24 घंटों में जयपुर की यादगार यात्रा!
करौली ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और 902 फुट की औसत ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ का सबसे ऊंचा शिखर 1400 फिट की ऊंचाई पर स्थित है । किंवदंतियों के अनुसार, इस राज्य का निर्माण 995 ई में भगवान कृष्ण के 88 वें वंशज राजा बिजाई पाल जादोन द्वारा किया गया था । हालांकि, आधिकारिक तौर पर करौली यदुवंशी राजपूत, राजा अर्जुन पाल द्वारा 1348 ई. में स्थापित किया गया।
आज इस किले के विदेशी है दीवाने..कभी हुआ करता था जयपुर की राजधनी
इस शहर की खासियत है, कि यह पूरी तरह एक किले की तरह बनाया हुआ है। उस समय इस जिले में एक दीवार बनाई गयी जो लाल बलुआ पत्थरों की थी जो यहाँ आज भी मौजूद है । वर्तमान में ये दीवार अपना बुरा दौर देख रही है और जीर्ण हालत में है। इस दीवार में 6 मुख्य द्वार है और इसके अलग अलग हिस्सों में कुछ खिडकियां भी हैं जो इस दीवार को एक मजबूत ढांचा बनाते हैं।
जयपुर के महलनुमा संग्रहालय में राजस्थान का इतिहास!
राजस्थान का ये जिला अपनी लाल पत्थर वास्तुकला के लिए जाना जाता है साथ ही इस शहर में सिटी पैलेस, तिमांगढ़ किला, कैला देवी मंदिर, मदन मोहन जी मंदिर इस शहर को वास्तुकला और पर्यटन दोनों की दृष्टी से महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। आज भी यहाँ स्थित सिटी पैलेस को क्षेत्र की समृद्ध विरासत का एक प्रतीक माना जाता है ।
कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य
करौली में स्थित कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश सीमा से लगा हुआ है ये वन्य जीव अभ्यारण 676.40 वर्ग किमी के एक क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्य के पश्चिमी किनारे पर बनास नदी बहती है जबकि दक्षिण - पूर्व दिशा में चम्बल नदी का प्रवाह है। ये अभयारण्य, जो केला देवी मंदिर के नाम पर है दर्शकों को प्रकृति के लिए एक सुंदर परिदृश्य प्रस्तुत करता है। इस अभयारण्य में चिंकारा, जंगली सुअरों और सियार के अलावा बाघ, तेंदुओं , स्लॉथ भालू, हाइना, भेड़ियों और साम्भर को आसानी से विचरण करते हुए देखा जा सकता है।
तीमंगढ़ किला
तीमंगढ़ किला करौली के पास ही स्थित है। इतिहासकारों का मानना है की यहाँ निर्मित ये किला 1100 ई में बनवाया गया था जो जल्द ही नष्ट कर दिया गया। इस किले को 1244ई में यदुवंशी राजा तीमंपल जो राजा विजय पाल के वंशज थे द्वारा दोबारा बनवाया गया था।कई रिकॉर्ड साइट से खोज की पुष्टि करते हैं कि किला 1196 और 1244 ई. के लोगों के बीच मुहम्मद घोरी बलों द्वारा कब्जा किया गया था का मानना है कि वहाँ एक सागर झील के तल पर पत्थर पारस, किले के पक्ष में मौजूद है। लोगों का मानना है की आज भी किले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर है जिसके स्पर्श से कोई भी चीज सोने की हो सकती है।
PC: Seoduniya- Pramod Kumar Gupta
केला देवी मंदिर
