दीवान-ए-आम का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1631 से 1640 के बीच करवाया था। वह यहां आम लोगों के साथ-साथ मुगल शासन में उच्च पदों पर पदस्थ लोगों को संबोधित करते थे। शाहजहां इसका इस्तेमाल प्रजा की पीड़ा को सुनने के लिए भी करते थे। दीवान-ए-आम आगरा किले के बीच में नगीना मस्जिद के पास स्थित है। लाल पत्थरों से 49 नक्काशीदार स्तंभों पर बना यह हॉल भारतीय और पर्सियन वास्तुशिल्प शैली के मिश्रण का उत्कृष्ट नमूना है।
सपाट छत से ढंके इस हॉल की लंबाई 201 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 67 फीट है। यह तीन गलियारों में बंटा हुआ है और उत्तर व पूर्व की दिशा में दो दरवाजे हैं। हॉल की बाहरी संरचना में 9 बड़े-बड़े मेहराब बने हुए हैं। हालांकि इसका निर्माण लाल पत्थर से किया गया है, लेकिन इसमें सफेद प्लास्टर का इस्तेमाल करने से यह सफेद संगमरमर के जैसा प्रतीत होता है।
इसमें एक आयाताकार झरोखे के जैसा कक्ष है, जहां बादशाह बैठते थे। इसके तीन मुख हैं और इसमें बड़े पैमाने पर सजावटी आभूषण जड़े हुए हैं। इसे तख्त-ए-मुरस्सा कहा जाता है। मंत्री के बैठने के लिए बनाए गए मंच में संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था और उसे बैठक कहा जाता था।