1 - तामबेकर वाड़ा
यह भवन एक समय में वड़ोदरा के दीवान का घर हुआ करता था। फिलहाल यह भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण के अंतर्गत है। यह भवन 19वीं शताब्दी की भित्ती चित्रों के लिए जाना जाता है, जिसे मराठा परंपरा के अनुसार बनाया गया था। इसके ज्यादातर विषय महाभारत, श्री कृष्णा के जीवन वृतांत और एंग्लो-मराठा युद्ध से लिए गए हैं।
2 - कीर्ति मंदिर
कीर्ति मंदिर गायकवाड़ की शाही समाधि है। इसे 1936 में महाराजा सयाजीराव ने 75वें जन्मदिन पर अपने पूर्वजों के सम्मान में बनवाया था। इस भवन के टावर को अविभाजित भारत के मानचित्र के साथ कांसे से बने सूर्य, चन्दमा और पृथ्वी से सजाया गया है। यहां शांतिनिकेतन के प्रसिद्ध पेंटर नंदलाल बोस के भित्ती चित्र भी देखे जा सकते हैं। इन भित्ती चित्रों में आप महाभारत के दृश्य और मीरा बाई के जीवन को देख सकते हैं।
3 - कुतबुद्दीन हाजिरा
कुतबुद्दीन हाजिरा कुतबुद्दीन मोहम्मद खान और उनके बेटे नौरंग खान का मकबरा है। वे मुगल बादशाह अकबर के सेनापति और स्थानीय गवर्नर थे। इस मकबरे को 1586 में बनवाया गया था और यहां कुछ खूबसूरत नक्काशीयुक्त खिड़कियों के साथ-साथ पास में ही सीढ़ी वाला एक कुआं भी है। आज के समय में यह बड़ोदरा शहर का सबसे पुराना मुगल वास्तुशिल्पीय संरचना है।
4 - न्याय मंदिर
न्याय मंदिर में वड़ोदरा शहर का जिला सत्र न्यायालय है। इस भवन को यूनानी वास्तुशिल्पीय शैली में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय की पत्नी चिमनाबाई की याद में बनवाया गया था। मुख्य कक्ष में महारानी की प्रतिमा लगी हुई है, जिसे यूनानी शैली में पच्चीकारी टाइल्स से सजाया गया है।