पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित विन्ध्याचल भारत का एक प्रमुख शक्तिपीठ है। हिन्दू मान्यताओं और धर्मग्रन्थों के अनुसार इसे देवी दुर्गा का घर माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार महिषासुर राक्षस का वध करने के बाद देवी ने विल्ध्याचल को ही अपना निवास स्थान बनाया।
अपने सर्वश्रेष्ठ दिनों में विन्ध्याचल अपने कई मन्दिरों और इमारतों के लिये जाना जाता था लेकिन इन सभी को मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में नष्ट कर दिया गया था किन्तु इनमें से कुछ आज भी बचे हुये हैं।
मन्दिर और मनोरम दृश्य के लिये प्रसिद्ध
विन्ध्याचल हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह मीरजापुर जिले में स्थित है जो स्वंय ही कई विक्टोरिया काल की बेहतरीन इमारतों को लिये जाना जाता है। मन्दिर के अलावा विन्ध्याचल का प्राकृतिक सौन्दर्य भी प्रमुख आकर्षण है। यह क्षेत्र हरे-भरे वन से आच्छादित है और मन्दिर के साथ-साथ सुन्दर वातावरण विन्ध्याचल उन लोगों के लिये प्रिय स्थान है जो भीड़-भाड़ से बचना चाहते हैं।
विन्ध्याचल और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
देवी सीता को समर्पित रामायण कालीन सीता कुण्ड के साथ-साथ यहाँ पर कई आकर्षण हैं। यहीं पर देवी काली को समर्पित एक कालीकोह प्राचीन मन्दिर भी है। आप रामेश्वर महादेव अवश्य जाये जहाँ के बारे में मान्यता है कि श्रीराम ने यहाँ पर शिवलिंग को स्थापित किया था। यहाँ का अष्टभुजा देवी मन्दिर देवी अष्टभुजा को समर्पित है जो कि श्रीकृष्ण जी को पालने वाली यशोदा माता की पुत्री थीं।
विन्ध्याचल देवी मन्दिर विन्ध्याचल की संरक्षक देवी का सम्मान करता है। विन्ध्यवासिनी के जन्मदिन के अवसर पर विन्ध्यवासिनी जयन्ती समारोह या पर्व मनाया जाता है।
विन्ध्याचल कैसे पहुँचें
विन्ध्याचल सड़कमार्ग द्वारा भली-भाँति जुड़ा हुआ है और रेल तथा वायुमार्गों द्वारा यहाँ वाराणसी से पहुँचा जा सकता है।
विन्ध्याचल आने का सर्वश्रेष्ठ समय
विन्ध्याचल भ्रमण का आदर्श समय अक्तूबर से मार्च के बीच का है।