घर के किसी कोने या अलमारी में पड़ी वो गुड़िया याद है आपको? हाँ! तो याद करिए उनसे जुड़ी कहानियों को जो आपकी दादी माँ आपके लिए उस गुड़िया के बारे में रोज़ नये नये बनती थी। ज़िंदगी के सबसे अच्छे पल थे वो। जब भी बचपन के किसी खिलोने या गुड़िया को हम देखते हैं, फिर से सारा बचपन हमारी आँखों के सामने आ जाता है। वैसे भी जब छोटे थे तो सोचते थे कि जल्दी से बड़े हो जाएँ, और अब जब बड़े हो गये हैं तो फिर सोचते हैं काश फिर से छोटे हो जाएँ, अपने पुराने खिलौने और गुड़ियों के साथ खेल सकें।
मत्र्योश्क डॉल्स
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खैर यह तो बड़ा होने के बाद हर एक व्यक्ति सोचता है और चाहने लगता है। आपकी इसी चाह को ध्यान में रख कर हम आपको ऐसे ही जगह की सैर पर ले चलते हैं जहाँ फिर से आप अपने बचपन में चले जाएँगे, उन्हीं कहानियों को फिर से याद करेंगे।और साथ ही साथ विश्व भर के उन खिलोनों के भी अनुभव लेंगे जिन्हें अापने पहले कभी नहीं देखा होगा।
तो चलिए चलते हैं गुड़ियों की इन्हीं मशहूर दुनिया में, उनके संग्रहालय में।
शंकर अंतर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय
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शंकर अंतर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय, नई दिल्ली
इस संग्रहालय की स्थापना 30 नवंबर 1965 में के. शंकर पिल्लै, महान राजनीतिक कार्टूनिस्ट द्वारा की गई थी। इन्होंने सबसे पहले बच्चों के साहित्य के लिए चिल्ड्रेंस बुक ट्रस्ट की स्थापना की थी। जब उन्हें तोहफे के रूप में हंगरी के राजनयिक से एक गुड़िया मिली, जिसने उन्हें विश्व के अलग अलग देशों से गुडियों का संग्रह करने की तरकीब दी, उसके बाद उन्होंने अलग अलग जगहों से गुडियों को संग्रह कर ग़रीब बच्चों के लिए गुड़ियों की प्रदर्शिनी की शुरुआत की।
संग्रहालय की ख़ासियत: जब इस संग्रहालय की स्थापना 1965 में हुई थी, तब यहाँ गुडियों की संख्या सिर्फ़ 500 थी,जो बढ़कर अब 6500 हो चुकी है। 85 अलग अलग देशों की गुड़िया आपको यहाँ देखने को मिलेंगी। कई गुड़िया इस म्यूज़ीयम को विश्व के अलग अलग देशों से तोहफे में मिली हैं।
तँजोर डॉल
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पता: नेहरू हाउस,4 बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग,नई दिल्ली-110002
खुलने का समय: सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक सोमवार और बाकी सरकारी छुट्टियों में बंद रहता है ये संग्रहालय।
प्रवेश शुल्क: 15 रुपये व्यस्क के लिए और 5 रुपये बच्चे के लिए
रोटरी डॉल्स म्यूज़ीयम, राजकोट
रोटरी डॉल्स म्यूज़ीयम गुजरात के राजकोट में रोटरियन श्री दीपक अग्रवाल द्वारा 2001 में स्थापित की गयी थी। दुनिया के सारे रोटरी क्लबों ने इस म्यूज़ीयम को कई गुड़िया तोहफे में दिए हैं। इस प्रॉजेक्ट की शुरुआत शहर को कुछ अलग और अर्थपूर्ण ऑफर देने के लिए की गयी थी। आज की उत्साही पीढ़ी को कुछ ऐसी चीज़ से रूबरू कराने के लिए जिससे कि वे हमेशा अपने विश्व के बारे में जान सकें और उनमें वैश्विक जागरूकता आ सके। इस संग्रहालय को सिर्फ़ बच्चों के लिए ही नहीं व्यसकों के लिए भी बनाया गया है जो भावी पीढ़ी को एक साँचें में ढालने में मदद करते हैं।
अलससियान मत्र्योश्क डॉल्स
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संग्रहालय की ख़ासियत: दुनिया के अलग अलग देशों की संस्कृति , परिधान को दर्शाता यह संग्रहालय लोगों को नयी संस्कृति से जुड़ने में मदद करती है। दुनिया के अलग अलग लोगों के लिए आदर सम्मान की भावना उत्पन्न करने में मदद करती है। अपने ख़ासियतों के साथ इस संग्रहालाय में 100 देशों के 1600 से ज़्यादा गुडियों का संग्रह है।
पता: रोटरी डॉल्स म्यूज़ीयम राजकोट नागरिक सहकारी बैंक बिल्डिंग,ऑपोसिट हीरा पन्ना शॉपिंग कॉंप्लेक्स,डॉक्टर याग्निक रोड,राजकोट, गुजरात- 360 001,
खुलने का समय: मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में सुबह 9:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम के 4 बजे से रात के 8 बजे तक, सोमवार बंद।
बाकी महीनों में सुबह 9:30 बजे से दोपहर के 1 बजे तक और शाम के 3:30 बजे से 7:30 बजे तक, सोमवार बंद।
सकूकुम डॉल्स
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डॉल्स म्यूज़ीयम, जयपुर
सन् 1974 में स्थापित जयपुर का डॉल म्यूज़ीयम, जयपुर के अन्य प्रसिद्ध संग्रहालयों में से एक है। यह एल्बर्ट हॉल के सामने ही स्थित है।दुनिया के अलग अलग संस्कृति, जानकारियों के साथ यह संग्रहालय आपको उनकी दुनिया में ही ले जाता है।
संग्रहालय की ख़ासियत: यहाँ यू.एस.ए, ब्रिटन, मेक्सिको, स्पेन, स्वीडन, जर्मनी, घाना, यूगॅंडा, लेबनॉन, अफ्गानिस्तान जैसे कई देशों की संस्कृति और परिधानों से आप रूबरू होंगे। दुल्हनों, अलग अलग नृत्य मुद्राओं और आकर्षक परिधानों से सारी गुड़िया सजी रहती हैं। यह संग्रहालय यात्रियों को अलग ही खुशनुमा और अपने बचपन के अनुभव एक साथ देता है।
पता: त्रिमूर्ती सर्कल, जे.एल.एन मार्ग, आदर्श नगर, जयपुर, राजस्थान
खुलने का समय: सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक।
प्रवेश शुल्क: 20 रुपये सबके लिए
अपने सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।