वधू और तुलापुर दो छोटे गांवों, महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित है। भारतीय इतिहास में इन दोनों गांवों की जड़ें गहरी समाई हुई हैं। शिवाजी के बेटे संभीजी ने अपने जीवन के अन्तिम क्षण इन्ही स्थानों पर बिताए थे। तुलापुर, पुणे से 40 किमी. दूर उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह गांव तीन नदियों ब्रहमा, भामा और इंद्रायणी के संगम पर बसा हुआ है। तुलापुर को पहले नागरगांव के नाम से जाना जाता था। वहीं दूसरी तरफ वधू में संभाजी महाराज और उनके कवि मित्र कवि कैलाश की समाधि बनी हुई है।
वधू और तुलापुर का ऐतिहासिक महत्व
तथ्य यह है कि यह गांवों छोटे होने के बावजूद भी मराठा शासन के अध्याय में एक समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका रखते है। जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि तुलापुर में छत्रपति संभाजी को मारा गया था, जबकि वधू में उनका अन्तिम संस्कार किया गया था। इसी कारण वधू में शिवाजी के बेटे की कब्र बनी हुई थी। दोनों गांवों में संघर्ष और त्याग की गुंज ही इन्हे आकर्षण का केन्द्र बनाती है। समाधि के अलावा,1822 में एक युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया था जिसे रणस्तम्भ के नाम से जाना जाता है। यह उन मराठा योद्धाओं की स्मृति में बनवाया गया था जो ब्रिटिश और मराठा के बीच अंतिम लड़ाई में मारे गये थे।
वधू और तुलापुर में क्या देखें
तुलापुर को प्राचीन शिव मंदिर संगमेश्वर का घर कहा जाता है। यह मंदिर काफी महत्वपूर्ण है क्योकि इसी जगह संभाजी को मुगलशासक औरंगजेब द्वारा मारा गया था। विशेष और शुभ अवसरों के दौरान फाटक खुलने पर इस मंदिर में भक्तों और पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा होता है। दोनो ही गांव प्रमुख ऐतिहासिक स्थान है यह तथ्य हमें भूलना नहीं चाहिए और वधू और तुलापुर का भ्रमण करना चाहिए ताकि देश के इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिलें।
वधू और तुलापुर में आकर्षण के केन्द्र
संभाजी महाराज समाधि- संभाजी की समाधि तुलापुर गांव के संगमेश्वर मंदिर के निकट ही स्थित है। यहॅा पर शिवाजी के पुत्र मराठा शासक संभाजी महाराज को सलामी देते हुऐ एक भव्य प्रतिमा को बनाया गया। साथ ही संभाजी को धर्मवीर का शीर्षक भी दिया गया है जिसका अर्थ है कि धर्म का रखवाला। इस समाधि का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब के हाथों संभाजी की मौत के बाद करवाया गया था।