बकरीद यानी ईद-उल-अजहा आज पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है। मुस्लिमों का यह खास त्योहार मीठी ईद के 2 महीने बाद आता है। ईद-उल-फित्र के बाद यह मुस्लिम समुदाय का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। इस खास मौके पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। दिन की शुरुआत नहा-धोकर नए कपड़े पहन नवाज अदा से होती है। सामुहिक नवाज के बाद जानवर की कुर्बानी दी जाती है।
गोश्त को शरीयत के अनुसार तीन हिस्सों में विभाजित किया जाता है, पहला हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है, दूसरा हिस्सा अहबाब यानी दोस्तों के लिए और तीसरा अपने घर के लिए। कुछ इस प्रकार इस त्योहार की धार्मिक परंपरा पूरी की जाती है। इस खास अवसर आज हमारे इस लेख के माध्यम से जानिए उत्तर भारत की कुछ चुनिंदा खूबसूरत मस्जिदों के बारे में, जहां का भ्रमण आप इस दौरान कर सकते हैं।
मस्जिद जहान नुमा, दिल्ली
PC- Jorge Royan
मस्जिद जहान नुमा या जामा मस्जिद, भारत की प्राचीन और सबसे बड़ी मस्जिदों में गिनी जाती है, जो राजधानी शहर दिल्ली में स्थित है। इस संरचना का नाम भारत की प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरों में भी आता है। इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1644 और 1656 के बीच बनाया था। मुस्जिद के उद्धाटन उज्बेकिस्तान के बुखारा से आए इमाम ने किया था।
यह एक विशाल मस्जिद है, जो तीन बड़े प्रवेशद्वार, चार मीनारें और दो अन्य मीनारों( लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी 40 मीटर की ऊंचाई वाली) के साथ खड़ी है। इस मस्जिद का आंगन इतना बड़ा है कि यहां एक बार में 25,000 लोग नवाज पढ़ सकते हैं। बकरीद के खास मौके पर आप भारत की इस प्रसिद्ध में आ सकते हैं।
आसफी मस्जिद, लखनऊ
दिल्ली की जामा मस्जिद के बाद अगर आप चाहें तो लखनऊ की आसफी मस्जिद की सैर कर सकते हैं, यह मस्जिद बड़ा इमामबाड़ा परिसर के अंदर स्थित है। बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण 1784 में अवध के नवाब आसफ-उद-दीन के द्वारा बनाया गया था । आसफी मस्जिद लखनऊ की सबसे पुरानी संरचनाओं में गिनी जाती है। इमामबाड़ा परिसर में आप भूल-भूलैया, बावड़ी भी देख सकते हैं। माना जाता है कि यहां 1024 रास्ते हैं छत पर जाने के लेकिन वापस एक से आया जा सकता है। उत्तर भारत के इतिहास को समझने के लिए आप यहां आ सकते हैं।
बड़ी मस्जिद, जौनपुर
PC- Varun Shiv Kapur
आप चाहें तो उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित जामा मस्जिद की सैर भी कर सकते हैं। इस मस्जिद को जामी मस्जिद और बड़ी मस्जिद भी कहा जाता है। इस ऐतिहासिक सरंचना का निर्माण 15वीं शताब्दी में जौनपुर के हुसैन शाह शर्की ने करवाया था। खासकर एक इतिहास प्रेमी के लिए यह एक खास जगह है। दैनिक पांच वक्त की नवाज के अलावा हर शुक्रवार यहां बड़ी सामूहिक नवाज अदा की जाती है। ईद जैसे खास मौकों पर यहां दूर-दूर मुस्लिम समुदाय के लोगों का आगमन होता है।
जामा मस्जिद, लखनऊ
इस खास मौके पर आप लखनऊ की प्रसिद्ध शाही जामा मस्जिद की सैर कर सकते हैं। यह मस्जिद शहर के तहसीलगंज में स्थित है। इस ऐतिहासिक संरचना को बनाने का काम 1839 में मोहम्मद अली शाह बहादुर द्वारा शुरू किया गया था, उनका उद्देश्य था इस मस्जिद को दिल्ली की जामा मस्जिद से बड़ा बनाने का।
लेकिन अली शाह बहादुर कि मौत के बाद उनका यह सपना पूरा न हो सका, बाद में उनकी बेगम मल्लिका जहां साहिबा ने 1845 में मस्जिद को बनाने का काम पूरा करवाया। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।
मोती मस्जिद
PC- Airunp
उपरोक्त मस्जिदों के अलावा आप दिल्ली के लाक किले परिसर में स्थित मोती मस्जिद की सैर का प्लान बना सकते हैं। परिसर में दीवान-ए-खास के पास स्थित इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1659 में करवाया था। इस मस्जिद का इस्तेमाल महिलाओं (जनाना) द्वारा भी किया जाता था। मस्जिद की वास्तुकला देखने लायक है, लाल किले के भ्रमण के दौरान आप यहां आ सकते हैं। भारतीय इतिहास और मुगल वास्तुकला को समझने के लिए यह एक आदर्श स्थल है।