काशी विद्यापीठ का नाम 1995 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ कर दिया गया था, जिसे अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। काशी विद्यापीठ को स्थापित करने का विशेष श्रेय बाबू शिव प्रसाद गुप्ता को दिया जाता है जो एक प्रसिद्ध राष्ट्रकवि और शिक्षाविद थे।
उन्होने काशी विद्यापीठ को महात्मा गांधी और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर भगवान दास के सहयोग से स्थापित किया था, डा. भगवान दास ही काशी विद्यापीठ के प्रथम कुलपति बने थे। संयोग से, बाबू शिव प्रसाद गुप्ता ने बनारस के भारत माता मंदिर की स्थापना में विशेष सहयोग दिया और देशभक्ति की भावना को जागृत किया।
काशी विद्यापीठ को 1963 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान कर दिया गया था, जिसका उद्घाटन महात्मा गांधी के द्वारा वंसत पंचमी के दिन किया गया था। 10 फरवरी; 1963 से यहां भगवत् गीता और कुरान को पढ़ाया जाता है।
काशी विद्यापीठ के पहले प्रबंधन बोर्ड में महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, पंडित जवाहर लाल नेहरू, जमुना लाल बजाज, आचार्य नरेन्द्र देव, पी. डी. टंडन, बाबू शिव प्रसाद और डा. भगवान दास थे। काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्रों की सूची में कई नाम शामिल है जैसे - चंद्र शेखर आजाद, मननंथनाथ गुप्त, भोला पवन शास्त्री, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित कमलापति त्रिपाठी, बी. वी. केशकर, राम कृष्ण हेगडे और प्रोफेसर राजा राम शास्त्री आदि।