मान मंदिर घाट को 1585 में बनाया गया था, इस घाट को अम्बेर यानि अजमेर के राजा सवाई राजा मान सिंह ने बनवाया था, जिसके कारण इस घाट का नाम मान मंदिर घाट पड़ गया। मान मंदिर घाट को पहले सोमेश्वर घाट के नाम से जाना जाता है। महाराजा जयसिंह के द्वारा 1730 में एक वेधशाला की भी स्थापना की गई थी। यह वहीं राजा है जिन्होने दिल्ली और जयपुर में जंतर - मंतर का निर्माण करवाया था।
इस वेधशाला में उत्कृष्ट खिड़कियां कास्टिंग के साथ फिट है। यहां चार खगोलीय उपकरण है जो अभी भी अच्छी हालत में है और बढि़या कार्य कर रहे है। यह उपकरण, खगोल विज्ञान के ज्ञान की स्थिति पर महान प्रकाश डालते है। इस वेधशाला का पुनर्निर्माण 1850 में करवाया गया था और 1912 में पुन: जयपुर के राजपूत शासक ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।
मान मंदिर घाट में कई महत्वपूर्ण मंदिर है जैसे - स्थूलदंत विनायक, रामेश्वरा और सोमेश्वरा मंदिर। यहां का सोमेश्वरा लिंगम, गुजरात के सोमनाथ मंदिर की समकक्ष प्रतिकृति है। इसे भारत के नौ प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंगों में से एक माना जाता है।