जामा मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1648 में अपनी प्यारी बेटी जहांआरा बेगम को श्रद्धांजलि देने के लिए किया था। इसे जामी मस्जिद और जुमा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
साधारण डिजाइन से बने इस मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और इसे सफेद संगमरमर से सजाया गया है। इसके दीवार और छत पर नीले पेंट का प्रयोग किया गया है। शहर के बीच में आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के सामने स्थित यह मस्जिद भारत के विशाल मस्जिदों में से एक है।
जामा मस्जिद एक ऊंची नींव पर बना है और इसमें प्रवेश के पांच वक्राकार दरवाजे हैं। इसमें लाल बलुआ पत्थर से बने तीन विशाल गुंबद भी हैं। मस्जिद के दीवार में प्रयुक्त टाइल्स को ज्यामितीय आकृति से सजाया गया है। साथी ही इसमें उत्कृष्ट नक्काशी भी की गई है।
जमा मस्जिद के बीच का प्रांगण इतना विशाल है कि यहां एक समय में 10000 लोग नमाज अदा कर सकते हैं। इसके परिसर में महान सूफी संत शेख सलीम चिश्ती का मकबरा भी है।