहां ऐसी मान्यता है कि मेंढकों की शादी कराने से इंद्र देवता प्रसन्न होते हैं और उस साल भरपूर बारिश होती है।
चर्म रोगों से बचने के लिए फूड बाथ
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक के ग्रामीण इलाको में चरम रोग का इलाज जूठे खाने पर लोटने से किया जाता है। यहां ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से चर्म रोग और बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। दरअसल मंदिर के बाहर ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर भोजन कराया जाता है। बाद में नीची जाति के लोग इस बचे हुए भोजन पर लोटते हैं। इसके बाद ये लोग कुमारधारा नदी में स्नान करते हैं और इस तरह यह परंपरा पूरी होती है।
चेचक से बचने को छेदते हैं शरीर
उत्तरभारत के राज्य मध्य प्रदेश के छोटे से से जिले में गांव के लोग चेचक के प्रकोप से बचने के लिए शरीर को छेदते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से वो माता (चेचक) के प्रकोप से बच जाते हैं। मार्च के आखिरी या अप्रैल की शुरुआत में आने वाली चैत्र पूर्णिमा के दिन लोग ऐसा करते हैं।
अच्छे भाग्य के लिए छत से फेंकते हैं बच्चों को
महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर दरगाह और कर्नाटक के इंदी स्थित श्री संतेश्वर मंदिर में बच्चो के अच्छे भाग्य के उन्हें छत से नीचे फेंका जाता है..कहते हैं ऐसा करने से उसका और उसके परिवार का भाग्योदय होता है। पिछले 700 सालों से यहां बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम अपने बच्चों को लेकर पहुंचते हैं।
बच्चियों की कुत्तों से शादी
इस वाहियात परम्परा को अगर कुरीति कहा जाये तो ही उचित होगा, इसमें भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव हटाने के नाम पर बच्चियों की शादी कुत्तों से करवाई जाती है। हालाकि ये शादी सांकेतिक होती हैं, पर होती हैं असली हिन्दू तरीके और रीती रिवाज़ से। लोगों को शादी में आने का निमंत्रण दिया जाता है। पंडित, हलवाई सब बुक किये जाते है। बाकायदा मंडप तैयार होता है और पुरे मन्त्र विधान से शादी सम्पन कराई जाती है। हमारे देश में झारखण्ड राज्य के कई इलाकों में परंपरा के नाम पर ऐसी शादियां सदियों से कराई जा रही है।
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