यूं तो महाराष्ट्र में कई हिल स्टेशन है...जो अपनी मनमोहक और प्रकृतिक खूबसूरत के कारण पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहते है, इन्ही हिल स्टेशनस में से एक है पंचगनी। पंचगनी का अर्थ है पाँच पहाडियाँ और यह समुद्र सतह से लगभग 1,350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह जगह प्रकृति से प्यार करने वालों के लिए एकदम परफेक्ट है। दूर-दूर तक हरे-भरे विशाल मैदान और धुएं की तरह हवा को चीरते घने बादल बेहद खूबसूरत नजर आते हैं।
पंचगनी की निराली पहाडियाँ सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। दूर पहाड़ियों से परे स्वप्न की तरह सूर्यास्त देखना, स्ट्राबेरी तोड़ने के मौसम का आनंद उठाना, आराम से नाव की सवारी करना या अगर आप कुछ और साहसिक कार्य करना चाहते हैं तो पैराग्लाइडिंग करना आदि यहाँ उपलब्ध है और यहाँ आपके विकल्प कभी खत्म नही होंगे!
पंचगनी पश्चिमी भारत में आसानी से उपलब्ध एक बेहतरीन पैराग्लाइडिंग स्थान है। 4500 फीट की ऊँचाई पर स्थित साँस रोकने वाली घाटियाँ, ताज़ा हवाएँ, मंत्रमुग्ध के देने वाले दृश्य - अनेक ऐसे रोमांचक उड़ान स्थल अनेक सुंदर दृश्यों का अनुभव लेने में आपकी सहायता करते हैं। यदि आप पैराग्लाइडिंग में नौसिखिया हैं तो आप अनुभवी पायलटों के साथ उड़ान का विकल्प चुन सकते हैं।
कैसे पहुंचे
पंचगनी मुंबई से 242 किमी की दूरी पर स्थित है, और पुणे से करीबन 99 किमी की दूरी है साथ ही बैंगलोर से इसकी दूरी 778 किलोमीटर है। यदि आप मुंबई से यात्रा कर रहे हैं तो आप मुंबई-पुणे राजमार्ग का उपयोग कर सकते हैं जो आपको पहले पंचगनी पहुँचायेगा। अन्यथा यदि आप मुंबई से गोवा रोड पर जाते हैं तब पोल्हातपुर पर बाएं मुड़ने के बाद और ऊपर पहाड़ी पर जाने पर आप पहले महाबलेश्वर पहुँचते हैं। पंचगनी पहाड़ी के नीचे के रास्ते पर है जो सतारा की ओर जाता है। यदि आप बहुत बड़े समूह में यात्रा कर रहे हैं तो यह बुद्धिमानी होगी कि आप पंचगनी - महाबलेश्वर रोड पर अंजुमन ए इस्लाम शाला के सामने स्थित बंगले किराये पर लें।
पंचगनी का इतिहास
पंचगनी की खोज ब्रिटिश लोगों द्वारा की गई जब वे भारत पर राज्य करते थे। इतिहास बताता है कि एक अधीक्षक जिन्हें जान चेसोन के नाम से जाना जाता है वे गर्मियों के इस प्रसिद्ध स्थान की देखभाल के लिए नियुक्त किये गए थे। ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्द यह स्थान ब्रिटिश लोगों के लिए गर्मियों में एक आश्रय स्थल था और आज भी यहाँ का शांत और ठंडा मौसम लगातार गर्म और झुलसे हुए पठार से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। मानसून स्वयं इन पहाड़ी स्टेशनों के असली जादू में अतिरिक्त खुशी के रूप में प्रारंभ होता है - यहाँ के पहाड़ जादुई झरनों और सँकरे, छोटी तथा घुमावदार धाराओं से परिपूर्ण हैं।
पंचगनी के पास ही महाबलेश्वर हिल स्टेशन स्थित है जो हुबहू पंचगनी की ही तरह है। बता दें, पंचगनी की महाबलेश्वर से 16 किमी की दूरी पर है।
कब आयें
पंचगनी पर्यटक पूरे साल आ सकते हैं। खासकर इस स्थान को घूमने के लिए उत्तम समय सितंबर से मई तक है जब मानसून धीमा पड़ जाता है। ठंड में पंचगनी का तापमान 12 डिग्री सेल्सियस होता है और गर्मियाँ भी मुख्य रूप से ठंडी होती हैं।
पंचगंगा मंदिर
