फिरोज खान ख्वाजासराय का उल्लेख मुगल बादशाह जहांगीर के वृतांत में भी मिलता है। दरअसल वह मुगल बादशाह शाहजहां के दरबार का एक कुलीन व्यक्ति था। उनके खिताब ख्वाजा सराय से पता चलता है कि वह शाही औरतों के रहने की जगह हरम का प्रभारी था।
फिरोज खान का निधन 7 अक्टूबर 1647 को हुआ था। पर उस समय कुलीन व्यक्तियों में यह परंपरा थी कि वह जीवित रहते हुए ही अपना मकबरा बनाते थे। फिरोज खान ने भी ऐसा ही किया था और अपने मकबरे का नाम ताल फिरोज खान रखा।
आगरा से कुछ दूर ग्वालियर रोड पर स्थित लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह एक दो मंजिला मकबरा है। इसके परिसर में उत्तरी छोर पर बने एक वक्राकार दरवाजे से पहुंचा जा सकता है।
फिरोज खान की कब्र ग्राउंड फ्लोर पर एक 40 फीट वर्गाकार अष्टभुजीय स्तंभ पर है, जो कि एक अर्धवृताकार गुंदब के अंतर्गत आता है। इस मकबरे की सजावट अकबर और एतमादुद दौला के मकबरे से काफी मिलती है।