करौली में स्थित कैला देवी मंदिर प्रमुख आकर्षणों में से एक है..यहा पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है....मार्च अप्रैल के वक्त यह जगह एक बड़े मेले का रूप ले लेती है..इस मेले में राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के तीर्थ यात्री आते है। मुख्य मन्दिर संगमरमर से बना हुआ है जिसमें कैला (दुर्गा देवी) एवं चामुण्डा देवी की प्रतिमाएँ हैं। कैलादेवी की आठ भुजाऐं एवं सिंह पर सवारी करते हुए बताया है। यहाँ क्षेत्रीय लांगुरिया के गीत विशेष रूप से गाये जाते है। जिसमें लांगुरिया के माध्यम से कैलादेवी को अपनी भक्ति-भाव प्रदर्शित करते है।
भंवर विलास
यह एक हेरिटेज होटल है...उस समय के तत्कालीन शासक महाराजा गणेश पाल देव बहादुर के द्वारा 1938 में बनाया गया था, तब इस पैलेस में तत्कालीन शाही परिवार निवास करता था। ये एक एक औपनिवेशिक शैली में बनाया गया पैलेस है जो उस समय की सजावट और फर्नीचर से सुसज्जित है। आज ये स्थान एक मॉडर्न हेरिटेज होटल के रूप में विकसित हो चुका है जहाँ समस्त सुख सुविधाओं से लैस 45 कमरे हैं।
अमरगढ़ किला, करौली
अमरगढ़ किला 250 साल पुराना किला है जो यहाँ अमरगढ़ गाँव के पास स्थित एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है । इस किले का नाम राजा अमर मल के नाम पर रखा गया जिन्होंने इस किले का निर्माण कराया था । धान के खेत और प्रचुर मात्रा में हरियाली इस किले की शोभा में चार चाँद लगाती हैं। चारों तरफ से जंगलों और पहाड़ों से घिरा होने के कारण यहाँ आने वाले पर्यटक को एक बेहतरीन दृश्य देखने को मिलता है।
रामाथरा किला
भरतपुर और सवाई माधोपुर में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में केवलादेव घाना पक्षी अभयारण्य के बीच स्थित रामाथरा किला केला देवी वन्यजीव अभयारण्य से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला झील के किनारे और गाँव के मनोरम दृश्य के लिए प्रसिद्द है।इस किले के अन्दर दो मंदिर हैं जिसमें से एक भगवान गणेश तो दूसरा भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ स्थित शिव मंदिर में भगवान शिव की एक संगमरमर से बनी विशाल मूर्ति है जो 18 वीं शताब्दी की वास्तुकला को दर्शाती है। इस किले की यात्रा करने पर यहाँ आने वाले पर्यटक सुन्दर खेतों, डांग के पठार कलिसिल झील के मनोरम दृश्यों को भी देख सकते हैं। भरतपुर पक्षी अभयारण्य यहाँ से नजदीक होने के कारण यहाँ आप सुदूर देश से उढ़कर आने वाली चिड़ियों को भी देख सकते हैं।
खरीदारी
करौली में चमड़े की जूतियां, चांदी के गहने और स्टील का सामान बहुत मशहूर है। इन्हें खरीदने के लिए सिटी पेलेस के पास के बाजार में जा सकते हैं। इस बाजार से लाख और कांच की चूडि़यां खरीदी जा सकती हैं। लकड़ी के खिलौने सैलानियों को लुभाते हैं।
क्या खाएं
करौली में आप राजस्थानी खाने का स्वाद चख सकते हैं.....आप यहां राजस्थानी विशिष्टताओं जैसे लाला मास और दाल बाटी जरुर ट्राय करें।
कैसे पहुंचे
हवाईजहाज द्वारा
करौली का नजदीकी एयपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है..जोकि यहां से करीबन 180 किमी की दूरी पर है..पर्यटक हवाईअड्डे से बस या टैक्सी द्वारा करौली जा सकते हैं ।
ट्रेन द्वारा
करौली का नजदीकी रेलव स्टेशन गंगानगर है..
सड़क मार्ग द्वारा
करौली जाने का सबसे उचित तरीका सड़क मार्ग है पर्यटक नेशनल हाइवे 11 से आसानी करौली जा सकते हैं । दिल्ली से करौली पहुँचने में करीबन 7 घंटे का वक्त लगता है ।
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