भारत धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाजों का देश है। यहां सनातन धर्म से जुड़े लोग इन परंपराओं को अपनी प्राचीन संस्कृति का आधार मानते हैं। आस्था-पूजा पाठ भारतीय संस्कृति के मूल तत्व माने जाते हैं। भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां असंख्य देवी-देवताओं का पूजा की जाती है। और इन सभी का हिन्दू धर्म में अपना अलग स्थान है। पूजा-पाठ को लेकर भी भारत में अलग-अलग रीति रिवाजों का अनुसरण किया जाता है।
आस्था से जुड़े कुछ रिवाज ऐसे भी हैं जो एक पल के लिए किसी को भी हैरान करे दें। आज हम आपको भारत के हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे देवी के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पती-पत्नि एकसाथ दर्शन नहीं कर सकते। आगे हमारे साथ जानिए अगर कोई ऐसा करता है तो उसके साथ क्या किया जाता है...
एक अनोखी परंपरा
यह अद्भुत मंदिर हिमाचल प्रदेश, शिमला के रामपुर नामक स्थान पर स्थित है। कहा जाता है यहां स्थित मां दुर्गा के मंदिर में एकसाथ पति-पत्नी पूजा या दर्शन नहीं कर सकते। मंदिर के अंदर पति-पत्नी का एकसाथ प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित है। माता के दर्शन करने के लिए दोनों को अलग होकर प्रवेश करना पड़ता है। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। जिसका अनुसरण यहां आने वाले हर दंपत्ति को करना पड़ता है।अद्भुत : समूचे पर्वत को तराश कर बनाया गया विशाल मंदिर
श्राई कोटि माता का मंदिर
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में श्राई कोटि माता के मंदिर के नाम से विख्यात है। जहां दंपत्ति एकसाथ माता के दर्शन नहीं कर सकते हैं। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे सजा भुगतनी पड़ती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर कोई दंपत्ति एकसाथ मां दूर्गा के दर्शन कर ले तो वे सदा-सदा के लिए अलग जो जाते हैं।
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इस परंपरा का सबसे बड़ा कारण
इस परंपरा का संबंध पौराणिक काल से बताया जाता है। जनश्रुति के अनुसार एकबार भगवान शिव में गणेश और कार्तिकेय को संसार का चक्कर लगाने को कहा था, जिसके बाद कार्तिकेय अपने वाहन पर बैठ ब्रह्मांड के चक्कर पर निकल गए।
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माता पार्वती का गुस्सा
कहा जाता है कि जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए तब तक भगवान गणेश का विवाह हो चुका था। जिसे देख कार्तिकेय काफी क्रोधित हुए और उसी वक्त यह प्रण लिया कि वे कभी विवाह नहीं करेंगे। यह बात सुनकर माता पार्वती काफी गुस्सा हो गईं, और उन्होंने कहा कि जो भी पति-पत्नी यहां दर्शन के लिए आएंगे वे हमेशा के लिए एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। इसी वजह इस मंदिर में एकसाथ दंपत्ति पूजा नहीं करते।रहस्य : कहीं भूत मारते हैं तमाचा तो कहीं अपने आप पहाड़ चढ़ती हैं गाड़ियां
कैसे करे प्रवेश
यहां पहुंचने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं। शिमला पहुंचने के बाद आप नारकंडा और मश्नु गावं के रास्ते यहां पहुंच सकते हैं। शिमला से माता के मंदिर पहुंचने के लिए आप स्थानीय परिवहन साधनों का सहारा ले सकते हैं। आप शिमला रेल या हवाई मार्गों के द्वारा पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग के लिए आप शिमला रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं और हवाई मार्ग के लिए आप चंडीगढ़/दिल्ली एयरपोर्ट का सहारा ले सकते हैं।