हिमाचल प्रदेश स्थित डलहौजी भारत के सबसे पुराने पहाड़ी गंतव्यों में गिना जाता है। इस हिल स्टेशन को बसाने का श्रेय लॉर्ड डलहौजी नाम के एक ब्रिटिश गवर्नर जनरल को जाता है। लॉर्ड डलहौजी के नाम पर इस पर्वतीय गंतव्य का नाम डलहौजी पड़ा। दरअसल ये हिल स्टेशन भारत में अंग्रेजों द्वारा उन पहाड़ी गंतव्यों में शामिल है जिन्हें बसाने का उद्देश्य ग्रीष्मकालीन अवकाश था।
चूंकि अंग्रेजों को गर्मी बरदाश्त नहीं थी इसलिए वे गर्मियों के वक्त इन्हीं पहाड़ी स्थलों पर अवकाश बिताया करते थे। यह शहर 1854 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था। समुद्र तल से डलहौजी लगभग 1,970 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमाचल प्रदेश का यह खास स्थान अब देश के मुख्य हिल स्टेशनों में गिना जाता है। इस शहर में आप आज भी योजनाबद्ध सड़कें और प्राचीन भवन-इमारतों को देख सकते हैं।
हिमालय के मनमोहक परिवेश और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच यह स्थान किसी जन्नत से कम नहीं। आज इस लेख में जानिए इन गर्मियों के दौरान आप डलहौजी में कौन-कौन सी खास गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
एडवेंचर गतिविधियां
PC- SriniG
बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत श्रृंखला, पहाड़ी वनस्पतियों और अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों से आभूषित डलहौजी इन गर्मियों एडवेंचर का आनंद लेने के लिए एक आदर्श विकल्प है। अंग्रेजों द्वारा खोजा गया यह पहाड़ी स्थल हर तरह के सैलानियों का स्वागत करता है।
डलहौजी की आकर्षक पहाड़ी घाटियों के बीच आप परिवार या दोस्तों के साथ ट्रेकिंग या लंबी पैदल यात्रा का रोमांचक अनुभव ले सकते हैं। प्रकृति के बिलकुल करीब जाने का इससे अच्छा और कोई मौका नहीं होगा।
आप यहां खले नीले आसमान के तले समर कैंप लगा सकते हैं। इसके अलावा रात में बोनफायद का अद्भुत आनंद भी ले सकते हैं। इन गर्मियों पहाड़ी स्थल की सैर के लिए डलहौजी एक बेस्ट ऑप्शन है। इसके अलावा आप यहां से 24 किमी दूर खज्जियार में जाकर भी रोमाचक एडवेंचर गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
अभयारण्य का रोमांचक अनुभव
PC- Ashish Sharma
कुछ अलग रियल वाइल्ड लाइफ अनुभव लेने के लिए आप यहां के कालाटोप वन्यजीव अभयारण्य की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। पहाड़ी वन्य जीवों के लिए आरक्षित ये क्षेत्र लगभग 2500 मीटर की ऊचांई पर स्थित है। यह जंगल कालाटोप खज्जियार सेंचुरी के नाम से भी जाना जाता है। यह अभयारण्य चीड़, देवदार और ओक के जंगलों के बीच बसा है। पहाड़ी वन्य जीवन को देखने के लिए स्थान एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
लगभग 30.69 वर्ग किमी में फैला यह वन्य क्षेत्र असंख्य जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों का सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करता है। आप यहां हिमालय ब्लैक बियर, तीतर और दुलर्भ हिमालय नेवला आदि जीवों को देख सकते हैं। इसके अलावा यह अभयारण्य कई देशी और प्रवासी पक्षी प्रजातियों का भी घर माना जाता है।
इन गर्मियों बनाएं कुमाऊं के इन खास हिल स्टेशन का प्लान
शहर की वास्तुकला
PC- Jean Gagnon
जैसा की आपको पहले बताया गया है कि डलहौजी भारत में अंग्रेजों के द्वारा बसाया गया एक हिल स्टशन है और काफी लंबे समय तक यहां ब्रिटिश रह चुके हैं। यहां उनके द्वारा बनाए गए भवन, इमारत, चर्च आज भी उसी अवस्था में मौजूद है। यहां बहुत से ऐसी भी चर्च है जो देव अराधान नहीं की जाती लेकिन पर्यटन के लिहाज से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
आप अपनी डलहौजी यात्रा के कुछ घंटे शहर भ्रमण में लगा सकते हैं। इस दौरान आप यहां की ब्रिटिश वास्तुकला को आसानी से देख सकते हैं। सेंट एंड्रयू चर्च, सेंट पैट्रिक चर्च और सेंट फ्रांसिस चर्च यहां की कुछ देखने लायक चर्च हैं। डलहौजी भ्रमण के दौरान आप इन चर्च में थोड़ा समय जरूर बिताएं।
डलहौजी में शॉपिंग
इन सब के अलावा डलहौजी की याद को समटने के लिए आप यहां शॉपिग का आनंद ले सकते हैं। डलहौजी अपने खूबसूरत बाजारों के लिए जाना जाता है। यहां की तिब्बती मार्केट और सदर बाजार काफी ज्यादा मशहूर हैं। यहां आप पहाड़ी लोगों के हाथों से बने कालीन, स्वेटर, शॉल और अन्य हस्तशिल्प सामानों को खरीद सकते हैं।
वैसे किसी भी स्थान की अच्छी यादों को समेटने के लिए वहां से कुछ खरीदना तो बनता है। खासकर यहां के बने स्वेटर और अन्य गर्म कपड़े आप जरूर खरीदें, जो आपको सर्दियों में काफी आराम देंगे। इसके अलावा महिलाएं हाथ से बने साज-सज्जा के सामान भी यहां से ले सकती हैं।
लजीज व्यंजनों का लुप्त
उपरोक्त अनुभवों के साथ आप यहां के लजीज व्यंजनों का आनंद जरूर उठाएं। आप डलहौजी में लजीज तिब्बती फूड्स का आनंद उठा सकते हैं। ग्यूरमा (Gyurma) और थेनथुक(Thenthuk) यहां के प्रसिद्ध व्यंजन हैं। आपको यहां के पकवानों और भोजनों में काफी अंतर दिखेगा। एक अलग अनुभव अपने साथ समेटने के लिए आप यहां के व्यंजनों का आनंद जरूर उठाएं।
कैसे करें प्रवेश
PC- Aditya7861
डलहौजी आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। डलहौजी का अपना कोई एयरपोर्ट नहीं है हवाई मार्ग के लिए आपको पठानकोट एयरपोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा। डलहौजी से पठानकोट लगभग 75 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा आप कांगड़ा जिले के गग्गल एयरपोर्ट का भी रूख कर सकते हैं। जो डलहौजी से लगभग 140 किमी की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग के लिए आप पठानकोट चक्की रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो डलहौजी सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। डलहौजी सड़़क मार्गों द्वारा आसपास के हिल स्टेशन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।