उत्तर पूर्वी के छोटे से राज्य त्रिपुरा के दक्षिण में स्थित उदयपुर एक छोटा पर प्रसिद्ध शहर है। यह दक्षिण त्रिपुरा जिले का मुख्यालय भी है। भले ही उदयपुर का नाम राजस्थान के अधिक लोकप्रिय शहर से मिलता है, लेकिन यह पश्चिम के रेगिस्थानी शहर से बहुत अलग है।
उदयपुर और उसके आस पास के पर्यटक स्थल
उदयपुर शहर अपने अनेक मंदिरों के लिए जाना जाता है। भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिरो के इस शहर में स्थानीय देवी, त्रिपुरा सुंदरी और अन्य कई देवताओं की पूजा करने आते हैं। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यहां की कई झीलें शहर को और खूबसूरत बनाती हैं। उदयपुर की सारी झीलें कृत्रिम रुप से बनाई गई हैं, धानी सागर, महादेव दिघी, जगन्नाथ दिघी और अमर सागर उनमें से कुछ हैं।
उदयपुर, अगरतला के बाद त्रिपुरा का दूसरा सबसे बडा शहर है साथ ही दक्षिण त्रिपुरा जिले का मुख्यालय भी है। शहर में बहती गुमटी नदी भूमि को उपजाऊ और कृषि के लिए उपयुक्त बनाती है। उदयपुर, अगरतला से 55 कि.मी दूर स्थित है तथा यहाँ तक किसी निजी वाहन या राज्य परिवहन की बसों द्वारा पहुंचा जा सकता है।
उदयपुर के अन्य कई मंदिरों में से, 1501 में बना त्रिपुरा संदरी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और राज्य का अधिक देखा जाने वाला मंदिर है। यह मंदिर माता बरी के नाम से भी जाना जाता है, और हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार 51 शक्ति पीठों में से एक है। कल्याण सागर, मंदिर के निकट स्थित एक बडी झील है। इन मंदिरों के अलावा उदयपुर की सैर करने आए श्रद्धालु मां भुवनेशवरी को समर्पित भुवनेशवरी मंदिर के भी दर्शन करते हैं।
आकर्षणों के अन्य स्थानों में से एक नजरुल ग्रन्थघर एक सार्वजनिक पुस्तकालय है, जिसका नाम बंगाल के प्रसिद्ध कवि काज़ी नजरुल इस्लाम के नाम पर रखा गया है।
कैसे पहुंचे उदयपुर
उदयपुर जाने के लिए रोड और रेल मार्ग की सेवा उपलब्ध है।
उदयपुर जाने का सबसे बढिया समय
अक्टूबर से लेकर मई महीने तक का समय उदयपुर की सैर के लिए बहुत बढिया है। उदयपुर शहर अपने मंदिरों के लिए जाना जाता है, अतः सैलानी इस शहर की सैर दीवाली के दौरान करें।