हमने आपको अपने पिछले लेख में अरुणाचल प्रदेश के एक बेहद खूबसूरत डेस्टिनेशन बोमडिला से अवगत कराया था और ये बताया था कि कैसे बोमडिला वेकेशन के लिए एक आदर्श गंतव्य है। इसी क्रम में आज हम आपको अवगत करा रहे हैं अरुणाचल प्रदेश के एक ऐसी ही डेस्टिनेशन से जो है तो बहुत खूबसूरत मगर सूचना के आभाव के चलते यहां बहुत काम ही लोग आते हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं अरुणाचल प्रदेश के डेस्टिनेशन जाइरो से। अरूणाचल प्रदेश के सबसे प्रचीन शहरों में से एक, जाइरो एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो धान के खेतों से घिरा रहता है और चीड़ के सुन्दर पेड़ों के बीच स्थित है। पूरे क्षेत्र में फैले घने जंगल ही आदिवासी लोगों के घर हैं। यह छोटा सा सुन्दर शहर समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
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यह स्थान पौधों और जन्तुओं के मामले धनी है तथा इसकी विविधता ही इसे प्रकृति प्रमियों के लिये आदर्श स्थान बनाती है। यहाँ के अपा टनी आदिवासी लोग प्रकृति की भगवान के रूप में पूजा करते हैं और खेती के अलावा हस्तशिल्प तथा हैन्डलूम उत्पादों को बनाकर अपना जीवनयापन करते हैं।
यदि जाइरो के पर्यटन पर एक नज़र डालें टी मिलता है कि हरी-भरी शाँन्त टैली घाटी, जाइरो पुटु, तरीन मछली केन्द्र जैसे स्थान यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। आइये इस लेख के माध्यम से जरा गहराई से जाना जाए कि एक ट्रैवलर जाइरो,में क्या क्या कर सकता है।
टैली घाटी
जाइरो की टैली घाटी साहसिक व्यक्तियों को प्रकृति के हर पहलू को भरपूर जीने के पर्याप्त मौके देती है। यह ट्रेकिंग के लिये प्रसिद्ध है और एक आदर्श पर्यटक स्थान है। यहाँ के चीड़ के सुन्दर जंगल और बाँस, ऑर्किड, रोडोडेन्ड्रॉन और देवदार के पेड़ पर्यटकों के लिये मनमोहक दृश्य सृजित करते हैं।
फोटो कर्टसी - Charles Barilleaux
प्रसिद्ध टैली घाटी वन्य जीव अभ्यारण्य अरुणाचल प्रदेश के जाइरो से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह एक पठार पर स्थित है। अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा घोषित यह वन्यजीव अभ्यारण्य कई पौधों और जीवों के साथ-साथ लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। क्लाउडेड तेंदुआ यहाँ की दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। इसमें एक प्राकृतिक वनस्पति उद्यान है जिसमें कई प्रकार के सुन्दर ऑर्किड् पाये जाते हैं।
सिद्धेश्वर नाथ मन्दिर
सिद्धेश्वर नाथ मन्दिर का 25 फीट ऊँचा तथा 22 फीट चौड़ा शिवलिंग हपोली शहर से 4 किमी की दूरी पर स्थित कर्दो के जंगलों में स्थित है। इस विशाल शिवलिंग की खोज श्रावण के पवित्र महीने में की गई थी जिस समय हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इसे जुलाई 2004 में खोजा गया था। सूत्रों के अनुसार एक नेपाली ने पेड़ो को काटते समय इसे देखा था। साल भर भारी संख्या में भक्त यहाँ आकर शक्ति के देवता की पूजा करते हैं। स्थानीय लोगों की देवता की शक्ति में गहरी आस्था है और वे मन्दिर में रोज पूजा करते हैं। कई पर्यटक यह चमत्कार देखने के लिये हर साल आते हैं।
फोटो कर्टसी - Ziro Tourism
कैसे जाएं जाइरो
फ्लाइट द्वारा - ईटानगर से निकटतम हवाईअड्डा लीलाबरी है। यहाँ दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे शहरों से उड़ाने उपलब्ध हैं।
ट्रैन द्वारा - ज्ञात हो कि जाइरो के लिये निकटतम रेलवे स्टेशन ईटानगर ही है।
सड़क मार्ग द्वारा - यदि आप सड़क मार्ग से जाना चाहें तो भी ये खूबसूरत शहर अच्छे रोड नेटवर्क के जरिये देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।