हज़रत शाह कमल बाबा की दरगाह तुरा, पश्चिमी गारो हिल्स से 80 कि.मी. दूर भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि 16वीं सदी में राजा महेनरानारायण के शासनकाल में निर्मित यह दरगाह केवल एक रात में ही बना दी गई थी। इस तीर्थ को पीरस्थान भी कहा जाता है।
एक किंवदंती के अनुसार राजा के शासनकाल में इस जगह पर एक राक्षस ने कब्जा कर लिया था जिसने सभी लोगों को मारने की धमकी दी थी। उस समय शाह कमल बाबा ने इस जगह आकर उस राक्षस को भगा दिया था। यह जगह अपने वार्षिक प्रार्थना-उत्सव अथवा ’उर्स’ के लिए प्रसिद्ध है जो विभाजन से पहले के समय की परंपरा रही है।
पास और दूर स्थानों से भक्त पीर बाबा की दिव्यता को देखने और उनका आर्शीवाद पाने के लिए इस तीर्थस्थान पर आते हैं। इस पीरस्थान का इतिहास रहा है कि यहाँ आने पर कोई भी खाली हाथ वापिस नहीं गया। यह दरगाह एक शांत जगह पर स्थित है तथा इसकी संरचना और डिज़ाइन पारंपरिक मुग़ल शैली की है।
2008-2009 में मेघालय के वाक्फ बोर्ड के कहने पर इस दरगाह का पुनर्निर्माण किया गया था। यदि आप सांत्वना और दिव्य अनुभव की खोज में हैं तो पीरस्थान एक उपयुक्त जगह है।