पर्यटक जब भी ऐहोल की यात्रा पर आएं तो रावण फाड़ी की सैर अवश्य करें। यह पूरे ऐहोल में सबसे पुराना गुफा मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस जगह में ऐहोल की सबसे बड़ी गुफा है। इस गुफा के अंदर दो बड़े-बड़े मंदिर है। यहां भगवान शिव की नृत्य करते हुए कई चित्र...
येनियार मंदिर, 8 मंदिरों का समूह है जो मालाप्रभा नदी के तट पर, ऐहोल के दक्षिण में स्थित है। माना जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण 12 वीं सदी में हुआ था। पोर्च, हॉल और छतें, इस मंदिर की प्रमुखता है। ऐहोल आने वाले सभी पर्यटकों को येनियार श्राइन की सैर के लिए...
हचाप्पय्या मत्था, ऐहोल में स्थित मंदिरों में से प्रमुख है जो भगवान शिव को समर्पित है और ऐहोल गांव के पश्चिमी ओर स्थित है। इस गुडी को 8 वीं सदी में बनवाया गया था। इस मंदिर में एक मुख्यमंडप, एक गर्भगृह और चालुक्य शैली में बनी कृतियां भी देखने को...
ऐहोल की यात्रा के दौरान पर्यटकों को गलांगनाथा समूह की सैर पर अवश्य जाना चाहिए। इस मंदिर समूह में कुल 38 मंदिर स्थित है जो मालाप्रभा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर समूह का प्रमुख मंदिर गलांगनाथा के नाम से जाना जाता है जिसे 8 वीं सदी में बनवाया गया था। इस...
भगवान सूर्य को समर्पित इस मंदिर में रेखांगारा शैली की कई कलाकृतियां बनी हुई है। इस मंदिर में भगवान सूर्य की अपने साथी ऊषा और संध्या के साथ रथ पर बैठी हुई 2 फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। इनके अलावा आप ऐहोल में गोडा मंदिर, हालावासा पन्ना गुडी,...
मेगानगुडी को मेगुती के नाम से भी जाना जाता है जो कि एक जैन मंदिर है और यह मंदिर द्रविण शैली की वास्तुकला में निर्मित है। जो भी पर्यटक ऐहोल की यात्रा पर आते है उन्हे इस समूह की यात्रा की सलाह दी जाती है। इस मंदिर के समूह को लगभग 5 वीं सदी में बनवाया गया...
गौड़ा मंदिर एक 12 वीं सदी का मंदिर है जो देवी भगवती को समर्पित है और इस मंदिर को ऐहोल के सबसे प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक गिना जाता है। य ह मंदिर कल्याण चालुक्य वास्तुकला में बना हुआ है और इस मंदिर की बाहरी दीवार में 16 खंभे बने हुए है जो एक...
हालाबसाप्पनान्ना गुडी, ऐहोल का सबसे आकर्षक स्थल है जहां पर्यटकों को सैर करने की सलाह दी जाती है। यह एक छोटा सा गांव है जो ऐहोल के पश्चिमी ओर स्थित है, यहां एक छोटा सा मंदिर है जिसमें एक हॉल और एक गर्भगृह बना हुआ है। इस मंदिर के दरवाजों पर गंगा और...
राची समूह, एक त्रिकुटचला शिव मंदिर है जिसका निर्माण 11 वीं सदी में करवाया गया था। यह मंदिर, पश्चिम की ओर मुंह किए हुए है जो ऊंचाई पर बना हुआ है। इस मंदिर में तीन सेल्स है जो अलग - अलग दिशाओं में स्थित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर, भगवान नटराज का छोटा सा...
अम्बीगेरा गुडी, तीन मंदिरों का समूह है जो 10 वीं सदी में बनाएं गए थे। यह तीनों मंदिर, दुर्गा मंदिर और चिक्कीगुडी के पास में ही स्थित है और ऐहोल किले के पास में बने हैं। इन तीन बड़े मंदिरों में रेखांगना टॉवर भी शामिल है जिसे भी 10 वीं शताब्दी में ही...
हचीमल्ली गुडी, मंदिरों का एक समूह है जो भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापना 7 वीं सदी में की गई थी, यह ऐहोल के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। समय मिलने पर पर्यटकों को यहां अवश्य आना चाहिए। इस मंदिर की बाहरी...
जो पर्यटक ऐहोल की यात्रा पर जाएं, वह बादीगेरा गुडी की सैर का प्लान अवश्य बनाएं। इस श्राइन को शुरूआत में सूर्या मंदिर के नाम से जाना जाता है जो रेखांगारा के पास में स्थित है। यह मंदिर 9 वीं सदी में बनाया गया था, जिसमें एक हॉल, एक पोर्च और एक सेल मंदिर है।...
त्रियम्बकेश्वर समूह, ऐहोल के प्रमुख मंदिरों में से एक है जो यहां का मुख्य आकर्षण माना जाता है। इस परिसर में कई मंदिर स्थित है जिनमें से त्रिकुटचलस और मद्दीनागुडी प्रमुख है। त्रिकुटचलस मंदिर का शाब्दिक अर्थ होता है - त्रिकोशकीय मंदिर। इस मंदिर का...
मंदिरों के अलावा, ऐहोल में संग्रहालय और आर्ट गैलरी भी स्थित है जो दुर्गा मंदिर परिसर में बना हुआ है। इस मूर्ति गैलरी की देखभाल, भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है। अगर पर्यटकों के पास ऐहोल की यात्रा के बाद समय बचता है तो उन्हे यहां अवश्य आना...
पर्यटक ऐहोल आने पर रामलिंगा मंदिर में अवश्य आएं। यह मंदिर येनियार मंदिर के पास ही स्थित है। इस मंदिर को त्रिकुटाचाला ने डिजायन किया था। इस मंदिर में दो शिवलिंग है जो भगवान शिव को और उनकी पत्नी को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 11 वीं सदी...