भुवनेश्वरी मंदिर का वर्णन नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के प्रसिद्ध उपन्यास राजर्षि और नाटक बिशर्जन में किया गया था। ये मंदिर गोमती नदी के बगल में आज एक खंडहर में तब्दील हो चुके शाही महल के पास में स्थित है। ये मंदिर देवी भुवनेश्वरी को समर्पित है जिसे महाराजा गोविंदा माणिक्य द्वारा 17 वीं सदी में बनाया गया था।
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 675-1660 ई के आस पास हुआ है। अगरतला के राजधानी स्थानांतरण से पहले उदयपुर माणिक्य राजवंश की राजधानी और राजा का सरकारी निवास स्थान था। ये सुन्दर मंदिर एक तीन फुट ऊंचे बरामदे में है।
इस मंदिर में एक सुन्दर छत, और द्वार पर स्तूप है जो इसे और भी अधिक खूबसूरत बनती है। इस मंदिर की वास्तुकला आज भी देखते ही बनती है। कहा जाता है कि इस मंदिर की कारीगरी अपने आप में एक आश्चर्य है।
ये मंदिर एक प्रमुख धार्मिक गंतव्य है जहां हर साल हजारों लोग आते हैं।