पंचगंगा मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में हुआ था। इसे राजा चंद्रराव ने बनवाया था। मंदिर पांच फुट ऊंची पत्थर की दीवार के अंदर बना हुआ है। काले पत्थर से बने इस मंदिर के गुंबद की ऊंचाई ज्यादा नहीं है। शिव के मंदिर के दो हिस्से हैं- मूल गर्भ गृह और बाहर का प्रांगण। बाहर के प्रांगण में विशाल नंदी बैल विराजमान है। नंदी का निर्माण एक ही पत्थर से हुआ है। यह मंदिर पंचगनी से 18 किमी दूर पुराने महाबलेश्वर में स्थित है। इस मंदिर में एक साथ यहाँ की पांच प्रमुख नदियों (कोयना , कृष्णा,वीणा ,गायत्री,सावित्री ) का पवित्र जल एक जगह मिलता है। इस पवित्र जल का काफी महत्व है। इस जल की संयुक्त धारा को ही पंचगंगा कहते है।
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प्रतापगढ़ किला
प्रतापगढ़ किले को 1856 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनवाया था। शहर से 20 किमी. दूर इस किले में ही शिवाजी ने अफजल खान को मौत के घाट उतार दिया था।समुद्री तल से 1000 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस किले में मां भवानी और शिव जी का मंदिर है।
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वीना झील
यह झील मानव निर्मित है,जिसका निर्माण वर्ष 1842 में श्री अप्पासाहेब ने कराया था। इस झील का निर्माण महाबलेश्वर के लोगो को पानी मुहैय्या कराना था। यहां आने वाले पर्यटक इस झील में नौकायान और मछली पकड़ने का आनदं उठा सकते हैं।
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कमलगढ़ किला
महाराष्ट्र में स्थित कमलगढ़ के किले का शुमार भारत के प्राचीन किलों में है। यह किला 4 एकड़ में फैला हुआ है।
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राजपुरी गुफाएं
पंचगनी में राजपुरी गुफाएं पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षणों मे से एक हैं। यह गुफा चारो और झील से घिरी हुई है। इतना ही बताया जाता है कि, इस गुफा में पांडवों ने अपने बनवास के कुछ वर्ष व्यतीत किये थे।
सबसे बड़ा टेबल लैंड
पंचगनी का टेबल लैंड देश का सबसे बड़ा और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा टेबल लैंड है। पहाड़ आम तौर पर उबड़ खाबड़ होते हैं। लेकिन यहां बहुत बड़ी समतल सतह है जिसे टेबल लैंड कहते हैं। ऐसा लगता है भगवान जी का डायनिंग टेबल हो। पंचगनी का ये टेबल लैंड 99 एकड़ में फैला है। यह पंचगनी का बड़ा टूरिस्ट स्पॉट है। यहां पर टेबल लैंड घूमाने के लिए यहां बग्घियां चलती हैं। वैसे आप की मर्जी आप पैदल भी घूम सकते हैं। पर घूमते घूमते थक जाएंगे। टेबल लैंड के पास एक गुफा और इसके अंदर एक मंदिर है। इसे पांडव गुफा भी कहते हैं। कहा जाता है पांडवों ने अज्ञात वास के दौरान इस गुफा में भी कुछ समय तक अपना वक्त बीताया था। दोपहर की गरमी पर गुफा के अंदर शीतलता है।
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खाना-रहना
पंचगनी महाराष्ट्र का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है, यहां कई सारे फ़ूड रेस्तरां और अच्छे रेजोर्ट्स मौजूद है।
सावधानी
पर्यटक यहां घूमते वक्त अपनी कीमती चीजो का ध्यान रखें।
पॉकेट मार लोगो से सावधान रहें।
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